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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 678 ) 3. अनुगामी, अनुषक्त 4. स्थिर, तुला हआ, भक्त, | प्रसञ्जनम् [प्र+स +ल्युट्] 1. जोड़ने की क्रिया, व्यस्त, व्यसनग्रस्त, प्रयुक्त-शि० 9/63, इसी प्रकार मिलाना, एकत्र करना 2. व्यवहार में लाना, सबल घत, निद्रा आदि 5. सटा हुआ, निकटस्थ 6. अवि- बनाना, उपयोग में लाना / च्छिन्न, निरन्तर, अनवरत-कि० 4118, रघु० | प्रसत्तिः (स्त्री०) [प्र+स+क्तिन् ] 1. अनुग्रह, कृपा१३१४०, मा० 4 / 6, मालवि० 3.1 7. हासिल, प्राप्त, ___ लुता, शिष्टाचार 2. स्वच्छता, पवित्रता, विशदता / लब्ध,-क्तम् (अव्य०) निरन्तर, लगातार--- कि० / प्रसन्धानम् [प्र-सम्-+-धा+ल्युट ] मिलान, मेल / प्रसन्न (भ० क० कृ०) [प्र+सद+क्त] 1. पवित्र, प्रसक्तिः (स्त्री०) [प्र--सञ्ज + क्तिन् ] 1. आसक्ति, स्वच्छ, उज्ज्वल, निर्मल, विमल, पारदर्शी-कु० 1 // भक्ति, व्यसन, संलग्नता, अनुरक्ति 2. संबंध, संयोग, 23, 7 / 74, श० 5 / 20 2. खुश, आनन्दित, प्रतुष्ट, साहचर्य 3. प्रयोजनीयता, संबंध, प्रयोग जैसा कि शान्तं-गंगा शरन्नयति सिन्धुपति प्रसन्नाम्—मुद्रा० 'अति प्रसक्ति' (अतिव्याप्ति) में 4. ऊर्जा, धैर्य 3 / 9, गम्भीरायाः पयसि सरितश्चेतसीव प्रसन्ने--मेघ० संतापे दिशतु शिवः शिवां प्रसक्तिम् -- कि० 5 / 50 40 (यहाँ प्रथम अर्थ भी अभिप्रेत है), कु० 5 / 35, 5. उपसंहार, घटाना 6. विषय, प्रवचन का विषय रघु० 2 / 68 3. दयालु, अनुग्रहशील, कृपालु, मंगलप्रद 7. संभावना का घटित होना। -----अवेहि मां कामदुधां प्रसन्नाम्-रघु०२।६३ 4. सरल, प्रसंख्या [प्रा० स०] 1. कुल योग, राशि 2. विचार विमर्श / सीधा, स्पष्ट, सुबोध (अर्थ) 5. सत्य, सही--प्रसन्नस्ते प्रसंख्यानम् [प्र+सम्+ख्या+ल्युट्] 1. गिनना 2. तर्कः-विक्रम० 2, प्रसन्नप्रायस्ते तर्क:-मा० 1, विचारण, मनन, गहन चिन्तन, भाव चिन्तन-श्रुता -नाः 1. प्रसादन, अनुरंजन 2. खींची हुई मदिरा / प्सरोगीतिरपि क्षणेऽस्मिन् हरः प्रसंख्यानपरो बभूव सम-आत्मन् (वि०) कृपालमना, मंगलप्रद,--ईरा -कु. 4 / 30 3. कीर्ति, प्रसिद्धि, विश्रुति, नः खींची हुई मदिरा,-कल्प (वि०) 1. शान्त प्राय अदायगी, भुगतान / 2. सत्यप्राय,-मुख-वदन (वि०) कृपालुदृष्टि वाला, प्रसंगः [प्र-+ सञ्+घञ ] 1. आसक्ति, भक्ति, व्यसन, प्रसन्न चेहरे वाला, मुस्कराता हुसा,-सलिल (वि.) संलग्नता–स्वरूपयोग्ये सुरतप्रसंगे-कु० 1119, स्वच्छ पानी वाला। तस्यात्यायतकोमलस्य