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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 785 ) हाथों वाला 2. जिससे बहुत राजस्व मिलता हो–कर्णः -चक्रवतिन् (पुं.) सार्वभौम नरेश,-चमू: (स्त्री०) शिव का विशेषण, --कर्मन् (वि.) बड़े-बड़े काम करने विशाल सेना,--छायः वटवृक्ष,- जटः शिव का विशेवाला (पु.) शिव का विशेषण,-कला शुक्ल पक्ष की षण, * जत्रु (वि०) जिसकी हंसली की हड्डी बहुत द्वितीया की रात, कविः 1. कविशिरोमणि कालिदास बड़ी हो (-4) शिव का विशेषण, -जमः 1. लोगों भवभूति, बाण और भारवि आदि महाकवि का समूह, बहुत से प्राणी, साधारण जनता-महाजनों 2. शुक्राचार्य का विशेषण--कान्तः शिव का विशेषण येन गतः स पन्थाः-- महा. 2. जनसंख्या, भीड़-भाड़ (-ता) पृथ्वी,-काय (वि.) स्थूलकाय, बड़ा महा- -महाजनः स्मेरमुखो भविष्यति - कू० 570 3. काय, अतिकाय (---यः) 1. हाथी 2. शिव का बड़ा आदमी, प्रतिष्ठित पुरुष, प्रमुख व्यक्ति-महाविशेषण 3. विष्णु का विशेषण 4. शिव का एक जनस्य संसर्ग कस्य नोन्नति कारकः, पपपत्रस्थितं अनुचर, नंदी बैल,कार्तिको कार्तिक मास की पूर्णिमा, तोयं धत्ते मुक्ता फलश्रियम् -सुभा० 4. किसी ----काल: प्रलयकर्ता के रूप में शिव का एक रूप 2. व्यवसाय का मुखिया 5. सौदागर, व्यापारी...जातीय एक प्रसिद्ध मन्दिर या शिव (महाकाल) का मन्दिर, (वि०) 1. दान-शील 2. उत्तम जाति का, ('महाकाल' का यह मन्दिर उज्जैन में विद्यमान है, --ज्योतिस् (पु.) शिव का विशेषण, तपस् (पु.) 1. कालिदास ने अपने मेघदूत की रचना द्वारा इसे अमर कठोर तप करने वाला 2. विष्णु का विशेषण, तलम् कर दिया है, वहाँ (महाकाल=शिव) देवता, उसका नीचे के सात लोकों में से एक, दे० पाताल, मन्दिर, पूजा आदि के साथ-साथ नगरी का सचित्र ---तिक्तः 'निबवृक्ष,-तीषण (वि.) अत्यंत तेज वर्णन मिलता है तु० मेघ० 30-38, रघु०६।३४ या तीब्र (णा) भिलावा,---तेजस (वि.) 1. बड़ी भारी 3. विष्णु का विशेषण 4. एक प्रकार की लौकी या कांति या दीप्ति से युक्त 2. तेजस्वी, शक्तिशाली, कद्दू, °पुरम् उज्जयिनी की नगरी, -- काली दुर्गा देवी शोर्य युक्य (पुं०) 1. शूरवीर, योद्धा 2. अग्नि 3. का डरावना रूप,--काव्यम् लौकिक काव्य, महाकाव्य कातिकेय का विशेषण (न०) पारा,-ब -वंत: (इसके विषय में पूरा विवरण जो साहित्य शास्त्रियों 1. बड़े दांतों वाला हाथी 2. शिव का विशेषण ने किया है सा० द. 559 में दे०) (महाकाव्य 1. लंबी भुजा 2. भारी दंड वशा (मनुष्य के भाग्य गिनती में पांच है -रघुवंश, कुमारसंभव, किराता- पर) प्रबल ग्रह का प्रभाव,-वाह (न पुं०) देवदारु र्जुनीय, शिशुपालवध, और नैपधचरित / यदि खंड- वृक्ष,देवः शिव का नामांतर (-बी) पार्वती का काव्य--मेघदूत भी सूचीमें सम्मिलित किया जाय नामांतर, . हुमः पीपल का वृक्ष,--बन (वि.) 1. तो छ: महाकाव्य हो जाते हैं परन्तु यह गणना केवल धनाढय 2. कीमती, मूल्यवान् (--नम्) 1. सोना, परम्परा-प्राप्त, क्योंकि भट्टिकाव्य, विक्रमांकदेवचरित 2. गंध, धूप 3. मूल्यवान् वेशभूषा,-धनुस् (पुं०) और हरविजय आदि का भी महाकाव्य की दृष्टि से शिव का विशेषण,-बातः 1. सोना 2. शिव का विचार किया जाने का समान अधिकार है), विशेषण 3. मेरु का विशेषण,-नटा शिव का विशेषण --कुमारः राजा का सबसे बड़ा पुत्र, युवराज,--कुल -नवः बड़ा दरिया, नदी 1. गंगा, कृष्णा जैसी बड़ी (वि०) सत्कुलोत्पन्न, उच्चकुलोद्भव, ऊँचे कुल में नदी -- संभूयाम्भोधिमभ्येति महानघा नगापगा-शि० उत्पन्न (लम्) उच्चकुल में जन्म, ऊँचा कुल, - कृच्छम् 2 / 1002. बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली एक घोर साधना, भारी तपस्या,----कोशः शिव का विशेषण, नदी,-नंदा 1. खींची हुई शराब 2. एक नदी का ----ऋतुः महायज्ञ, उदा० अश्वमेष-रघु० 3146, नाम,-नरकः इक्कीस नरकों में से एक, एक -ऋनः विष्णु का विशेषण, - क्रोधः शिव का विशे प्रकार का नरकुल, नेजा.-नवमीमाश्विन शुक्ला षण,--क्षत्रपः महाराज्यपाल, उपशासक,--क्षीरः गन्ना, नौमी, दुर्गानवमी,-- नाटक 'महानाटक' एक नाटक' ईख,--खर्वः,....बम् (बड़ी संख्या सौ खरब की संख्या) का नाम जिसे 'हनुमन्नाटक' (हनुमान् के नाम से -गजः बड़ा हाथी दे० दिक्करिन, गणपतिः गणेश सर्वप्रिय होन के कारण) भी कहते है, नाम 1. ऊची देवता का एक रूप, . गंधः एक प्रकार की बेत (षम) / आवाज शोर 2. बाहोक 3. मरणने वाला बादल, एक प्रकार की चन्दन की लकड़ी, * गवः सुरागाय, 4. शंख 5. हाथी 6. सिंह 7. कान &ऊँट 1. शिव - गुण (वि०) अमोघ, अचूक (औषधि आदि), का विशेषण, (बम्) एक वाद्ययंत्र,- मासः शिव का --- गृष्टिः विशाल डील की गाय, प्रहः राहु का विशेषण,-निद्रा 'महानिद्रा', मत्य,-नियमः विष्णु विशेषण, ग्रीवः 1. ऊँट 2. शिव का विशेषण,प्रीविन का विशेषण,-निर्वाणम् (बोड़ों के अनुसार) व्यष्टि(पु.) ऊँट घूर्णा खींची हुई शराब,-घोषम् मंडी, सत्ता का पूर्ण नाश,---निशा 1. साधोरात, रात का मेला (-) ऊँचा शोर, कोलाहल, मुलगपाग, / दूसरा या तीसरा पहर- महानिशा तु विज्ञेया मध्यम ELETEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEER For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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