________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 674 ) प्रवाह-वी [प्र+वल +इन्, प्रवह्नि+ङीष्] दे० / लुढ़कना) 6. क्रियता, सक्रिय व्यस्तता 7. तालाब, 'प्रहेलिका। झील 8. बढ़िया घोड़ा (प्रवाहे मूत्रितम्) नदी में प्रवाच् (वि०) प्रा० ब०] वाग्मी, वक्ता--(कुर्वते) मुतना (शा०), व्यर्थ कार्य करना (आलं.)। जडानप्यनुलोमार्थान् प्रवाचः कृतिनां गिरः-शि० प्रवाहकः [ प्रबह+ण्वुल भूत प्रेत, पिशाच / 2 / 25 2. बातूनी, वाचाल-मुद्रा० 3 / 16 / प्रवाहनम् [प्र+वह +-णिच् + ल्युट्] 1. हांक कर आगे प्रवाचनम् [प्र+बच् +-णिच् + ल्युट्] घोषणा, उद्घोषणा, बढ़ना 2. दस्त कराना। प्रकथन। प्रवाहिका [प्रवह +ण्वुल+टाप, इत्व म्[ दस्त लग प्रवाणम् [प्र+ये+ल्युट्] बुने हुए कपड़ों के किनारों के जाना। गोट लगाना या छांटना या सम्भालना / प्रवाही [प्रवाह -|-डीष्] रेत, बालू / प्रवाणिः,जो (स्त्री.) [प्रवाण+ङीप्, नि० ह्रस्वो वा] | प्रविकीर्ण (भू० क० कृ०)[प्रवि +कृ+क्त] 1. बखेरा जुलाहे की ढरकी। हुआ, इधर उधर छितराया हुआ 2. तितर बितर प्रवात (भू० क० कृ०) प्रकृष्टो वातो यस्मिन्-प्रा०/ ब.] किया हुआ, फैलाया हुआ। तूफान में पड़ा हुआ-तम् 1. वायु का झोका, ताजा प्रविण्यात (भू० क० क०) [प्र+वि०- ख्या-क्त ] 1. हवा-प्रवातशयनस्था देवी मालवि०४ 2. तूफानी नामी, बुलाया हुआ 2. प्रसिद्ध, मशहूर, विश्रुत / हवा, आँधी-ननु प्रवातेऽपि निष्कंपा गिरयः श०६, प्रविख्यातिः प्र+विख्या --क्तिन] मशहरी, कीर्ति, 3. हवादार स्थान, कु० 1146 / प्रसिद्धि / प्रवावः [प्र+व+घञ्] 1. शब्द या ध्यनि का उच्चारण प्रविचयः [प्र-वि+चि-|-अच् ] परीक्षा, खोज, अन 2. अभिधान करना, उल्लेख करना, प्रकथन करना | संधान / 3, प्रवचन, वार्तालाप 4. बात, प्रतिवेदन, अफवाह, प्रविचारः [ प्रा० स० विवेचन, विवेक / किंवदन्ती -- अनुरागप्रवादस्तु वत्सयोः सावलौकिकः प्रविचेतनम् [ प्र-+-वि-+-चित् + ल्युट् ] समझ / मा० 1 / 13, व्याघ्रो मानुषं खादतीति लोकप्रवादो प्रवितत (भू० क० कृ०) [प्र-|-वि-तन्+क्त ] 1. दुनिवारः--हि० 1, रत्न० 45 5. आख्यायिका, बिछाया हुआ, फैलाया हुआ 2. विखरे हुए, अस्तव्यस्त गल्प 6. विवाद संबंधी भाषा 7. चुनौती के शब्द, (बाल)। पारस्परिक विरोध-इत्थं प्रवादं युधि संप्रहारं प्रचक्रतु प्रविवार [प्र-वि-|-द+घञ ] फट कर टुकड़े टुकड़े रामनिशाविहारी-भट्टि० 2 / 36 / होना, खुलना। प्रवारः, प्रवारकः [प्र+वृ+घञ, प्रवार+कत्] चादर, प्रविदारणम् [प्र+वि+द+णिच् + ल्युट् ] 1. फाड़ना, आच्छादन। विदीर्ण करना, तोड़ना, फट कर टुकड़े टुकड़े होना प्रवारणम् [प्र+व+णिच् + ल्युट] 1. (इच्छा) पूर्ण करना। 2. कली लगना 3. संघर्ष, युद्ध, लड़ाई 4. भीड़भाड़, छाँट की प्राथमिकता 3. निषेध, विरोध 4. काम्यदान / गड़बड़ी, हल्ला-गुल्ला। प्रवालः (पुं०) दे० 'प्रबाल:। प्रविद्ध (भू० क० कृ०) [प्र+व्यध्+क्त ] डाला, हुआ, प्रवासः प्र+बस+घञ्] 1. विदेशगमन, विदेशयात्रा, | फेंका हआ। घर पर न रहना, परदेशनिवास -- रघु० 16 / 44 / प्रविQत (भू० क० कृ०) [प्र+वि+दु+वत ] तितरसम-गत, स्थ,---स्थित (वि०) विदेश की यात्रा बितर किया हआ, भगाया हुआ, बखेरा हुआ। करना, घर पर न रहने वाला। प्रविभक्त (भू० क. क.) [प्र-+वि+भज-क्ति ] 1. प्रवासनम् प्र+वस+णिच+ल्युट] 1. विदेश निवास, अलग किया गया, वियुक्त 2. हिस्से किया गया, अस्थायी रूप से वास करना 2. निर्वासन, देशनिकाला, | विभाजन किया गया, बाँटा गया, वितरित किया गया वध, हत्या। -ज्योतींषि वर्तयति च प्रविभक्तरश्मि:--श०७।६। प्रवासिन् (पुं०) [प्रवस् --णिनि] यात्री, बटोही, प्रविभागः [प्र+वि+भज+घञ्] भाग, तकसीम, परदेशी। वितरण, वर्गीकरण----रघु०१६।२ 2. हिस्सा, अंश / प्रवाहः [प्र+वह +घञ्] 1. बहाव, धार बन कर बहना | प्रविरः (पुं०) पीला चन्दन / 2. नदी, पेटा या जलमार्ग, घारा--प्रवाहस्ते वारां प्रविरल (वि०) [प्रा० स० 11. बहुत दूर दूर, वियुक्त, श्रियमयमपारां दिशत् न:-गंगा० 2, रघु० 5 / 46, अलगाया 2. बहुत कम, बहुत थोड़े, स्वल्प, थोड़ा 13 / 10,48, कु. 1154, मेघ०४६ 3. बहाव, -प्रविरला इव मुग्धवधूकथा-रघु० 9 // 34 / बहता हुआ पानी 4. अविच्छिन्नं बहाव, अटूट शृंखला, प्रविलयः [प्र-नविली +अच्] 1. पिघलनकर बह जाना नरन्तर्य 5. घटना क्रम (नदी की धार की भांति 2. पूरी तरह घुल जाना या अवशुष्क हो जाना। For Private and Personal Use Only