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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 774 ) मनोमय (वि.) [मनस्+मयद] मानसिक, आत्मिक / / जीवन्ति जना मनागमन्त्रा:-भामि०१११११, अचिन्त्यो सम० - कोशः, --बः आत्मा को आवृत करने वाले हि मणिमंत्रौषधीनां प्रभावः .. रत्न० 2, रघु० 2 / पांच कोषों में से दूसरा कोष / 32, 5 / 57 4. (प्रार्थना परक) यजुस् जो किसी मन्तुः [मन्+तुन्] 1. दोष, अपराध---मुधैव मन्तुं परि- देवता को उद्दिष्ट करके बोला गया हो -'ओं नमः कल्प्य भामि० 2 / 13 2. मनुष्य, मानवजाति, तुः शिवाय' आदि 5. गुप्तवार्ता, मंत्रणा, परामर्श, उप(स्त्री०) समझ / देश, संकल्प, योजना तस्य संवृतमन्त्रस्य -- रघु० मन्त (पृ.) [मन् +तृच्] ऋषि, मुनि, बुद्धिमान्, 120, 17 / 20, पंच० 20182, मनु० 7.18 मनुष्य, परामर्शदाता, सलाहकार / 6. गुप्त योजना या मंत्रणा, रहस्य / सम-आराधनम् मन्त्र चरा०आ०मंत्रयते, कभी कभी 'मन्त्रयति' भी, मन्त्रित) मोहन परक या आवाहन के मंत्रों से सिद्धि की चेष्टा 1. सलाह लेना, विचार करना, सोच विचार करना, --- मन्त्राराघनतत्परेण मनसा नीता: श्मशाने निशा: मन्त्रणा करना, परामर्श लेना-न हि स्त्रीभिः सह --भर्त० 314, - उदकम्,-जलम, तोयम् - वारि मन्त्रयितुं युज्यते- पंच० 5, मनु० 7 / 146 2. उपदेश (नपुं०) मंत्रों द्वारा अभिमंत्रित जल, मंत्र पढ़कर देना, सलाह देना, परामर्श देना-- अतीतलाभस्य च पवित्र किया हुआ पानी, उपष्टम्भः परामर्श द्वारा रक्षणार्थं यन्मन्यते ऽसौ परमो हि मन्त्रः-पंच. समर्थन करा,---करणम् 1. वेदपाठ 2. सस्वर वेदपाठ 2 / 182 3. वेदपाठ को अभिमंत्रित करना, जाद से करना,-कारः वैदिक सूक्तों का कर्ता, कालः मंत्रणा मुग्ध करना 4. कहना, बोलना, बातें करना, गन- या परामर्श का समय, कुशल (वि.) परामर्श देने गुनाना-किमपि हृदये कृत्वा मत्रत्येथे---०१, किमे- में चतुर,... कृत् (पुं०) वैदिक सूक्तों का प्रणेता या काकिनी मन्त्रयसि-श०६, हला संगीतशालापरिस- रचयिता --रघु० 5 / 4, 261, 15 / 31 2. वेद पाठी रेऽवलोकिता द्वितीया त्वं किं मन्त्रयन्त्यासी: - मा० 2, 3. सलाहकार, परामर्शदाता 4. राजदूत, गण्डकः अनु-,1. अभिमंत्रित करना, जादू करना --विसृष्टश्च ज्ञान, विशान,-गुप्तिः (स्त्री०) गुप्त सलाह,---गूढ़: वामदेवानुमन्त्रितोऽश्वः-उत्तर० 2 2. आशीर्वाद गुप्तचर, गुप्तदूत या अभिकर्ता,-जिह्वः अग्नि-शि० देकर बिदा करना -रथमारोप्य कृष्णेन यत्र कर्णोऽन- 21107, ...