सततं द्यूत प्रसंगेन किम्-मृच्छ० | प्रसभः [ प्रगता सभा समानाधिकारी यस्मात्----प्रा० ब०] 2 // 11, शि० 1122 2. मेल-जोल, अन्तःसंपर्क, बल, हिंसा, प्रचण्डता–प्रसभोद्धतारिः ---रघु० 230, साहचर्य, संबंध-निवर्ततामस्माद् गणिका प्रसंगात् -भम् (अव्य०) 1. बलपूर्वक, जबरदस्ती, इन्द्रियाणि -मृच्छ० 4 3. अवैध मैथुन 4. व्यस्तता, एकाग्रता, प्रमाथीनि हरंति प्रसभं मनः-भग०२।६०, मनु०८। कार्यपरता-भ्रूविक्रियायां विरतप्रसंगैः-कु. 3 / 47 332 2. बहुत अधिक, अत्यंत-तवास्मि गीतरागेण 5. विषय, शीर्षक (प्रवचन या विवाद का) 6. अवसर, हारिणा प्रसभं हृतः-श० 105, ऋतु० 6 / 25 घटना-दिग्विजयप्रसंगेन--का. 191, यात्राप्रसंगेन 3. आग्रहपूर्वक-भग० 11141 / सम... दमनम् -मा० 1 7. संयोग, समय, अवसर -मनु० 9 / 5 बलपूर्वक दबाना-श० ७१३३,-हरणम् बलपूर्वक 8. देवयोग, घटना, काण्ड, संभावना का होना-नेश्वरी अपहरण / जगतः कारणमुपपद्यते कुतः वैषम्यनैपुण्य प्रसंगात् | प्रसमीक्षणम्, प्रसमीक्षा [प्र+सम्+ई+ल्युट, प्रसम् --शारी०, एवं चानवस्था प्रसंग: तदेव, कु० 7 / 16 +ईक्ष् + अङ्+टाप् ] विचारण, विचारविमर्श, 9. संबद्ध तर्कना, या युक्ति 10. उपसंहार, अनुमान निर्धारण / 11. संबद्ध भाषा 12. अवियोज्य प्रयोग या संबंध प्रसयनम् [प्र+सि+ल्यूट ] 1. बंधन, कसना 2. जाल / (व्याप्ति) 13. माता पिता का उल्लेख (प्रसंगन, प्रसरः [प्र+स-+अप्] 1. आगे जाना, प्रगमन करना प्रसंगतः, प्रसंगात् - यह क्रिया विशेषण के रूप में --- श० 1129 2. मुक्त या निर्बाध गति, मुक्त क्षेत्र, प्रयक्त होकर निम्नांकित अर्थ प्रकट करते है-1. के पहुँच, गति-रघु० 8 / 23, 16 / 20, मुद्रा० 3 / 5, हि. संबंध में 2. के फल स्वरूप, के कारण, क्योंकि, के 11186 3. फैलाव, प्रसार, विस्तर, विस्तार, फैलना रूप में 3. अवसरानुसार 4. के क्रम में (यथा--कथा- --शि० 971 4. विस्तार, आयाम, बड़ी मात्रा प्रसंङ्गेन 'वातचीत के सिलसिले में)। सम-निवारणम शि० 3 / 35 5. प्रचलन, प्रभाव-शि० 3 / 10, भविष्य में इस प्रकार की स्थिति का रोकना, -वशात 6. सरिता, प्रवाह, धारा, बाढ़-पपात स्वेदाम्बुप्रसर (अव्य०) समय के अनुसार, परिस्थितिवश,-विनिवृत्तिः इव हर्षाश्रुनिकरः-गीत० 11 7. समूह, 8. समुच्चय (स्त्री०) इस प्रकार की संकटस्थिति की पुनरावृत्ति युद्ध, लड़ाई 9. लोहे का बाण 10. चाल 11. विनम्र का न होना। याचना / For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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