________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 702 ) —साधनम् अभीष्ट पदार्थ की उपलब्धि का उपाय, | विशेष:---सिद्धा०, फाण्टचित्रास्त्रपाणय:-भट्टि०९।१७, उद्देश्य की पूर्ति, - स्नेहः अखरोट का पेड़, हारी (दे० भाष्य)। काली या दुर्गा का विशेषण / फालः,-लम् [ फल-+-अण, फल-+-घञ वा ] 1. हल का फलकम् [फल+कन्] 1. पट्ट, तख्ता, शिला, पटल या . फल, फाली-मनु०६।१६ 2. बालों की मांग निकालना, पट्टी--काल: काल्या भुवनफलके क्रीडति प्राणिशारैः सीमंतभाग नै० १११६,-ल: 1. बलराम का विशेषण -भर्तृ 0 3 / 39, धूत चित्र आदि 2. चपटी सतह 2. शिव का विशेषण 3. नीबू का पेड़, लम 1. सूती --चुंब्यमानकपोल फलकाम् –का० 218, धृतमुग्ध- / कपड़ा 2. जोता हुआ खेत / गंण्डफलकविवभः-गि०९।४७,३७, तु० तट' 3. हाल फाल्गनः | फाल्गुन / अण] 1. महीने का नाम (जो फ़रवरी4. पत्र, पृष्ठ 5. नितंब, कल्हा 6. हाथ की हथेली / मार्च में आता है) 2. अर्जुन का विशेषण महा० में सम०-पाणि (वि०) (योद्धा की भांति) ढाल से / नाम की व्याख्या इस प्रकार है-उत्तराभ्यां फल्गुनीभ्यां सुसज्जित, ----यन्त्रम् भास्कराचार्य द्वारा आविष्कृत नक्षत्राभ्यामहं दिवा, जातो हिमवतः पृष्ठे तेन मा एक ज्योतिविषयक उपकरण / फाल्गुनं विदुः 3. वृक्ष का नाम, जिसे 'अर्जन' कहते फलतः (अव्य०) फल-तसिल] फलस्वरूप, परिणामरूप, हैं / सम०- अनुजः 1. चैत्र का महीना 2. वसंतकाल यथार्थतः। 3. नकुल और सहदेव का विशेषण / फलनम् फल + ल्युट्] 1. फल आना, फलवान होना 2. फल फाल्गुनी [ फाल्गुनी+अण् + ङीप् ] फाल्गुन मास की या परिणाम उत्पन्न करना / पूर्णिमा / सम० भवः बृहस्पति ग्रह का विशेषण / फलवत (वि.) फलमत्प्] 1. फलवान, फलदार | फिरङ्गः (पं०) फिरंगियों अर्थात यरोपियनों का देश / 2 फलदायी, परिणामदर्शी सफल, लाभकारी, ती | फिरङ्गिन् (पुं०) [ फिरंग-1-इनि] फिरंगी, अंग्रेज, 'प्रियंग' नामक लता / यूरोपियन / फलिता फल-इत+टाप] रजस्वला स्त्री। फुकः फु+के+क पक्षी / फलिन् (वि०) फल इनि] फलों से पूर्ण, फलदायी, फु (फ) त् (अन्य 0 ) अनुकरणमूलक शब्द जो प्राय: 'कृ' (आलं. भी) पुष्पिणः फलिनश्चैव वृक्षास्तूभयतः के साथ प्रयक्त होता है, तरल पदार्थों में फेंक मारने स्मृताः-मनु० 1147, मृच्छ० 4 / 10, (पुं० ) से पैदा होने वाली ध्वनि, कभी-कभी इससे घणा सूचित वक्ष। होती है, फु (फ) त् कृ (किसी तरल पदार्थ में) फलिन (वि०) फल+इनच] फलों से पूर्ण, फलदायी, फंक मारना-बाल: पायसदग्धो दध्यपि फत्कृत्य -नः कटहल का पेड़। भक्षयति हि० 41103 / सम० -- कारः, कृतम्, फलिनी,-फली फलिन् / डीप, फल + अच्---ङोप्] प्रियंगु / -कृतिः (स्त्री०) 1. फूंक मारना 2. साँप की फुफकार लता (कवियों के द्वारा इसे 'आम की पत्नी' कहा 3. सी सी करना, सायं सायं की ध्वनि 4. सुबकना गया है-तु० रघु० 8 / 61) / 5. चीन मारना, जोर की चीख, चीत्कार / फल्ग (वि.) [फल-उ, गक च] 1. बिना गदे का, फुप्फुसः, सम् (नपु०) फफड़। रसहीन, तत्त्वरहित, सारविहीन-सारं ततो ग्राह्यम- फुल्ल (भ्वा० पर० फुल्लति, फुल्लित) कली आना, फूलना, पास्य फल्ग--पंच० 112 2. अयोग्य, निरर्थक, | फुलाना, (पुष्प का) खिलना। महत्त्वहीन -शि० 376 3. अल्प, सूक्ष्म 4. निर्मल, फुल्ल (भू० क० कृ०) |फल+ क्त, उत्वं लत्वम् ] 1. फैलाया व्यर्थ 5. दुर्बल, बलहीन, निस्सार,—ल्गुः (स्त्री०) हुआ, खिला हुआ, फूला हुआ- पुष्पं च फुल्लं नव1 वसन्त ऋतु 2. गलर का वृक्ष 3. गया के पास एक मल्लिकायाः प्रयाति कान्ति प्रमदाजनानाम् -- ऋतु० नदी। सम० ---उत्सवः वसन्तोत्सव, होली का त्योहार / 6 / 6, फुल्लारविंदवदनाम् .... चौर० 1 2. फल आना, फल्गुनः [ फल+उनन् , गुक च] 1. फाल्गुन का महीना खिला हआ रघु० 9 / 63 3. विस्तारित, फैलाया 2. इन्द्र का नामान्तर,--नी एक नक्षत्र का नाम ----कु० हुआ, (आँखों की भाँति) खूब खुला हुआ पंच० 7 / 6 / 1 / 136 / सम० लोचन (वि.) (हर्ष से) खिली फल्यम् [फल+यत् ] फूल / हुई आँखों वाला (नः) एक प्रकार का मग / फाणिः, फाणितम् [ फण्+णिच् + इञ , क्त वा ] सीरा, फेट्कारः | फेट् --कृ-घा] चीख, हक (कुत्ते भेड़िये की राब। / ध्वनि)। फाण्ट (वि.) [ फग्+क्त, नि० साधुः सुगम प्रक्रिया | फेणः,-नः स्फिाय-+न, फे शब्दादेशः, पक्षे णत्वम्] 1. झाग, द्वारा निर्मित, आसानी से बनाया हुआ (जैसे काढ़ा), फेन (कफ आदि)-गौरीवक्तभृकुटिरचना या विह-ट:,टम् अर्क, काढ़ा-फाण्टमनायाससाध्यः कषाय- | स्येव फेनैः- मेघ० 50, रघु 0 13 / 11, मनु० 2061 For Private and Personal Use Only