-शः 1. सलाहकार, परामर्शदाता 2. विद्वान् मन्त्रित:-महा०, अभि----,1. वेदमंत्रों द्वारा अभिमंत्रित ब्राह्मण 3. गुप्तचर, दः, - दात (पुं०) आध्याकरना, पशुरसौ योऽभिमन्य ऋतौ हत:--अमर०, त्मिक गुरु या आचार्य, दर्शिन् (पुं०) 1. वैदिक याज्ञ० 2 / 102, 3 / 326 2. मुग्ध करना, मोहना, सूक्तों का द्रष्टा 2. वेदों में निष्णात ब्राह्मण, आ---.1, बिदा करना, विसर्जन करना, --आमन्त्रयस्व -दीधितिः अग्नि,- दश (पुं०) 1. वैदिक सक्तों सहचरम् --- श० 3, कु. 6 / 94 2. बोलना, बुलाना, का द्रष्टा, ऋषि 2. परामर्शदाता, सलाहकार,- देवता कहना, संबोधित करना, वार्तालाप करना तमामन्त्र- मन्त्र द्वारा आहूत देवता,--धरः सलाहकार,-निर्णयः यांबभूव-का० 81, वेणी०१ 3. कहना, बोलना मंत्रणा के पश्चात् अन्तिम निर्णय, ..पूत (वि.) मंत्रों - परिजनोऽप्येवमामन्त्रयते . का. 195, भट्रि० द्वारा पवित्र किया हुआ, -प्रयोग: मंत्रों का प्रयोग, 9 / 98 4. बुलाना, निमंत्रित करना, उप-उपदेश -बी (वी) जम् मंत्र का प्रथमाक्षर,---भेदः गुप्त देना, उकसाना, फुसलाना, नि-न्योता देना, बलाना, परामर्श का प्रकट कर देना, भेद खोल देना, - मूर्तिः बुला भेजना-दिग्भ्योनिमन्त्रिताश्चैनमभिजग्ममहर्षयः शिव का विशेषण, मूलम् जादू,-,यन्त्रम् जादू के ----- रघु० 1559, 11432, याज्ञ० 1225, संकेत से युक्त एक रहस्यमूलक रेखाचित्र, ताबीज़, -,जादु से अभिमंत्रित करना सम् , सलाह करना, ---योगः 1. मंत्रों का प्रयोग 2. जादू,... वर्जम् परामर्श या सलाह लेना,--मम हृदयेन सह संमन्त्रोक्त- (अव्य०) बिना मंत्र बोले,-बिद् दे० ऊ० 'मंत्रज्ञ', वानसि- - मुद्रा० 1 / --विद्या मंत्रविज्ञान, जादू, संस्कारः वेदपाठ से मन्त्रः [ मन्त्र+अच ] 1. (किसी भी देवता को संबोधित) यक्त कोई संस्कार या अनुष्ठान,-संहिता वेद के वैदिक सक्त या प्रार्थनापरक वेद मंव, (वेद का पाठ समस्तसक्तों का संग्रह,-- साधकः जादूगर, बाजीगर, तीन प्रकार का है-यदि छन्दोबद्ध और उच्चस्वर से -साधनम् 1. जादू द्वारा वश में करना, या कार्य बोला जाने वाला है तो ऋक है, यदि गद्यमय और सिद्धि 2. मोहनमंत्र, आवाहनमत्र-साध्य (वि.) मन्दस्वर से बोला जाने वाला है तो यजुस् है, और जादु के मंत्रों से वशीकरण या कार्य सिद्धि के योग्य यदि छन्दोबद्धता के साथ मेयता है तो सामन् है) 2. मंत्रणा द्वारा प्राप्य,--सिद्धिः (स्त्री०) 1. किसी 2. वेद का संहिता पाठ (ब्राह्मण भाग को छोड़कर) मंत्र की क्रियाशीलता, या सम्पन्नता 2. मंत्रज्ञान से 3.मोहन, वशीकरण तथा आवाहन के मंत्र,- न हि / प्राप्त होने वाली शक्ति,--स्पश (वि.) मन्त्रों द्वारा For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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