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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रसरणम् [ प्र-स+ल्युट ] 1. आगे जाना, दौड़ना, बहना / प्रचण्डता के साथ, जबरदस्ती-प्रसह्य मणिमुद्धरेन्मकर 2. बच निकलना, भाग जाना 3. दूर तक फैलाना वक्तदंष्ट्राङ्कुरात् भर्तृ० 2 / 4, शि० 127, 4. शत्रु को घेरना 5. सौजन्य / 2. अत्यधिक, अत्यंत / प्रसरणिः,---णी [प्र.+स+अनि, प्रसरणि+डीप्] शत्रु | प्रसातिका [प्रगता सातिः (नाश०) सो+क्तिन् -- यस्याः को घेर लेना। -- प्रा० ब०, का+टाप्] एक प्रकार का चावल प्रसर्पणम् [प्रसप् + ल्युट ] 1. चलना, सरकना, आगे (छोटे दानों वाला)। बढ़ना 2. व्याप्त करना, सब दिशाओं में फैलना।। प्रसादः [प्र+सद्घञ] 1. अनुग्रह, कृपा, दाक्षिण्य, प्रस (श) ल: [प्र+शल+अच, पक्षे पुषो० शस्य सः] कल्याणकारिता - कुरु दृष्टिप्रसाद 'कृपा दर्शन दीजिए', हेमंत ऋतु / इत्याप्रसादादस्यास्त्वं परिचर्यापरो भव -- रघु० 1119, प्रसवः [प्र+सू+अप्] 1. जन्म देना, जनन, प्रसूति, 2 / 22 2. अच्छा स्वभाव, स्वभाव में करुणाशीलता जन्म, उत्पादन 2. बच्चे का जन्म, गर्भ मोचन, प्रसूति 3. धीरता, शान्ति, मन की स्वस्थता, सौम्यता, गांभीर्य, -यथा 'आसन्नप्रसवा' में 3. सन्तान, प्रजा, छोटे बच्चे, उत्तेजना का अभाव-भग० 2164 4. स्वच्छता, बालक-केवलं वीरप्रसवा भया:--उत्तर० 1, कू० निर्मलता, उज्ज्वलता, पारदर्शिता, (पानी या मन 7.87 4. स्रोत, मूल, जन्मस्थान (आलं० से भी) आदि की) पवित्रता-गङ्गा रोधःपतनकलुषा गृहृतीव कि० 2 / 43 5. फूल, मंजरी-प्रसवविभूतिषु भूरुहां प्रसादम् ---विक्रम० 118, श० 732, प्राप्तबुद्धिविरक्त:-शि०७।४२, नीता लोध्रप्रसवरजसा पाण्डुता- प्रसादा:-शि० 11 // 6, रघु० 17.1, कि० 9 / 25, मानने श्री:-मेघ०, कुंदप्रसवशिथिलं जीवितम्-११३, 5. प्रसादगुणयुक्तता, शैली की विशदता, मम्मट के रघु० 9 / 28, कु. 1155, 414, 14, 85, 9, मा० अनुसार, तीन गुणों में एक-प्रसाद गण, परिभाषा९।२७, 31, उत्तर० 220 6. फल, उत्पादन / शुष्कॅन्धनाग्निवत् स्वच्छजलवत्सहसैव यः, व्याप्नोसम०-उन्मुख गर्भ से मुक्त होने वाला, उत्पन्न होने त्यन्यत्प्रसादोसौ सर्वत्र विहितस्थिति:-काव्य०८, वाला पतिः प्रतीतः प्रसवोन्मुखीं प्रियां ददर्श-रघु० यावदर्थकपदत्वरूपमर्थवैमल्यं प्रसादः, या श्रुतमात्रा ३।