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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 722 ) अध्यात्मविद्या 12. वेदों का ब्राह्मणभाग 13. धनदौलत, / - अधिगमः,-- अधिगमनम वेदों का अध्ययन, संपत्ति,—(पुं०) परमात्मा, ब्रह्मा, पावन त्रिदेवों --- अभ्यासः वेदों का अध्ययन, अम्भस् (नपुं०)गोमूत्र, (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) में प्रथम जिनको संसार की - अयणः,-नः नारायण का विशेषण,- अर्पणम् रचना का कार्य सौंपा गया है (संसार की रचना का 1. ब्रह्मज्ञान का अर्पण 2. परमात्मा में अनुरक्ति वर्णन बहुत सी बातों में भिन्न 2 है, मनुस्मृति के 3. एक प्रकार का जादू या मन्त्र,- अस्त्रम् ब्रह्मा से अनुसार यह विश्व अंधकारावत था, स्वयंभू भगवान् अधिष्ठित एक अस्त्र, आत्मभूः घोड़ा,---आनन्दः ब्रह्म ने अंधकार को हटा कर स्वयं को प्रकट किया / सबसे में लीन होने का आत्यंतिक सुख या आनंद ब्रह्मानन्द पहले उसने जल पैदा किया तथा उसमें बीजवपन साक्षाक्रिया- महावीर० 7.31,- आरम्भः वेदों का किया। यह बीज स्वणिम अंडे के रूप में हो गया, पाठ आरंभ करना-मनु० 2071, आवर्तः (हस्तिनापुर जिससे ब्रह्मा (संसार का स्रष्टा) के रूप में वह स्वयं के पश्चिमोत्तर में) सरस्वती और दषद्वती नदियों के उत्पन्न हुआ। फिर ब्रह्मा ने इस अंडे के दो खण्ड बीच का मार्ग * सरस्वती दृषद्वत्योर्देवनद्योर्यदन्तरं, तं किये-जिससे उसने धुलोक और अंतरिक्ष को जन्म देवनिमितं देशं ब्रह्मावर्त प्रचक्षते मन०२।१७, 19, दिया, उसके पश्चात् उसने दस प्रजापतियों (मानस मेघ ४८,---आसनम् गहन समाधि के लिए विशिष्ट पुत्रों) को जन्म दिया जिन्होंने सष्टि के कार्य को पूरा आसन,-- आहुतिः (स्त्री०) प्रार्थनापरक मंत्रों का पाठ, किया / दूसरे वर्णन (रामायण) के अनुसार आकाश स्वस्तिवाचन, दे० ब्रह्मयज्ञ, उज्झता वेदों को भूल से ब्रह्मा का आगमन हुआ। उससे फिर मरीचि का जाना या उनकी उपेक्षा करना---मनु० 11 / 57, जन्म हुआ, मरीचि से कश्यप और कश्यप से फिर (अधीतवेदस्यानभ्यासेन विस्मरणम्-कुल्लू०),- उद्यम् विवस्वान् ने जन्म लिया। विवस्वान् से मनु की वेद की व्याख्या करना, ब्रह्मज्ञानविषयक समस्याओं उत्पत्ति हुई। इस प्रकार मनु ही मानव संसार का पर विचार विमर्श, - उपदेशः ब्रह्मज्ञान या वेद का रचयिता है। तीसरे वृत्तान्त के अनुसार स्वयंभू ने शिक्षण, 'नेत (पुं०) ढाक का वृक्ष,-ऋषिः (ब्रह्मर्पि सुनहरे अंडे को दो खण्डों (नर और नारी) में या ब्रह्म ऋषि) ब्राह्मण ऋपि,---देशः मंडल, जिला विभक्त किया उनसे विराज और मनु का जन्म (कुरुक्षेत्रं च मत्स्याश्च पंचालाः शूरसेनकाः, एप हुआ-तु० कु० 227, मनु० 1132 