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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 687 ) ऊर्जा या शक्ति, - त्या संन्यासी बनने से पूर्व अपनी / / --अत्ययः जीवन की हानि,-अधिक (वि. ) सारी संपत्ति को दान कर देना / 1. प्राणों से भी प्रिय, 2. सामर्थ्य और बल में श्रेष्ठ, प्राजिकः [ प्र-+-अज् +ठ ] वाज, पक्षी, श्येन / ----अधिनाथः पति,-अधिपः आत्मा,—अन्तः मृत्य, प्राजित, प्राजिन् (पुं०) [प्र+अज्-+-तृच्, प्र+अज् -अन्तिक (वि०) 1. घातक, नश्वर 2. जीवन भर -णिनि ] सारथि, चालक, रथवान्-शि० 1817 / रहने वाला, जीवन के साथ ही समाप्त होने वाला प्राजेशम् | प्रजेशो देवताऽस्य-प्रजेश। अण] रोहिणी नक्षत्र। 3. फांसी का दण्ड (कम् ) वध,--अपहारिन् (वि.) प्राज्ञ (वि.) (स्त्री०-ज्ञा, ज्ञी) [ प्रकर्षण जानाति इति घातक, प्राणनाशक,-अयनम् ज्ञानेन्द्रिय,-आघातः ---ज्ञा-+-क=प्रज्ञ, ततः स्वार्थे-अण् ] 1. मनीषी जोवन का नाश, जीवित प्राणी का वध-भर्तृ 0 3163, 2. बुद्धिमान्, विद्वान्, चतुर-किमुच्यते प्राज्ञः खलु -- आचार्यः राजा का वैद्य,-आद (वि.) घातक, कुमार: उत्तर० 4,- ज्ञः 1. बुद्धिमान् पुरुष तेभ्यः नश्वर, प्राणघातक, आबाधः जीवन को क्षति,-आयामः प्राज्ञा न बिभ्यति वेणी० 2 / 14, भग० 17.14 देवगुणों का मानस-पाठ करते हुए साँस रोकना,-ईशः, 2. एक प्रकार का तोता,-ज्ञा 1. बुद्धि, समझ 2. चतुर -ईश्वरः प्रेमी, पति-अमरु 67, भामि० 2 / 57, या समझदार स्त्री,-ज्ञी 1. चतुर या विदुषी स्त्री -ईशा, ईश्वरी पत्नी, प्रिया, गृहस्वामिनी,-उत्क्र 2. विद्वान् पुरुष की पत्नी 3. सूर्य की पत्नी का नाम / मणम्---उत्सर्गः आत्मा द्वारा शरीर को छोड़ देना, प्राज्य (वि०) प्र+अज् -!-पत्] 1. प्रचुर, पर्याप्त, बहल, मृत्यु,-उपाहारः भोजन, - कृच्छम् जीवन का खतरा, अधिक, बहुत तव भवतु विडोजाः प्राज्यवृष्टि: प्राणों को भय, घातक (वि०) जीवन का नाश प्रजामु-श० 7 / 34, रघु० 1362, शि० 14125 करने वाला,-घ्न (वि०) धातक, जीवन-नाशक,–छेदः 2. बड़ा, विशाल, महत्त्वपूर्ण-प्राज्यविक्रमाः-कु० वघ, हत्या,--त्याग: 1. आत्महत्या 2. मृत्यु,-दम् 2 / 18, अपि प्राज्यं राज्यं तणमिव परित्यज्य सहसा 1. पानी 2. रुधिर,-दक्षिणा प्राणों की भेंट,---दण्डः -गंगा० 5 / फांसी का दण्ड,----दयितः पति,-दानम् प्राणों की भेंट, प्राञ्जल (वि.) [प्र+अञ्ज+अलच्] निश्छल, स्पष्टवक्ता, किसी की जान बचाना,-द्रोहः किसी की जान पर खरा, ईमानदार, निष्कपट / आक्रमण,धारः जीवित प्राणी,-धारणम 1. भरणप्राञ्जलि (वि.) [प्रबद्धा अञ्जलि