________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 711 ) चूहा, (त्या) वह गाय जिसके बहुत बछड़े बछड़ियाँ / भाषिन् (वि.) मुखर, वाचाल,-मजरी तुलसी का हैं।--अर्थ (वि०) 1. अनेक अर्थों से युक्त 2. बहुत / पौधा,--मत (वि.) बहुत माना हुआ, मूल्यवान्, से उद्देश्य रखने वाला 3. महत्त्वपूर्ण,-आशिन् (वि.) कीमती, सम्मानित,- मतिः (स्त्री०) बड़ा मूल्य, या बहुभोजी, पेटू,--उदकः एक प्रकार का भिक्षु जो मूल्यांकन-कि०७।१५,-मलम् सीसा,-मानः वड़ा अज्ञात नगर में निवास करता है तथा घर घर भिक्षा सम्मान या आदर, ऊँचा मूल्यांकन,-पुरुषबहुमानो मांग कर अपना निर्वाह करता है-तु० 'कुटीचक', विगलित:-भर्त० 3 / 9, वर्तमानकवेः कालिदासस्य -उपाय (वि.) प्रभावी, क्रियावान्,-अच् (वि.) क्रियायां कथं परिषदो बहुमान:-मालवि० 1, विक्रम अनेक ऋचाओं से युक्त, (स्त्री०) ऋग्वेद का नामान्तर, 112, कु. 5 / 31, (नम्) उपहार जो बड़ों द्वारा --एनस् (वि.) अति पापमय,-कर (वि०) अति- छोटों को दिया जाय,-मान्य (वि०) आदरणीय, क्रियाशील, व्यस्त, उद्योगी, (रः) 1. भनी, झाड़ देने माननीय, --माय कलामय, छलयुक्त, द्रोही- पंच. वाला 2. ऊंट, (रो झाडू,-कालम् (अव्य०) बहुत देर १२३२१,--मार्गगा गंगा-रत्न. १३,-मार्गी जहाँ तक,-कालीन (वि०) बहुत समय का, पुराना, प्राचीन, बहुत सी सड़कें मिलती हों,-मत्र (वि.) मधुमेह -कूर्चः एक प्रकार का नारियल का पेड़,-गन्धदा राग से पीडित,-मर्धन (वि.) विष्णु का विशेषण, कस्तूरी, मुश्क,-गन्धा 1. यथिका लता 2. चंपाकली, - मूल्य (वि.) मूल्यवान्, ऊंची कीमत का-मृग --गुण (वि.) 1. अनेक सद्गुणों से युक्त 2. कई (वि०) जहाँ बहुत से मृग हों,-रत्न (वि.) रत्नों प्रकार का, तरह-तरह का 3. अनेक धागों से युक्त, से समुद्ध,-रूप (वि०) 1. अनेक रूपी, बहुरूपी, -जल्प (वि.) बहुभाषी, मुखर, वाचाल,- (वि०) विश्वरूपी 2. चितकबरा, धब्बेदार, रंगविरंगा या बहुत जानकारी रखने वाला, अच्छा जानकार, सुविज्ञ, चारखानेदार, (पः) 1. छिपकली, गिरगिट 2. बाल - तृणम् कोई पदार्थ जो बहुघा घास की भांति हो 3. सूर्य, 4. शिव 5. विष्णु 6. ब्रह्मा 7. कामदेव, अतः महत्त्वशून्य या तिरस्करणीय हो--निदर्शनमसा- -- रेतस् (पुं०) ब्रह्मा का विशेषण,-रोमन् (वि.) राणां लघुर्बहुतृणं नरः-शि० 150, त्वक्कः, स्वच् बहुलोमी, रोंएदार (पु.) भेड़, - लवणम् लुनिया (पुं०) एक प्रकार का भोजवृक्ष,- दक्षिण (वि०) घरती,--वचनम् (व्या० में) एक से अधिक वस्तुओं 1. जिसमें बहुत दान और उपहार प्रस्तुत किया जाय का ज्ञान कराने का