________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 724 ) का लोक,-क्तु (पुं०) वेदों का व्याख्याता,-वचम् दैनिक पाँच यज्ञों में से एक जिसमें अतिथिसत्कार की ब्रह्म का ज्ञान,-वषः,--वध्या,-हत्या ब्राह्मण की क्रियाएँ सम्मिलित है- मनु० ३।७४,-हृदयः, यम् हत्या,-वर्चस् (नपुं०),--वर्चसम् 1. दिव्य आभा एक नक्षत्र का नाम जिसे अंग्रेजी में कंपेल्ला कहते हैं। या कीर्ति, ब्रह्मज्ञान से उत्पन्न आत्मशक्ति या ब्रह्ममय (वि.)[ब्रह्मन्+यमट्] 1. वेद से युक्त या व्युत्पन्न, तेज (तस्य हेतुस्त्वद् ब्रह्मवर्चसम्---रघु० 1163, वेद या वेदज्ञान से संबद्ध ज्वलन्निव ब्रह्ममयेन तेजसा मनु० 2 / 37, 4 / 94 2. ब्राह्मण की अन्तहित -कु० 5 / 30 2. ब्राह्मण के योग्य, * यम् ब्रह्मा से पवित्रता या शक्ति, ब्रह्मतेज-श० ६,-वर्चसिन्, ! अधिष्ठित अस्त्र। -वर्चस्विन् (वि.) ब्रह्म तेज से पवित्रीकृत, ! ब्रह्मवत् (वि.) [ ब्रह्म+मतुप ] वेदज्ञान रखने वाला। शुद्धात्मा (पुं०) प्रमुख या श्रद्धेय ब्राह्मण,-वर्तः दे० / ब्रह्मसात् (अव्य०) [ब्रह्मन् + साति] 1, ब्रह्म या परमात्मा ब्रह्मावर्त,-वर्षमम् तांबा,-वादिन् (पुं०) 1. जो की स्थिति 2. ब्राह्मणों की देखरेख में। वेदों का अध्यापन करता है, वेदव्याख्याता-- उत्तर० | ब्रह्माणी [ब्रह्मन+ अण+ङीप्] 1. ब्रह्मा की पत्नी 2. दुर्गा 1, मा०१ 2. वेदान्त दर्शन का अनुयायी,-वासः | का विशेषण 3. एक प्रकार का गन्धद्रव्य (रेणुका) ब्राह्मण का आवासस्थल,-विद्-विद (वि०) परमात्मा 4. एक प्रकार का पीतल / को जानने वाला, ब्रह्मज्ञ (पु.) ऋषि, ब्रह्मवेत्ता, ब्रह्मिन (वि.) [ ब्रह्मन+इनि, टिलोपः ] ब्रह्मा से संबद्ध, वेदान्ती,-विद्या ब्रह्मज्ञान,-वि (बि) दुः वेद का 0) विष्णु का विशेषण। पाठ करते समय मुंह से निकलने वाला थूक का छींटा, अशिष्ठ (वि.) [ ब्रह्मन+- इष्ठन, टिलोपः] वेदों का -विवर्धनः इन्द्र का विशेषण,-वृक्षः 1. ढाक का पूर्ण पंडित, अतिशय विद्वान्, या पुण्यात्मा-ब्रह्मिष्ठपेड़, 2. गूलर का वृक्ष,-वृत्तिः (स्त्री०) ब्राह्मण की माधाय निजेऽधिकारे ब्रह्मिष्ठमेव स्वतनुप्रसूतम्-रघु० आजीविका, वृन्दम् ब्राह्मणों की समूह, वेदः 1. वेदों १८।