१२,-गृहम् प्रसूतिकागृह, जच्चाघर,-धर्मिन् (वि०) वाक्याथ करतलबदरमिव निवेदयन्ती घटना प्रसादस्य उपजाऊ, उर्वर, बन्धनम् फूल या पत्ते की डंठल, - रस०, दे० काव्या० 1145, सा० द. 611 भी वृन्त–वेदना,--व्यथा प्रसव काल की पीडा, बच्चा 6. भगवान् की मूर्ति को भोग लगाया हुआ नैवेद्य का जनने का कष्ट,-स्थली माता,-स्थानम् 1. प्रसूतिका- अवशिष्ट 7. चढ़ावा, पुरस्कार 8. शान्तिकर भेंट गृह, 2. जाल। 9. कुशल, क्षेम। सम-उन्मुख (वि०) अनुग्रह प्रसवकः [प्रसबेन पुष्पादिना कायति शोभते - प्रसव+के करने के लिए तत्पर ... पराङ्मुख (वि.) 1. अनुग्रह +क] पियाल वृक्ष, चिरौंजी का पेड़ / को वापिस खींचने वाला 2. जो किसी के अनुग्रह की प्रसवनम् [ प्रसू+ल्युट्] 1. पैदा करना 2. बच्चे को अपेक्षा न करे,—पात्रम् अनुग्रह का पात्र,-स्थ (वि.) जन्म देना, उपजाऊपन / 1. कृपालु, मंगलप्रद 2. शान्त, तुष्ट, आनंदित / प्रसवन्तिः (स्त्री० [प्र--सू+झिच्, अन्तादेशः] जच्चा स्त्री। प्रसादक (वि.) (स्त्री०-दिका)[प्र+सद्+णिच्+ण्वुल] प्रसवन्ती [प्र+सू+शत+डीप्] जच्चा स्त्री- न पश्येत् 1. पवित्र करने वाला, स्वच्छ करने वाला, स्फटिक प्रसवन्तीं च तेजस्कामो द्विजोत्तमः-मन 0 4 / 44 / सदश विशद करने वाला 2. तसल्ली देने वाला, ढाढस प्रसवितु (पुं०) [प्र+म+त] पिता, प्रजनक / बंधाने वाला 3. आनन्दित करने वाला, खुश करने प्रसवित्री प्रसवित+डीप माता। बाला 4. अनुग्रह करने वाला, प्रसन्न करने वाला। प्रसव्य (वि.) [प्रगतं सव्यात्-प्रा० स०] प्रतिकूल, प्रसादन (वि०) (स्त्री० नी) प्र+सद्+णिच् + ल्युट] न्यत्क्रांत, बायाँ, उलटा। 1. पवित्र करने वाला, स्वच्छ करने वाला, निर्मल या प्रसह (वि.) [प्र+सह -अच] सहनशील, सहिष्ण, सहन विशुद्ध करने वाला-फलं कतकवृक्षस्य यद्यप्यम्बुप्रसादनम् करने वाला, हः 1. शिकारी जानवर या पक्षी -मनु०६।६७ 2. सांत्वना देने वाला, ढाढस बंधाने 2. मुकाबला, सहन शक्ति, विरोध / वाला 3. खुश करने वाला, आनन्दित करने वाला, प्रसहनः [प्र+सह + ल्युट्] शिकारी जानवर या पक्षी, --- नः राजकीय तंबू,-नम् 1. निर्मल करना, पवित्र .. नम् 1. सामना करना, मुकाबला करना 2. सहन करना 2. सांत्वना देना, ढाढस बंधाना, शान्त करना, करना, बर्दाश्त करना 3. पराजित करना, विजय प्राप्त मन स्वस्थ करना, 3. प्रसन्न करना, तुष्ट करना करना 4. आलिंगन, परिरम्भण। 4. कल्याण करना, अनुग्रह करना, -ना 1. सेवा, पूजा प्रसह्य (अव्य०) [प्र+सह + (क्त्वा) ल्यप्] 1. बल पूर्वक, / / 2. निर्मली करण / For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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