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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ACT ( 787 ) होता है, * मारी हैजा, बवाई रोग, संक्रामक बीमारी, / बड़ा डरावना (-जी) दुर्गा का विशेषण, रोखः -...-माहेश्वरः शिव या महेश्वर का बड़ा भक्त,--मुखः इक्कीस नरकों में से एक-मनु० 4 / 89-90, लक्ष्मी मगरमच्छ, घड़ियाल, - मुनिः बड़ा ऋषि 2. व्यास 1. नारायण की शक्ति या महालक्ष्मी 2. दुर्गापूजा के (नपुं० --नि) आयुर्वेद की जड़ीबूटी, मूर्धन् (पुं०) उत्सव पर दुर्गा बनने वाली कन्या,-लिंगम् बृहल्लिग शिव का विशेषण, मूलम् एक बड़ी मूली (लः) एक (गः) शिव का विशेषण,-लोलः कौवा,-लोहम् प्रकार का प्याज, मल्य (वि०) अत्यन्त कीमती चुम्बक, -बनम् 1. एक बड़ा जंगल 2. विंध्यवन में (ल्यः) लाल, मग: 1. कोई भी बड़ा जानवर एक बड़ा जंगल,--वराहः 'महावराह' विष्णु का विशे2. हाथी, मेदः मुंगे का पेड़,-मोहः मन का भारी षण, तृतीय अवतार 'वराह शकर' के रूप में, वसः आकर्षण (---हा) दुर्गा का विशेषण, यज्ञः ‘महायज्ञ' शिशुमार, सुंस,--वाक्यम् 1. लंबा वाक्य 2. अविगृहस्थ द्वारा अनुष्ठेय दैनिक पांच यज्ञ या और कोई च्छिन्न रचना या कोई साहित्यिक कृति 3. महदर्थ धर्मकृत्य ---अध्यापनं ब्रह्मयज्ञः पितृयज्ञस्तु तर्पणम्, प्रकाशक वाक्य-जैसे तत्त्वमसि, ब्रह्मवेदं सर्वम् आदि, होमो देवो (देवयज्ञः) बलिभीतो (भूत यज्ञः) नृयज्ञोऽ --वातः आंधी, झंझावात,- वार्तिकम् पाणिनि के तिथिपूजनम् मनु० ३१७०-७२,--यमकम् 'बृहद्यमक' सूत्रों पर कात्यायन द्वारा रचित वार्तिक,-विवेहा अर्थात किसी श्लोक के चारों चरण जहां शब्दशः एक योगदर्शन में प्रदर्शित मन की अवस्थाविशेष या बृत्तिसे हैं, परन्तु अर्थत: भिन्न हैं, उदा० दे० कि० 15152, विशेषः,-विभाषा सविकल्प नियम,-विषुवम् मेघ की यहां विकाशमीयर्जगतीशमार्गणाः' पंक्ति के चार संक्रान्ति संक्रान्ति बसन्तविषव (जब सूर्य मीन राशि भिन्न 2 अर्थ है, तु० भट्टि० 10.19 की भी, यात्रा से मेष राशि पर संक्रमण करता है),-वीरः 1. बड़ा 'बड़ी तीर्थयात्रा' काशी यात्रा, मत्य, याम्यः विष्णु शूरवीर या योद्धा 2. सिंह 3. इन्द्र का वज्र 4. विष्णु का विशेषण, युगम् 'बृहद् युग' मनुष्यों के चार का विशेषण 5. गरूड़ का विशेषण 6. हनुमान् का युगों का समाहार अर्थात् 320000 मानववर्ष, विशेषण 7. कोयल 8. सफेद घोड़ा 9. यज्ञाग्नि योगिन् (0) 1. शिव का विशेषण 2. विष्णु 10. यज्ञपात्र 11. एक प्रकार का बाज पक्षी,-वीर्या का विशेषण 3. मर्गा,-रजतम् 1. सोना 2. धतूरा, सूर्य की पत्नी संज्ञा का विशेषण,-वयः भारी बैल, -~-रजनम् 1. केसर 2. सोना,---रत्नम् बहुमूल्य साँड, ...