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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 717 ) बिम्बः,-बम् [वी+वन् नि. साधुः] सूर्यमण्डल या चन्द्र- बिल्वकीया [ बिल्व+छ, कुक ] वह स्थान जहाँ बल के मंडल-वदनेन निजितं तव नीलीयते चन्द्रबिम्बमम्बुधरे / पौधे लगाये गए हों। : सुभा०, इसी प्रकार सूर्य, रवि आदि 2. कोई बिस् (दिवा० प० बिस्यति) 1. जाना, हिलना-डुलना गोल या मंडलाकार सतह, मंडल या गोला जैसे 2. उकसाना, प्रेरित करना, भड़काना 3. फेंकना, डाल 'नितम्बबिम्ब' गोलाकार कुल्हा, 'श्रोणीबिम्बः' आदि | देना 4. टुकड़े टुकड़े करना। 3. प्रतिमा, छाया, प्रतिबिंब 4. शीशा, दर्पण 5. कलश बिसम् [ बिस्+क] 1. कमल तंतु 2. कमल की तन्तु 6. उपमित पदार्थ (विप० प्रतिबिंब), बम् एक वृक्ष वाली डंडी-पाथेयमुत्सृज बिसं ग्रहणाय भूयः-विक्रम० का फल (यह जब पक जाता है तो लाल रंग का हो / 4 / 15, बिसमलमशनाय स्वादु पानाय तोयम् --भर्तृ० जाता है, तरुण स्त्रियों के होठों की तुलना इसी से 3 / 22, मेघ० 11, कु० 3 / 17, 3 / 29 / सम० की जाती है)-रक्तशोकरचा विशेषितगुणो बिम्बाधरा- ---कण्ठिका, --कण्ठिन् (पं०) छोटा सारस-कुसुमम्, लक्तकः---मालवि० 3 / 5, पक्वबिंबाधरोष्ठी-मेघ० ----पुष्पम्,–प्रसूनम् कमल का फूल,-जक्षुबिसं धृतवि८२, तु० न० 24 / सम०-ओष्ठ (वि०) (बिंबो कासिबिसप्रसूनाः --शि० 5 / 58, खादिका 'कमल (बौ)ष्ठ) बिंब फल के समान लाल-लाल सुंदर होठों तन्तुओं को खाने वाली,-प्रन्थिः कमलडंडी के ऊपर वाला--मालवि० 4 / 14, (-6ठ:) बिंब फल की की गांठ, छेदः कमल की तंतुमय डंडी का टुकड़ा, भांति ओष्ठ-उमामुखे बिम्बफलाधरोष्ठे-कु० 3 / 67 / -जम् कमल, का फूल, कमल - तन्तुः कमल का रेशा, बिम्बकम् (बिम्ब- कन्। 1. सूर्यमंडल या चन्द्रमण्डल --नाभिः (स्त्री०) कमल का पौधा, पद्मिनी, नासिका 2. बिबफल / एक प्रकार का सारस / बिम्बिका [बिम्ब+ कन्, इत्वम्] 1. मूर्यमंडल या चन्द्रमण्डल | बिसलम् [ बिस ला+क नया अंकूर, अंखवा, कली। 2. बिब का पौधा / / बिसिनी [ बिस--इनि ] 1. कमलिनी, कमल का पौधा बिम्बित (वि०)| बिम्ब-इतच] 1. प्रतिबिंबित, प्रति छाया भर्तृ 0 3136 2. कमल तंतु 3. कमलों का समूह / पड़ी हुई 2. चित्रित / बिसिल (वि.) [बिस इलच बिस से संबद्ध या प्राप्त / बिल् (तु० पर०, चुरा० उभ० बिलति, बेलयति-ते) खंड | बिस्त: [ बिस्+क्त ] (80 रत्तियों के बराबर) सोने खण्ड करना फाड़ना, तोड़ना, बांटना, टुकड़े-टुकड़े का तोल। करना। बिह्मणः (10) विक्रमाकदेवचरित नामक काव्य का बिलम् [बिल्क ] 1. छिद्र, विवर, खूड (हल चलाने से रचयिता। बनी गहरी सीधी रेखा)--खनन्नाखुबिलं सिंहः'' बीजम् [ वि + जन् - ड उपसर्गस्य दीर्घः बवयोरभेद: ] प्राप्नोति नखभंग हि --- पंच० 3 / 17, रघु० 12 / 5, बीज (आलं० से भी) बीज का दाना, अनाज 2. रिक्तस्थान, गत, छिद्र 3. द्वारक, छिद्र, सूराख, –अरण्यबीजांजलिदानलालिता:--कु०५।१५, बीजां4. कंदरा, कोटर--लः इन्द्र के घोड़े 'उच्चैः श्रवा' का जलि: पतति कीटमुखावलीढ:-मच्छ० 119, रघ० नामान्तर / सम०... ओकस (पं०) बिल में रहने 19 / 57, मनु० 9133 2. जीवाणु, तत्त्व 3. मूल, वाला जानवर,—कारिन् (पुं०) चूहा,--योनि (वि०) स्रोत, कारण, बीजप्रकृतिः श० 111, (पाठान्तर) बिलजन्तुओं की नस्ल के जानवर --यत्राश्वा बिल- 4. वीर्य, शुक्र,-कु० 2 / 5, 60 5. किसी नाटक की योनयः-कु० ६।३९,-वासः गंधमार्जार,-वासिन् कथावस्तु का बीज, कहानी आदि,-दे० सा० द० 318. (बिलेवासिन्) (पुं०) साँप / 6. गूदा 7. बीजगणित 8 बीजमंत्र,-जः नींबू का पेड़, बिलंगमः [ बिल-गम् +खच, मम 1 सर्प, साँप / (बीजाक 1. बीज बोना-व्योमनि बीजाकुरुते-भामि० बिलेशयः | बिले शेते-शी+अच, अलक स०] 1. साँप 1298 2. बीज बोने के बाद हल चलाना) / सम० 2. मूसा, चूहा 3. मांद में रहने वाला कोई भी --अक्षरम् मन्त्र का प्रथम अक्षर,-अकूरः बीज का जन्तु। अंकुर- कु० 3.18, न्यायः बीज और अंकुर का बिल्लः | बिल+ला+क नि० अकार लोपः ] 1. गर्त न्याय, दे० 'न्याय' के अन्तर्गत, --- अध्यक्षः शिव का 2. विशेषतः थांवला, आलवाल / सम-सूः दस विशेषण,- अश्वः जननाश्व, सांड घोड़ा,-आढ्यः, बच्चों की माँ। --पूरः,-पूरकः बिजौरा नीबू, चकोतरा, (रम,-रकम्) बिल्वः | बिल् + वन बेल नामक वक्ष-ल्वम् 1. बेल का फल नींबू का फल, उत्कृष्टम् अच्छा बीज,-उवनम् ओला, 2. एक विशेष तोल, पल भर। सम-दंडः शिव का -कर्त (पुं०) शिव का विशेषण,-कोशः,-कोष 1. बीज विशेषण,-पेशिका,-पेशी बेल का छिल्का (जो लकड़ी पात्र 2. कमल का बीजपात्र,-गणितम् बीजगणित के समान कड़ा होता है),-वनम् बेलों का जंगल। / का विज्ञान,-गुप्तिः (स्त्री०) बीजकोश, फली, सेम, For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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