र्येन-प्रा० ब०]विनम्रता पोषण, जीवन का सहारा 2. जीवनशक्ति,-नायः और सम्मान के चिह्नस्वरूप जिसने अपने हाथ जोड़े 1. प्रेमी, पति 2. यम का विशेषण,-निग्रहः साँस रोकना, श्वासावरोध,--पति: 1. प्रेमी, पति 2. आत्मा, प्राञ्जलिक, प्राञ्जलिन् (वि.) [प्रांजलि+कन, इनि वा] -परिक्रयः जान जोखिम में डालना,--परिग्रहः जीवनदे० 'प्रांजलि' / धारण करना, जीवन या अस्तित्व रखना,-प्रद (वि०) प्राणः [ प्र+अन्+अच, घा वा] 1. सांस, श्वास जीवन देने वाला, जीवन बचाने वाला,-प्रयाणम् 2. जीवन का सांस, जीवनशक्ति, जीवन, जीवनदायी प्राणों का चला जाना, मृत्यु,---प्रियः 'प्राणों के समान वाय, जीवन का मलतत्त्व (इस अर्थ में प्रायः ब०व०, प्यारा प्रेमी, पति,---भक्ष (वि०) वायुपक्षी,-भाक्योकि प्राण गिनतो में पाँच है-प्राण, अपान, समान, स्वत् (पुं०) समुद्र,--भृत् (पुं०) प्राणधारी जन्तु व्यान और उदान)-प्राणरुपक्रोशमलीमसैर्वा-रध० -अन्तर्गतं प्राणभृतां हि वेद-- रघु० २।४३,----मोक्ष२०५३, 12054 3. जीवन के पाँच प्राणों में से पहला णम् 1. प्राणों का चला जाना, मृत्यु 2. आत्महत्या, (जिसका स्थान फेफड़े हैं) भग० 4 / 20 4. वाय, --यात्रा जीवन का सहारा, भरण-पोषण, जोविका अन्दर खींचा हुआ साँस 5. ऊर्जा, बल, सामर्थ्य, .....पिण्डपातमात्रप्राणयात्रां भगवतीम् --मा० १-योनिः शक्ति, जैसा कि 'प्राणसार' में 6. जीव या आत्मा (स्त्री०) जीवन का स्रोत,-रन्ध्रम् 1. मुंह 2. नथना, (विप० शरीर) 7. परमात्मा 8. ज्ञानेन्द्रिय,-मन ----रोधः 1. श्वासावरोध 2. जीवन को खतरा, 4 / 140 9. प्राणों के समान आवश्यक या प्रिय, प्रिय -विनाशः,-विप्लवः जीवन की हानि मृत्यु,-वियोग: व्यक्ति या पदार्थ, कोश-कोश: कोशवतः प्राणाः प्राणाः शरीर से आत्मा का विच्छेद, मृत्यु,---व्ययः प्राणों का प्राणा न भूपते:--हि०२।९२, अर्थपतेविमर्दको बहि- उत्सर्ग, --संयमः सांस का रोकना,-संशयः,-संकटम् श्चरा: प्राणाः-दश. 10. कविता का सत्, काव्य- -संदेहः जीवन को खतरा, जीवन को भय, भीषण मयी प्रतिभा, स्फूर्ति 11. महत्त्वाकांक्षा, श्वासग्रहण खतरा,-समन् (नपुं०) शरीर, सार (वि०) जीवन -जैसा कि महाप्राण और अल्पप्राण में 12 पाचन ही जिसका बल है, सामर्थ्य से युक्त, बलवान, बलिष्ठ 13. समय का मापक सांस 14. लोबान, गोंद / समक -गिरिचर इव नाग: प्राणसार (गात्रम्) बिभर्ति —अतिपातः जी वित प्राणी का वध, जान लेना, ! श० २१४,-हर (वि.) 1. प्राणघातक, जीवन का अप For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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