प्रकार,-वर्ण (वि.) बहुरंगी, 2. उदार, दानशील,-दायिन् (वि०) उदार, दान- रंगबिरंगा,-वार्षिक (वि.) बहत वर्षों तक रहने शील, उदारतापूर्वक दान देने वाला,-दुग्ध (वि.) वाला,-विघ्न (वि.) अनेक कठिनाइयों से युक्त, बहुत दूध देने वाला, (ग्धः) गेहूँ, (ग्या) बहुत दूध | नाना विघ्नबाधाओं से भरा हुआ,-विष (वि.) देने वाली गाय, दृश्वन् (वि.) बड़ा अनुभवी, अनेक प्रकार का, तरह-तरह का, विविध प्रकार का, जिसने बहुत देखा सुना हो,--दोष (वि.) 1. जिसमें -- वो (बी) जम् शरीफा, बोहि (वि.) बहुत चावलों अनेक दोष हों, बहुत सी त्रुटियाँ हों, अतिदुष्ट पाप- वाला-तत्पुरुष कर्मधारय येनाहं स्यां बहुव्रीहिः-उट पूर्ण 2. अपराधों से युक्त, भयदायी--बहदोषा हि (यहाँ यह समास का नाम भी है), (हिः) संस्कृत के शर्वरी-मृच्छ० ११५८,--धन (वि.) बहुत धनी, चार मुख्य समासों में एक (इसमें दो पद पास-पास धनाढय,-धारम् इन्द्र का वज, - धेनुकम् दूध देने रख दिये जाते हैं, विशेषणात्मक पद (चाहे वह संज्ञा वाली गौओं की बड़ी संख्या,-नादः शंख,-पत्रः प्याज, हो या विशेषण) को पहले रखते हैं, जो दूसरे पद को (त्रम्) अभ्रक, (त्री) तुलसी का पौधा,--पद्,-पाद्- विशेषित करता है, परन्तु वह दोनों पद पृथक्-पृथक्पादः (पु०) बड़ का वृक्ष,-पुष्पः 1. मुंगे का पेड़ अभीष्ट अर्थ का प्रतिपादन नहीं करते, बल्कि मिलकर 2. नीम का वृक्ष,-प्रकार (वि०) बहुत प्रकार का, एक अन्य अर्थ द्योतक शब्द का निर्माण होता है। नाना प्रकार का, विविध प्रकार का,-प्रज (वि०) यह समास विशेषणपरक होता है। परन्तु कभी-कभी बहुत सन्तान वाला, अनेक बच्चों वाला, (जः) इसका प्रयोग संज्ञाओं की भांति किया जाता है जहाँ 1. सूअर 2. मूंज-एक घास,-प्रतिज्ञ (वि.) 1. नाना यह किसी विशिष्ट व्यक्ति के अर्थ में संनियंत्रित होता प्रकार की उक्ति और वाक्यों से यक्त, पेचीदा है उदा० चक्रपाणि, शशिशेखर, पीतांबर, चतुर्मुख, 2. (विधि में) अभियोग पत्र के रूप में जहाँ कई त्रिनेत्र, कुसुमशर आदि,-शत्रुः गोरैया चिड़िया,-पाल्यः प्रकार का शुल्क लगे,-प्रद (वि०) अत्यन्त उदार, खदिरवृक्ष का एक भेद,-शृङ्गः विष्णु का विशेषण, उदार, दाता,-प्रसूः अनेक बच्चों की माँ, प्रेयसी / -श्रुत (वि.) 1. विज्ञ पुरुष, प्रविद्वान्-हि० 111, (वि०) जिसके बहुत से प्रेमी हों,-फल (वि.) पंच० 21, रघु० 15 / 36 2. वेदों का जानकार फलों से समृद्ध, (ल.) कदम्ब का वृक्ष,-बलः सिंह, / -मनु०८।३५०, सन्तति (वि०) अनेक बाल-बच्चों जहाँ कई (वि.) दाता, प्रसव For Private and Personal Use Only