________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 776 ) त्साही, तटस्थ-उदासीन 3. जड, मंदबुद्धि, मढ, अज्ञानी, धुंधला, -वीर्यः दुर्बल,-वृष्टिः (स्त्री०) हल्की निर्बल-मस्तिष्क, मन्दोऽप्यमन्दतामेति संसर्गेण विपश्चितः बारिश, स्मितः,-हासः, - हास्यम् हल्का हंसी, मंद ..-मालवि० 218, मन्दः कवियशः प्रार्थी गमिष्या- मुस्कान / म्युपहास्थताम्--रघु० // 3, द्विषन्ति मन्दाश्चरितं मन्दटः मन्द + अट् ।-अच् शक० पररूपम्] मूंगे का वृक्ष / महात्मनाम् कु० 5 / 75 4. धीमा, गहरा, खोखला मन्दनम् [मन्द् + ल्युत्] प्रशंसा, स्तुति / (ध्वनि आदि) 5. कोमल, धुंधला, मृदु यथा ‘मंद- | मन्दयन्ती मन्द-णि शितृ+ डीप्] दुर्गा का विशेषण / स्मितम्' में 6- थोड़ा, अल्प, जरा सा, मन्दोदरी, मन्दर (वि.) मन्द+अर] 1. धीमा, विलम्बकारी, सुस्त दे० 'अमन्द' भी 7. दुर्बल, बलहीन, कमजोर यथा 2. मोटा, सघन, दृढ़ 3. विस्तृत, स्थूल,-र: 1.एक पहाड़ 'मंदाग्नि' में 8. दुर्भाग्यग्रस्त, अभागा 9. मुझाया __ का नाम (इसको समुद्रमंथन के समय देवासुरों ने हुआ 10. दुष्ट, दुश्चरित्र 11. शराब की लत मथानी-रई का डंडा बनाया था, और तब सुधा वाला,-वः 1, शनिग्रह 2. यम का विशेषण 3. सष्टि का मंथन किया था)-पृषतैमन्दरोद्भूतैः क्षीरोर्मय का विघटन 4. एक प्रकार का हाथी-शि० 5 / 49, इवाच्युतम्-रघु० 4 / 27, अभिनवजलधरसुन्दर - दम् (अव्य०) 1. धीमे से, क्रमशः, धीरे-धीरे घृतमन्दर ए—गौत०१ शोभव मन्दरक्षुब्धक्षुभितां-यातं यच्च नितम्बयोर्गरुतया मंदं विलासादिव-श० भोधिवर्णना--शि० 21107, कि० 5 / 80 2. मोतियों 211 2. धीरे 2, हल्के 2, शान्ति से-मन्दं मन्दं नदति (आठ या सोलह लड़ियों का) का हार 3. स्वर्ग पवनश्चानुकुलो यथा त्वाम् --मेघ० 9 3. धीमे-धीमे, 4. दर्पण 5. इन्द्र के नन्दनकानन में स्थित पाँच वृक्षों मंद गति से, मंद स्वर से, हल्केपन से 4. मद्धमस्वर में से एक - मन्दार वक्ष, दे० मंदार / सम०-आवासा, में, गहराई के साथ (मन्दी कृ ढीलढाल करना,-मन्दी- -वासिनी दुर्गा का विशेषण / कृतो वेगः-श०१, मन्दी भू ढीला होना, कम ताकतवर मन्दसानः मन्द-+-सानच] 1. अग्नि 2. जीवन 3. निद्रा होना) / सम०-अक्ष (वि०) कमजोर आँखों वाला ('मन्दसानु' भी लिखा जाता है)। (-क्षम् ) लज्जा का भाव, लज्जाशीलता, शर्मीलापन, मन्दाकः [मन्द-+आक] धारा, नदी। --अग्नि (वि०) दुर्बल पाचन शक्ति वाला, (ग्निः) मन्दाकिनी मन्दमकति-अक+णिनि-+-डी] 1. गंगा अग्निमांद्य, पाचनशक्ति की