तथा आगे / ब्रह्मषिदेशो वै ब्रह्मावर्तादनन्तर:-मनु० 2 / 12) पौराणिक कथा के आधार पर ब्रह्मा का जन्म उस --कन्यका सरस्वती का विशेषण,- करः पुरोहित वर्ग कमल से हुआ जो विष्णु की नाभि में उगा था। स्वयं को दिया जाने वाला शुल्क,-कर्मन् (नपुं०) अपनी पुत्री सरस्वती से उसने अवैध संबंध द्वारा सष्टि 1. ब्राह्मण के धार्मिक कर्तव्य 2. यज्ञ के चार मुख्य रचना की। ब्रह्मा के प्रारम्भ में पांच सिर थे, परन्तु पुरोहितों में ब्राह्मण का पद, - कल्पः ब्रह्मा की आयु, एक सिर शिव ने अपनी अनामिका से काट दिया या -काण्डम् ब्रह्मज्ञान से संबद्ध वेद का भाग, काष्ठः तृतीय नेत्र की आग से भस्म कर दिया। ब्रह्मा की शहतूतं का पेड़,-कूर्चम् एक प्रकार की साधना सवारी हंस है। उसके अनंत विशेषण हैं जिनमें से - अहोरात्रोषितो भूत्वा पौर्णमास्यां विशेषतः, पंचगव्यं अधिकांश उसकी कमल में उत्पत्ति का संकेत करते पिबेत् प्रातर्ब्रह्माकूर्चमिति स्मृतम्,--कृत् (वि०) है) 2. ब्राह्मण –श० 4 / 4 3. भक्त 4. सोमयाग में स्तुति करने वाला (पुं०) विष्णु का विशेषण, * गुप्तः नियुक्त चार ऋत्विजों (पुरोहितों) में से एक एक ज्योतिविद् का नाम जो सन् 598 ई० में उत्पन्न 5. धर्मज्ञान का ज्ञाता 6. सूर्य 7. प्रतिभा 8. सात प्रजा हुआ था,-गोलः विश्व,—गौरवम् ब्रह्मा से अधिष्ठित पतियों (मरीचि, अत्रि, अंगिरस्, पुलस्त्य, पुलह, अस्त्र का सम्मान-भट्टि० 9 / 76, (मा भून्मोघो ऋतू और वसिष्ठ) का विशेषण 9. बृहस्पति का ब्राह्मः पाश इति),--प्रन्थिः शरीर का विशिष्ट जोड़, विशेषण 10. शिव का विशेषण / सम-अक्षरम् ब्रह्मगांठ,- ग्रहः, --पिशाचः-पुरुषः,-- रक्षस (नपुं०), पावन अक्षर 'ॐ',-अङ्गभूः घोड़ा, अञ्जलिः वेद पाठ ---राक्षसः एक प्रकार का भूत, पिशाच, ब्रह्मराक्षस करते समय हाथ जोड़ कर सादर अभिवादन जो जीवन भर घणित वृत्ति में संलग्न रहता है दूसरों 2. आचार्य या गुरु का सम्मान (वेद पाठ के आरम्भ की पत्नियों का तथा ब्राह्मणों की संपत्ति का अपहरण तथा समाप्ति पर),--अण्डम् 'ब्रह्मा' का अंडा', करता है (परस्य योषितं हत्वा ब्रह्मस्वमपहृत्य च, बीजभूत अंडा जिससे यह समस्त संसार अरण्ये निर्जले देशे भवति ब्रह्मराक्षसः -- याज्ञ० 3 / 212, या विश्व का उद्भव हुआ-ब्रह्माण्डच्छत्रदण्ड:-दश० 1, तु० मनु० 12 // 60 भी), -घातकः ब्राह्मण की हत्या -पुराणम् 1. अठारह पुराणों में से एक पुराण, करने वाला,-घातिनो ऋतु के दूसरे दिन की रजस्वला ---अभिजाता गोदावरी नदी का एक विशेषण, स्त्री, घोषः 1. वेद का सस्वर पाठ 2. पावन शब्द, For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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