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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 729 ) करना —जैसा कि 'भग्ननिद्रः' में 6. हराना, परास्त / भट्टार (वि०) [भट्ट स्वामित्वमिच्छति—ऋ-अण् ] करना--क्षत्राणि रामः परिभय रामात् क्षत्राद्यथा 1. श्रद्धास्पद, पूज्य 2. व्यक्तिवाचक संज्ञाओं के साथ भज्यत स द्विजेन्द्रः-नै० 22 / 133, अव---, तोड़ प्रयुक्त होने वाली सम्मानसूचक उपाधि यथा-भट्टारडालना, ध्वस्त करना-कु० 3174, प्र--, 1. तोड़ हरिश्चन्द्रस्य पद्मवन्धो नुपायते-हर्ष। डालना, ध्वस्त करना, धज्जियाँ उड़ाना 2. रोकना, | | भट्टारक (वि० ) (स्त्री०–रिका) [ भट्टार+कन् ] श्रद्धेय, गिरफ्तार करना, निलंबित करना 3. भग्नाश करना, पूज्य--आदि दे० 0 'भट्टार'। सम-वासरः निराश करना। रविवार, ii (चुरा० उभ० ---भञ्जयति ---ते) उज्ज्वल करना, भट्टिनी [ भट्ट+इनि-+ डीप् ] 1. (अनभिषिक्त) रानी, चमकाना। राजकुमारी, (नाटकों में दासियों द्वारा रानी को भञ्जक (वि.) (स्त्री०-जिका) [भञ्+ण्वुल ] तोड़ने संबोधन करने में बहुधा प्रयुक्त) 2. ऊँचे पद की वाला, बाँटन वाला। महिला 3. ब्राह्मण की पत्नी / भजन (वि.) (स्त्री०-नी) [भञ्+ल्युट् ] 1. तोड़ने | भडः [ भण्ड+अच्, नि० नलोपः] विशेष प्रकार की एक वाला, टुकड़े करने वाला 2. गिरफ्तार करने वाला, मिश्र जाति / रोकने वाला 3. भग्नाश करने वाला 4. प्रबल पीडा | भडिलः[ भण्ड+इलच, नि० नलोपः] 1. नेता, योद्धा पहुंचाने वाला,-नम् 1. तोड़ डालना, ध्वस्त करना, 2. टहलुआ, नोकर / विनष्ट करना 2. हटाना, दूर करना, भगा देना | भण (भ्वा० पू० भणति.) 1. कहना, बोलना-परुषोत्तम -तदुदितभयभञ्जनाय यूनाम्-गीत०१० 3. पराजित इति भणितव्ये-विक्रम० 3, भट्टि० 14 / 16 2. वर्णन करना, हराना 4. भग्नाश करना 5, रोकना, विघ्न करना-काव्यः स काव्येन सभामभाणीत-२० 10159 डालना, बाधा पहुँचाना 6. कष्ट देना, पीडित करना, 3. नाम लेना, पुकारना / —नः दांतों का गिरना। भणनम्, भणितम्, भणितिः (स्त्री०) [भण+ल्युट, क्त, भजनकः [भजन+कन्] मुख का एक रोग जिसमें दाँत क्तिन् ] 1. कहना, बोलना, बातें करना, वचन, गिर जाते हैं, होठ टेढ़े हो जाते है। प्रवचन, वार्तालाप-न येषामानन्दं जनयति जगन्नाथ भञ्जरुः [ भ +अरुच् ] मंदिर के पास उगा हुआ वृक्ष / भणिति:---भामि० 4 / 39, 277, श्रीजयदेव भट्ट (भ्वा० पर० भटति, भटित) 1. पोषण करना, भणितं हरिरमितम-गीत० 7, इह रसभणने-तदेव / पालना पोसना, स्थिर रखना 2. भाड़े पर लेना | भण्डi (भ्वा० आ० भण्डते) 1. भर्त्सना करना, छिड़कना 3. मजदूरी लेना i (चुरा० उभ० भटयति-ते) 2. खिल्ली उड़ाना, व्यंग्य करना 3. बोलना 4. उपबोलना, बातें करना। हास करना, मखौल करना ii (चुरा० उ० भटः [ भट्+अच् ] 1. योद्धा, सैनिक, लड़ने वाला -मण्डयति-ते) 1. सौभाग्यशाली बनाना 2. चकमा --तटचातुरीतुरी---- 0 112, वादित्रसष्टिर्घटते देना (शुद्धपाठ--मंट)। भटस्य २२२२-भट्टि० 141101 2. भृतिभोगी, | भण्डः [भण्ड+अच] 1. भांड, मसखरा, विदूषक-त्रयो वेदस्य भाईत सैनिक, भाड़े का टू 3. जातिबहिष्कृत, कारो भण्डधूर्तपिशाचका:-सर्व० 2. एक मिश्रजाति वर्णसंकर 4. पिशाच / का नाम-तु० 'भड'। सम-तपस्विन् (पुं०) भटित्र (वि.) [भट्+इत्र शलाका पर रखकर पकाया बनावटी सन्यासी, ढोंगी, हासिनी वेश्या, वारांगना / गया मांस / भण्डकः [ भण्ड+कन् ] एक प्रकार का खंजन पक्षी। भट्टः [ भट्+तेन् ] 1. प्रभु, स्वामी (राजाओं को संबोधित भण्डनम् [भण्ड-+-ल्युट ] 1. कवच, बख्तर 2. संग्राम, युद्ध करन के लिए सम्मान सूचक उपाधि) 2. विद्वान् 3. उत्पात, दुष्टता। ब्राह्मणों के नामों के साथ प्रयक्त होने वाली उपाधि भंण्डि:-डी (स्त्री०) [भण्ड्+इ, भण्डि+ङीष् ] लहर, –भट्टगोपालस्य पौत्र:-मा० 1, इसी प्रकार 'कुमारिल / तरंग। भट्टः आदि 3. कोई भी विद्वान् पुरुष या दार्शनिक भण्डिल (वि.) [भण्ड+इलच ] सुखद. शुभ, सम्पन्न, 4. एक प्रकार की मिश्र जाति जिसका व्यवसाय सौभाग्यशाली,--ल: 1. अच्छी किस्मत, प्रसन्नता, भाट या चारणों का व्यवसाय अर्थात् राजाओं का कल्याण 2. दूत 3. कारीगर, दस्तकार / स्तुति गान है-क्षत्रियाद्विप्रकन्यायां भट्टो जातोऽनुवाचकः | भदन्तः [भन्द+झच, अन्तादेशः, नलोपश्च] 1. बौद्ध धर्मा5. भाट, बन्दीजन / सम०-आचार्यः प्रसिद्ध अध्यापक नुयायी के लिए प्रयुक्त होने वाला आदर सूचक शब्द या विद्वान पुरुष को दी गई उपाधि 2. विज्ञ,-प्रयागः -भदन्त तिथिरेव न शुध्यति-मुद्रा० 42. बौद्ध भिक्षु / =-प्रयाग, इलाहाबाद / | भदाकः [भन्द्+आक, नलोपः] सम्पन्नता, सौभाग्य। 92 For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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