मंदता,--अनिलः मदु पवन, नदी-मन्दाकिनी भाति नगोपकण्ठे मुक्तावली कण्ठगतेव ---असु (वि०) दुर्वल श्वास वाला,-आकान्ता एक भूमेः-रघु० 13148, कु० 1129 2. स्वगंगा, वियद्गंगा छंद का नाम, दे० परिशिष्ट १,--आत्मन् मन्दबुद्धि (मंदाकिनी वियद्गङ्गा)-मन्दाकिन्याः सलिलशिशिरः वाला, मूर्ख, अज्ञानी--मन्दात्मानजिघक्षया मल्लि०, सेव्यमाना मरुद्धिः -मेघ 67 / / ---आदर (वि०) !. कम आदर प्रदर्शित करने वाला, मन्दायते (ना० धा० आ०) 1. शनैः शनैः चलना, विलंब अवज्ञा करने वाला, लापरवाह 2. असावधान,-उत्साह करके चलना, पिछड़ना, मटरगश्त करना, देर लगाना (वि०) हताश, उत्साहहीन-मन्दोत्साहः कृतोऽस्मि --मन्दायन्ते न खलु सुहृदामभ्यपेतार्थकृत्या:-मेघ० 40, मृगयापवादिना माधव्येन-श०२,-उदरी रावण की विक्रम० 3 15 2. दुर्बल होना, कृश होना, धुंधला पत्नी का नाम, पाँच सती स्त्रियों में से एक--४० होना--रघु० 4 / 49 / अहल्या,-उष्ण (वि०) कोष्ण, गुनगुना (–णम्) मन्दारः [मन्द+आरक] 1. मंगे का पेड़, इंद्र के नन्दनकोष्णता, गुनगुनापन,-औत्सुक्य (वि०) धीमी काननस्थित पाँच वृक्षों में से एक--हस्तप्राप्यस्तबकनउत्सुकता वाला, परामुख, रुचिशून्य-मन्दौत्सुक्योड मितो बालमन्दारवक्ष:--मेघ 75, 67, विक्रम 0 4 / 35 स्मि नगरगमन प्रति--श० १,-कर्ण (वि०) कुछ 2. आक का पौधा, मदार वृक्ष 3. धतूरे का पौधा बहरा, सुक्ति----बधिरान्मन्दकर्णः श्रेयान् , 'अभाव की 4. स्वर्ग 5. हाथी,--रम् मूंगे के वृक्ष का फूल-कु. अपेक्षा कुछ होना अच्छा है'-कान्तिः चन्द्रमा, 5 / 80, रघु० 6 / 23 / सम०-माला मंदार के फूलों ---कारिन् (वि०) धीमे 2 काम करने वाला, गः की माला--मंदारमाला हरिणा पिनद्धा--श० 72, शनि,..... गति, -गामिन् (वि.) शनैः 2 चलने वाला, ---षष्ठी माघसुदी छठ। धीमी गति वाला,--चेतस् (वि.) 1. मन्दबुद्धि, मूर्ख, मन्दारकः मन्दारवः, मन्दारुः[मन्दार कन, मन्द | आरू मूढ 2. अन्यमनस्क 3. मोलु, अचेत,---छाय (वि.) +अच्, मन्द | आरू ] मंगे का वृक्ष दे० 'मंदार'। धुंधला, मद्धम, आभाशून्य ---मेघ०८०,--जननी शनि | मन्दिमन (40)मन्द |-इमनिन् / 1. धीमापन, विलंबकी माता,--धी,---प्रज्ञ, मति,- मेधस् मंद बुद्धि, कारितां 2. सुस्ती, जड़ता, मूर्खता। मूर्ख, मूढ़, भागिन्,-भाग्य (वि०) भाग्यहीन, मन्दिरम् [ मन्द्यतेऽत्र मन्द +-किरच् ] 1. रहने का स्थान, दुर्भाग्यग्रस्त, अभागा, दयनीय, बेचारा,--रश्मि (वि.)। आवारा, महल, भवन-कु० 7155, भट्टि० 8 / 96, For Private and Personal Use Only