________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir घबड़ा जा11. घूमन होना, घूम गलत ( 756 ) अjः [भ्रुवा अ॒शो भाषणं यस्य ब० स०, अकारादेशः] | विस्मित होना---भग० 16 / 16, (प्रेर०) घबरा देना, स्त्री की वेशभूषा में नट (नाटक का पात्र) / उद्विग्न करना प्रभामत्तश्चन्द्रो जगदिदमहो विभ्रमभ्रल (भ्वा० उभ० भ्रक्षति-ते) खाना, निगलना। यति-काव्य० 10, सम-, 1. घूमना, टहलना भ्रज्जनम् [भ्रस्+ल्युट तलने की क्रिया, भूनना, सेकना। 2. गलती पर होना, व्याकुल होना, उद्विग्न होना, भ्रण (म्बा० पर० भ्रणति) शब्द करना / अभंगः= दे० भ्रूभंगः / भ्रमः [ भ्रम्+घा ] 1. घूमना, टहलना, चहलकदमी करना 2. चक्कर खाना, आवतित होना, घूम जाना भ्रम (भ्वा०, दिवा० पर० भ्रमति, भ्रम्यति, भ्राम्यति, 3. चक्राकार गति, परिक्रमा 4. भटकना, विचलित भ्रान्त) 1. इधर उधर घूमना, हिलना-जुलना, मारा होना 5. भूल, गलती अशुद्धि, गलतफहमी, भ्रान्ति मारा फिरना, टहलना, (आलं से भी)-भ्रमति भुवने -शुक्तौ रजतमिति ज्ञानं भ्रमः 6. गड़बड़ी, व्याकुकन्दर्पाज्ञा मा० 1114, मनो निष्ठाशून्यं भ्रमति च लता, उलझन 7. भंवर, जलावर्त 8. कुम्हार का चक्र किमप्यालिखति च-३१, (बहुधा स्थान में कर्म) 9. चवकी का पाट 10. खराद 11. पूणि 12. फौवारा, भवं बभ्राम... दश०,-दिङमण्डलं भ्रमसि मानस चाप जल प्रवाह / सम---आकुल (वि.) घबराया हुआ, लेन-भर्तृ० 3177, इसी प्रकार भिक्षा भ्रम् 1. इधर -आसक्त सिकलीगर, शस्त्रमार्जक / / उधर मांगते फिरना 2. मुड़ना, चक्कर काटना, घूमना, भ्रमणम् [ भ्रम् + ल्युट ] 1. इधर-उधर घूमना, टहलना बर्तलाकार गति होना---सूर्यो भ्राम्यति नित्यमेव 2. मुड़ना, क्रान्ति 3. विचलन, पथभ्रंशन : कांपना, गगने-भर्तृ० 2195, भ्रमता भ्रमरेण--गीत०३, डगमगाना, चंचलता, लड़खड़ाना 5. गलती करना 3. भटक जाना, भटकाना, इधर-उधर होना, विच 6. घूर्णन, घुमेरी,-णी 1. एक प्रकार का खेल 2. जोक / लित होना 4. डगमगाना, लड़खड़ाना, डांवाडोल होना, संदेह की अवस्था में होना, झिझकना - मा० | भ्रमत् (वि.) [ भ्रम् + शतृ ] घूमना, टहलना आदि। 5 / 20 5. भूल करना, भूल में ग्रस्त होना, गलती सम०--कुटी एक प्रकार का छाता। पर होना,- आभरणकारस्तु तालव्य इति बभ्राम भ्रमरः [ भ्रम+करन् ] 1. मधुमक्खी, भौंरा-मलिनेऽपि 6. फुरफुराना, फड़फड़ाना, कांपना, चंचल होना-चक्षु रागपूर्णा विकसितबदनामनल्पजल्पेऽपि, त्वयि चपलेऽपि म्यति--पंच. 4178 7. घेरना, प्रेर० (भ्रमयति च सरसा भ्रमर कथं वा सरोजिनीं त्यजसि-भामि० --ते, भ्रामयति--ते) टहलाना, फिराना, घुमाना, 11100 (यहाँ द्वितीय अर्थ भी सुझाया जाता है) चक्कर दिलाना, आवर्तित करना-भ्रमय जलदानं 2. प्रेमी, सीन्दर्यप्रेमी, लम्पट 3. कुम्हार का चाक, -भोगर्भान् - मा० 9 / 41 2. भुलाना, भ्रम में डालना, - रम् घर्णन, घमेरी। सम० -- अतिथिः चम्पा का गुमराह करना, उलझाना, उद्विग्न करना, झंझट में पौधा,-अभिलीन (वि०) मक्खियों से लिपटा हुआ, डालना, चकरा देना, डांवाडोल करना-बिकारश्च रघु० ३४८,--अलक: मस्तक पर की लट, इष्टः तन्यं भ्रमयति च संमीलयति च - उत्तर० 1135 श्योनाक का वृक्ष,--उत्सवा माधवी लता, --- करण्डकः 3. लहराना, (तलवार) घुमाना, दोलायमान करना मक्खियों से भरी हई पेटी (इसे चोर अपने साथ --लीलारविन्दं भ्रमयाञ्चकार-रघु०६।१३. उद्, रखते है और जब चोरी करने जाते है तो इन मक्खियों 1. भ्रमण करना, इधर उधर घूमना, गड़वड़ा जाना को छोड़ देते है जिससे कि यह बत्ती बुझा दें),--कीट: ---धावत्यभ्रमति प्रमीलति पतत्युद्याति मर्छत्यपि भिरों की जाति,-प्रियः कदम्ब वृक्ष का एक भेद, -गीत०४ 2. भूलना, भूल में पड़ना 3. विक्षुब्ध होना, -बाधा भोरे द्वारा सताया जाना-श० १,---मण्डलम् व्याकुल होना - रघु० 12074,- परि 1. टहलना, मक्खियों (भौरों) का झुंड / घूमना, भ्रमण करना, इधर-उधर हिलना-जुलना | भ्रमरक: [ भ्रमर+कन् ] 1. भौंरा 2. जलावर्त, भंवर, --परिभ्रमसि कि वृथा क्वचन चित्त विश्रम्यताम् -कः,-कम् 1. मस्तक पर लटकने वाली बालों की ---- भत० 31137 2. मंडराना, चक्कर लगाना लट 2. खेलने के लिए गेंद 3. लट्ट / / - परिभ्रमन्मूर्धजषट्पदाकुलै:-कि०५।१४ 3. घुमता, भ्रमरिका [ भ्रमरक+टाप् इत्वम् ] सब दिशाओं में घूमने परिक्रमा करना, मुड़ना, 4. घूमना, मारा मारा बाली। फिरना (कर्म० के साथ) 5. मोड़ना, प्रदक्षिणा भ्रमिः (स्त्री०) [ भ्रम् +इ ] 1. आवर्तन, मोड़, चक्राकरना, वि... , 1. घूमना, इधर उधर चक्कर काटना कार गति, इधर-उधर घूमना, क्रान्ति-उत्तर० 3 / 19, 2. मंडराना, आवर्तित होना, चक्कर खाना 3. उड़ा 6 / 3, मा० 5 / 23 2. कुम्हार का चाक 3. खैरादी की देना, तितर वितर करना, इधर उधर बखेरना खराद 6. भंवर 5. बवंडर 6. गोलाकार सैनिक क्रम4. गडबड़ा जाना, अव्यवस्थित होना, व्याकुल होना, / व्यवस्था 7. भूल, गलती। For Private and Personal Use Only