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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 781 ) (खः) 1. अग्नि 2. भूत, प्रेत 3. एक प्रकार का बंदर, / संभव', 'मेघदूत' 'किरातार्जुनीय', 'नैषधचरित' और गोलांगूल। शिशपालवध पर टीकाएँ लिखीं), पत्रम् छत्राक, साँप मलिनयति (ना० धा० पर०) 1. मैला करना, मलिन की छतरी। करना, कलकित करना, दुषित करना, धब्बा लगाना, | मल्लिकः [मल्लि+कन] 1. एक प्रकार का हंस जिसकी विगाड़ना-यदा मेधाविनी शिष्योपदेशं मलिनयति टांगें और चोंच भूरे रंग की होती है 2. माघ का तदाचार्यस्य दोषो नन-मालवि० 1, 'बदनामी महीना 3. जुलाहे की ढरकी, फिरकी / सम-अक्षः, कमाता है या कलंकित होता है' 2. भ्रष्ट करना, -----आख्यः एक प्रकार का हंस जिसकी टांगें और चोंच बदचलन करना। भूरे रंग की होती है-एतस्मिन्मदकलमल्लिकाक्षपमलिनिमन् (पुं०) मलिन+इमनिच] 1. मैलापन, गंदगी क्षव्याधुतस्फुरदुरुदंडपुंडरीका: (भुवो विभागाः) अपवित्रता 2. कालिमा, कालापन--मलिनिमालिनि ----उत्तर० 1131, मा० ९।१४,--अर्जुनः श्रीशैल माधवयोषितां-शि० 6 / 4 3. नैतिक अपवित्रता, नामक पर्वत पर विराजमान शिव का एक लिंग, पाप। --आख्या एक प्रकार की चमेली। मलिम्लुचः [मली सन् म्लोचित--मलिन्+-म्लच+क] मल्लिका मल्लिक+टाप्] 1. एक प्रकार की चमेली----वनेष 1. लुटेरा, चोर--शि० 16152 2. राक्षस 3. डांस, सायंतनमल्लिकानां विजृम्भणोद्गन्धिषु कुड्मलेष पिस्सू, खटमल 4. लौंद का महीना 5. वाय, हवा ---रघु०१६।४७ 2. इस चमेली का फूल--विन्यस्त 6. अग्नि 7. वह ब्राह्मण जो दैनिक पंच महायज्ञों को सायंतनमल्लिकेषु (केशेषु)-रघु० 16 / 50 नहीं करता है। --काव्या० 2 / 215 3. दीवट 4. किसी विशेष मलोमस (वि०) मिल- ईमसच्] 1. मैला, गन्दा, अपवित्र, आकृति का मिट्टी का वर्तन / सम०--गंधं एक अस्वच्छ, कलंकित, मलिन-मा ते मलीमसविकारघना प्रकार की अगर / मतिर्भूत--मा० 1132, रघु० 2053 2. कृष्ण, काला, मल्लीकरः [अमल्लमपि आत्मानं मल्लमिव करोति ...मल्ल काले रंग का-पणिता न जनारवरवैदपि कूजन्तमलि +च्चि, ईत्वम्, + अच्] कोर / मलीमसम--नै० 2 / 92, विसारितामजिहत कोकिला- | मल्लुः [मल्ल-उ] रीक्ष, भालू / वलीमलीमसा जलदमदांबराजयः-शि० 17.57, | म (भ्वा० पर० मवति) कसना, बांधना / 1 / 58 3. दुष्ट, पापपूर्ण, सदोष, बेईमान--मलीमसा | मव्य (भ्वा० पर० मव्यति) बांधना। माददते न पद्धतिम् --रघु० ३।४६,--स: 1. लोहा | मश् (भ्वा० पर० मशति) 1. भिनभिनाना, गुंजन करना 2. हा कसीस। ऊं ऊं करना 2. क्रोध करना। मल्ल (भ्वा० आ० मल्लते) थामना, अधिकार में करना / | मशः [मश् --अचु] 1. मच्छर 2. गूंजना, गुनगुनाना मल्ल (वि.) मल्ल+अच] 1. हृष्टपुष्ट, व्यायामशील, 3. क्रोध, सम--हरी मच्छरदानी, मसहरी। बलिष्ठ कि० 1818 2. अच्छा, उत्तम-ल्ल: 1. बलवान् | मशकः [मश+बन] 1. मच्छर, पिस्सू, डांस-सर्वं खलस्य पुरुष 2. कसरती, मुक्केबाज, पहलवान-प्रभुमल्लो चरितं मशक: करोति-हि० 1178, मनु० 1285 मल्लाय--महा० 3. पान पात्र, प्याला 4. हव्यशेष 2. चमड़ी का एक विशेष रोग 3. मशक, चमड़े का 5. गाल, कपोल, गण्डस्थल / सम० -- अरिः 1. कृष्ण बना पानी भरने का थैला। सम..--कुटिः, टी का विशेषण 2. शिव का विशेषण,----क्रीडा मक्केबाजी (स्त्री०),--वरथम् मच्छर उड़ाने का चंवर(-हरी या मल्लयुद्ध,-जम् काली मिर्चे,-तूर्यम् एक प्रकार मसहरी, मच्छरदानी। का ढोल,-भः,-भूमिः (स्त्री०) 1. अखाड़ा, मल्लयुद्ध | मकिन् (पु०) [मशक+इनि] गूलर का पेड़ / का मैदान 2. एक देश का नाम,-युद्धम् कुश्ती करना मशुनः (पु०) कुत्ता। या मक्केबाजी, मुष्टियुद्धीय भिड़न्त या मुठभेड़, विद्या मष (भ्वा० पर० मषति) चोट पहुंचाना, क्षति पहुंचाना, मल्लयुद्ध की कला,- शाला व्यायायशाला, अखाड़ा। मार डालना, नष्ट करना। मल्लकः [मल्ल-कन्, मल्ल+बुल वा] 1. दीवट 2. दीवा, | मषिः--षी (स्त्री०) मिष+इन्, मषि-डी -मसी तैलपात्र 3. दीपक 4. नारियल का बना हुआ प्याला 5. दाँत 6. एक प्रकार की चमेली। | मस (दिवा० पर० मस्यति) 1. तोलना, मापना, पैमाइश मल्लिः ,--ल्ली (स्त्री०) [मल्ल+ इन्, मल्लि-+ ङीष] एक / करना 2. रूप बदलना / प्रकार की चमेली। सम-गंधि (नपुं०) अगर, | मसः [मस्+अच्] माप, तोल / -नाथः एक प्रसिद्ध भाष्यकार जो चौदहवीं या | मसनम् [मस+ल्युट] 1. मापना, तोलना 2. एक प्रकार पन्द्रहवीं शताब्दी में हुआ (उसने 'रघुवंश' 'कुमार- की बूटी। For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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