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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 738 ) पदोच्चय की) 2. विषय-सामग्री, - आकृतम मन के भावना, निष्टा पंच० 5 / 105 5. मनन, अनुध्यान, (गुप्त) विचार अमरु 4, आत्मक (वि०) वास्त- भावात्मक चितन 6. कल्पना, प्राका-कल्पना 7. निरीविक, यथार्थ,--आभासः भावना का अनुकरण, बनावटी क्षण, गवेषणा 8. निश्चयन, निर्धारण-याज्ञ० 2 / 149 या मिथ्या संवेग,- आलीना छाया, एकरस (वि०) 9. याद करना, प्रत्यास्मरण 10. प्रत्यक्ष ज्ञान, संज्ञान केवल (निष्कपट) प्रेम के रस से प्रभावित कु० 11. (तर्क० में) प्रत्यक्ष ज्ञान से उत्पन्न स्मति का ५।८२.--गम्भीरम् (अव्य०) 1. हृदय से, हृदयतल से कारण-दे०, तर्क० में 'भावना' और 'स्मृति' 12. प्रमाण 2. गंभीरता के साथ, संजीदगी से, गम्य (वि.) मन प्रदर्शन, यक्ति 13. सिक्त करना, सराबोर करना, से जाना हुआ-मेघ० 85, ग्राहिन् (वि०) 1. आशय किसी सूखे चूर्ण को रस से भिगोना 14. सुवासित को समझने वाला 2. मनोभाव की कदर करने करना, फलों और सुगंधित द्रव्यों से सजाना / वाला,जः कामदेव,-ज्ञ विद (वि.) हृदय को भावाट: [ भावं भावेन वा अटति ..अट / अण, अच् वा ] जानने वाला,--दशिन् (वि०) दे० 'भालदशिन्', 1. संवेग, आवेश, मनोभाव 2. प्रेम की भावना का बाह्य —बन्धन (वि.) हृदय को मुग्ध करने वाला या बांधने संकेत 3. पुण्यात्मा या पुण्यशील व्यक्ति 4. रसिक वाला, हृदयों की कड़ी को जोड़ने वाला- रघु० व्यक्ति 5. अभिनेता 6. सजावट, वेशभूषा / 3124,- बोधक (वि.) किसी भी भावना को प्रकट भाविक (वि०) (स्त्री० को) 1. प्राकृतिक, वास्तविक, करने वाला, - मिश्रः योग्य व्यक्ति, सज्जन पुरुष अन्तहित, अन्तर्जात 2. भावुकतापूर्ण, भावुकता या (नाटकों में प्रयुक्त), रूप (वि०) वास्तविक, यथार्थ, भावना से व्याप्त 3. भावी समय,-कम 1. उत्कट प्रेम -वचनम् भावात्मक विचार को प्रकट करने वाला, से पूर्ण भाषा 2. (आलं0 में) एक अलंकार का नाम क्रिया की भावाशयता को वहन करने वाला,- वाचकम जिरामें भूत और भविष्यत् का इस विशदता से वर्णन भाववाचक संज्ञा,-शबलत्वम नाना प्रकार के सवेगों किया गया हो कि वस्तुतः वर्तमान प्रतीत हो। मम्मट और भावों का मिश्रण (भावानां बाध्यबाधकभाव- की दी हुई परिभापा--प्रत्यक्षा इव यद्भावाः क्रियन्ते मापन्नानामदासीनानां वा व्यामिश्रणम्-रस० तद्गत भूतभाविनः, तद्भाविकम् -- काव्य० 10 / उदाहरण दे०),--शन्य (वि.) यथार्थ प्रेम से रहित, हित, भावित (भ० क. कृ०) [भू+णिच+वत] 1. पैदा --सन्धिः दो संवेगों का मेल या सह-अस्तित्व----(भाव किया गया, उत्पादित 2. प्रकटीकृत, प्रदर्शित, निदर्शित सन्धिरन्योन्यानभिभूतयोरन्योन्याभिभावनयोग्ययोः / -भावितविषवेगविक्रियः दश. 3. लालन-पालन सामानाधिकरण्यम्-रस० दे० तद्गत उदाहरण), किया गया, पाला पोसा गया 4 संव्यक्त किया गया, --समाहित (वि०) भावमनस्क, भक्त,-सर्गः मानसिक कल्पना किया गया, कल्पित, कल्पना में उपन्यस्त सृष्टि अर्थात् मानव की मनश्शक्तियों की सष्टि और 5. चिन्तित, मनन किया गया 6. बनाया गया, रूपाउनका प्रभाव (विप० भौतिक सर्ग या भौतिक सष्टि), न्तरित किया गया 7. मनन द्वारा पावन किया गया-- -स्थ (वि.) आसक्त, अनुरक्त, कु० ५।५८,-स्थिर दे० भावितात्मन 8. सिद्ध, स्थापित 9. व्याप्त, भरा हुआ, (वि.) मन में दृढ़तापूर्वक जमा हुआ—श० 5 / 2, संतप्त, प्रेरित 10. डबाया गया, सराबोर, मग्न -स्निग्ध (वि.) स्नेहसिक्त, सत्यनिष्ठा पूर्वक 11. सुवासित, सुगंधित 12. मिश्रित,-तम् गुणनप्रक्रिया आसक्त-पंच० 11285 / द्वारा प्राप्त गुणनफल / सम० आत्मन्- बुद्धि भावक (वि०) [भूणिच्+ण्वल ] 1. उत्पादक, प्रका- (दि०) 1. जिसका आत्मा परमात्म-चिन्तन से पवित्र शक 2. कल्याणकारक 3. उत्प्रेक्षक, कल्पना करने हो गया है, जिसने परमात्मा को प्रत्यक्ष कर लिया वाला 4. उदात्त और सुन्दर भावनाओं के प्रति रुचि है 2. विशुद्ध, भक्त, पुण्यशील---पंच० 3166 रखने वाला, काव्यपरकरुचि रखने वाला,-क: 1. भावना 3. चिन्तनशील, मनस्वी. रघु० 1174 4. व्यस्त, मनोभाव 2. मनोभावों (विशेष कर प्रेम के) को व्यापत --शि० 12138 / बाहर प्रकट करना। भावितकम् [भावित+कन्] गुणनप्रक्रिया द्वारा प्राप्त भावन (वि०) (स्त्रो०---नी) [ भू-णिच् + ल्युट] गुणनफल, तथ्यविवरण। उत्पादक–दे. ऊ. भावक,-न: 1. निमित्तकारण भावित्रम् [भू+णि+वन् ] तीन लोक - (स्वर्गलोक, 2. सष्टिकर्ता-मा०९।४ 3. शिव का विशेषण-नम मर्त्यलोक और पाताल लोक)। --ना 1. पैदा करना, प्रकट करना 2. किसी के हितों भाविन (वि.) [भ+ इनि, णिच् ] 1 होनहार, होने को अनुप्राणित करना 3. संप्रत्यय, कल्पना, उत्प्रेक्षा, वाला,--भृत्यभावि-रघु० 11149 2. होने वाला, विचार, धारणा ---मधुरिपुरहमिति भावनशीला-गीत. भविष्य में घटने वाला, आगे आने वाला-- लोकेन 6. या भावनया लयि लीना-४, पंच०३।१६२ 4. भक्ति भावी पितुरेव तुल्यः--रघु० 18138, मेघ० 41 For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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