२८,-ष्ठा दुर्गा का विशेषण / / का ज्ञान 2. ब्रह्म का ज्ञान 3. अथर्ववेद का नाम, बनी [ ब्रह्मन+अण-+ङीप 1 ब्राह्मी बटी का -वेविन् (वि०) वेदवेत्ता, तु० ब्रह्मविद्,–ववर्तम् ब्रह्मेशयः [ ब्रह्मणि तपसि शेते-शी+अच्, पृषो साधुः ] अठारह पुराणों में से एक,-व्रतम् सतीत्व या शुचिता 1. कार्तिकेय का विशेषण 2. विष्णु की उपाधि / की प्रतिज्ञा,-शिरस्-शीर्षन् (नपुं०) एक विशिष्ट ब्राह्म (वि०) (स्त्री०-झी) [ ब्रह्मन्+अण, टिलोपः] अस्त्र का नाम,-संसद् (स्त्री०) ब्राह्मणों की सभा, ब्रह्मा, विधाता या परमात्मा से संबद्ध,-रघु० 13 / 60, --सती सरस्वती नदी का विशेषण,-सत्रम् 1. वेद मनु० 2 / 40, भग० 2 / 72 2. ब्राह्मणों से संबद्ध का पढ़ना-पढ़ाना, ब्रह्मयज्ञ 2. परमात्मा में लय होना, 3. वेदाध्ययन या ब्रह्मज्ञान से संबद्ध 4. वेदविहित, -~-सबस् (नपुं०) ब्रह्मा का निवासस्थान,--सभा वैदिक 5. विशुद्ध, पवित्र, दिव्य 6. ब्रह्मा द्वारा ब्रह्मा का दरबार, ब्रह्मा की सभा या भवन,-संभव अधिष्ठित जैसा कि मुहर्त (दे० ब्राह्ममहर्त), या (वि.) ब्रह्मा से उत्पन्न या प्राप्त, (वः) नारद का अस्त्र,मः हिन्दूधर्मशास्त्र के अनुसार आठ प्रकार नामान्तर, सर्पः एक प्रकार का साँप, सायुज्यम् के विवाहों में से एक; जिसमें आभूषणों से अलंकृत परमात्मा के साथ पूर्ण एकरूपता-तु० ब्रह्मभूय, कन्या, वर से बिना कुछ लिये, उसे दान कर दी जाती -साष्टिका ब्रह्म के साथ एक रूपता--मनु० 4 / 232, है (यही आठों भेदों में सर्वश्रेष्ठ प्रकार है)। -सावणिः दसवें मनु का नामान्तर,-सुत: 1. नारद -ब्राह्मो विवाह आय दीयते शक्त्यलकृता-याज्ञ. का नामान्तर, मरीचि आदि 2. एक प्रकार का केतु, 1158, मनु० 3 / 21,27 2. नारद का नामान्तर, -स: 1. अनिरुद का नामान्तर 2. कामदेव का -हम् हथेली का अंगुष्ठमूल के नीचे का भाग नामान्तर,-सूत्रम् 1. जनेऊ या यज्ञोपवीत जिसे 2. वेदाध्ययन / सम.. अहोरात्रः ब्रह्मा का एक ब्राह्मण या द्विजमात्र कंधे के ऊपर से धारणा करते दिन और एक रात,-देया ब्राह्म विवाह की रीति से है 2. बादरायण द्वारा रचित वेदान्तदर्शन के सूत्र, विवाहित की जाने वाली कन्या,-मुहर्तः दिन का -सुनिन् (वि.) जिसका उपनयन संस्कार हो चुका विशिष्ट भाग, दिन का सर्वथा सवेरे का समय हो, यज्ञोपवीतधारी,-सज् (पुं०) शिव का विशेषण, (रात्रश्च पश्चिमे यामे महतों ब्राह्म उच्यते)-ब्राह्म -स्तम्ब संसार, विश्व-महावीर० ३.४८,-स्तेयम् मुहूर्ते किल तस्य देवी कुमारकल्पं सुषुवे कुमारम् अवैध उपायों से उपार्जित वेदज्ञान,-स्वम् ब्राह्मण -रघु० 5 / 36 / की संपत्ति या धनदौलत, याज्ञ० 3 / 212, हारिन् / ब्राह्मण (वि०) (स्त्री०–णी) [ब्रह्म वेदं शद्ध चैतन्य (वि.) ब्राह्मण का धन चुराने वाला, हन् (वि.) वा वेत्त्यधीते वा-अण्] 1. ब्राह्मण का 2. ब्राह्मण बंशहत्यारा, ब्राह्मण की हत्या करने वाला,-हुतम् / के योग्य 3. ब्राह्मण द्वारा दिया गया,—ण: 1. हिंदू For Private and Personal Use Only