वेग (वि.) बहुत तेज, प्रवलवेग वाला (गः) रत्न,-रथः 1. बड़ी गाड़ी या रथ 2. बड़ा योद्धा या 1. लंबी चाल, प्रबल वेग 2. लंगूर 3. गरूड पक्षी, नायक-कुतः प्रभावो धनंजयस्य महारथजयद्रथस्य, -वेल (वि.) तरगमय,-व्याधिः (स्त्री०) विपत्तिमुत्पादयितुम् वेणी० 2, रघु० 9 / 1, शि० 1. भारी बीमारी 2. (काला कोढ़) कोढ़ का भयानक 3 / 22 (महारथ की परिभाषा - एका दशसहस्राणि रूप,---व्याहुतिः (स्त्री०) अत्यंत गूढ शब्द अर्थात् योधयेद्यस्तु धन्विनां, शस्त्रशास्त्रप्रवीणश्च विज्ञेयः भूर्, भुवस् और स्वर्,-प्रत (वि.) अत्यंत धर्मस महारथः ),-रस (वि०) अत्यन्त रसीला (सः) निष्ठ, कठोरतापूर्वक ब्रत का पालन करने वाला 1. गन्ना, ईख 2. पारा 3. बहुमूल्य धातु (सम्) (तम्) 1. महाव्रत, बहुत बड़ा कठिन द्रत, महान् धर्मचावलों का जायकेदार मांड,-राजः 1. बड़ा राजा, कृत्य का पालन 2. कोई भी महान् या प्रधान कर्तव्य प्रभु, या सम्राट 2. राजाओं या बड़े 2 व्यक्तियों को --प्राणरपि हितावत्तिरद्रोहो व्याजवर्जनम्, आत्मनीव ससम्मान संबोधित करने की रीति (महाराज, देब, प्रियाधानमेतन्मंत्रीमहाब्रतम्-महावी० 5 / 59, -प्रतिन् प्रभु, महामहिम), चूतः एक प्रकार का आम, (पुं०) 1. भक्त, संन्यासी 2. शिव का विशेषण, - राजिकाः (पुं०, ब० व०) एक देवसमूह का विशे- --शक्तिः 1. शिव का विशेषण 2. कार्तिकेय का षण (गिनती में यह देव 220 या 236 माने जाते विशषण, शंख: 1. बड़ा शंख-भग० 115 हैं),---राज्ञी मुख्य रानी, राजा की प्रधान पत्नी, 2. कनपटी की हड्डी, मस्तक 3. मानव अस्थि -रात्रिः,-त्री (स्त्री०) दे० महाप्रलय,-राष्ट्रः 4. विशिष्ट ऊंची संख्या,-शठः एक प्रकार का धतूरा, 1. 'महाराष्ट्र' भारत के पश्चिम में मराठों का एक ...शब्द (वि.) ऊँची ध्वनि करन बाला, अत्यंत देश 2. महाराष्ट्र देश के अधिवासी, मराठे (ब०व०) कोलाहलपूर्ण, ऊधम मचाने वाला, शल्कः समुद्री (ष्ट्री) मुख्य प्राकृत बोली, महाराष्ट्र के अधिवासियों केकड़ा या झींगा मछली मन० ३१२७२,-शालः की भाषा-तु० दण्डी-महाराष्ट्राश्रयां भाषां प्रकृष्टं बड़ा गृहस्थ,--शिरम् (पुं०) एक प्रकार का सांप, प्राकृतं विदु:-काव्या० ११३४,---रूप (वि०) रूप - शुक्तिः (स्त्री०) मोतियों की सीपी,-शुक्ला में बलवान् (पः) 1. शिव का विशेषण 2. राल, सरस्वती का विशेषण,--शुभ्रम् चाँदी,--शूद्रः (स्त्री० -रेतस् (पुं०) शिव का विशेषण, - रौद्र (वि.)। -नो) 1. उच्चपदस्थ शूद्र 2. ग्वाला, "श्मशानम् For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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