________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रत्याश्वासनम् [प्रति+आ+श्वस्+-णिच् + ल्युट् ] ढाढस | करने के लिए) अपने आसन से उठना-मनु० बधाना, सान्त्वना देना / / 210 / प्रत्यासतिः (स्त्री०) [प्रति+आ+सद्+किन्] 1. (समय | प्रत्युस्थित (भू० क.क.) [ प्रति+उद्+स्था+क्त ] और स्थान की दृष्टि से) अत्यंत सामीप्य, संसक्ति "(किसी मित्र या शत्रु आदि को) मिलने के लिए उठा 2. घनिष्ठ संपर्क 3. सादृश्य।। हुआ। प्रत्यासन्न (भू० क. कृ०) [ प्रति+आ+सद्+क्त ] | प्रत्युत्पन्न (भु० क० कृ०) [ प्रति+उ+पद्+क्त] समीप, निकट, संसक्त, सटा हुआ। 1. पुनरुत्पादित, फिर से उत्पन्न 2. उद्यत, तत्पर, प्रत्यास ( सा) रः [प्रति +आ+स+अप, घन वा] फुर्तीला 3. (गणित)गुणा किया हुआ,-मम् गुणा / 1. सेना का पृष्ठभाग 2. एक व्यह के पीछे दूसरा सम०- मति (वि०) समय पर जिसकी बुद्धि ठीक व्यह-ऐसी व्यूह रचना या मोर्चा बन्दी / कार्य करे, हाजिर जबाब 2. साहसी, दिलेर 3. तीव, प्रत्याहरणम् [प्रति-+आ+ह+ल्युट्] 1. वापिस लेना, तीक्ष्ण / पुनः ग्रहण करना, वसूली 2 रोकना 3. ज्ञानद्रियों का प्रत्युवाहरणम् [प्रति+उद्+आ+हल्युट ] मुकाबले नियन्त्रण करना। का उदाहरण, विपक्ष का उदाहरण। प्रत्याहारः [प्रति+आ+ह+घञ ] 1. पीछे हटाना, प्रत्युद्गत (भू. क० कृ०) [प्रति+उ+ गम् +क्त] वापिस चलना, प्रत्यावर्तन 2. पीछे रखना, रोकना अतिथि का स्वागत करने के लिए (सादर अभिवादन 3. इन्द्रिय दमन करना 4. सृष्टि का विघटन या प्रलय स्वरूप) अपने आसन से उठा हुआ . प्रत्युद्गतो मां 5. (व्या० में) एक ही ध्वनि के उच्चारण में कई भरतः ससंन्य:-रघु० 13164,1162 2. किसी के अक्षरों का बोध, सूत्र के प्रथम अक्षर से लेकर अन्तिम विरुद्ध आगे बढ़ा हुआ। सांकेतिक वर्ण तक जोड़ना या कई सूत्रों के होने पर | प्रत्युद्गतिः (स्त्री०), प्रत्युद्गमः, प्रत्युद्गमनम् [ प्रति+ अन्तिम सूत्र के अन्तिम वर्ण तक--यथा 'अ इ उ '' उद्+गम् +क्तिन्, अप, ल्युट वा ] अतिथि का सूत्र का प्रत्याहार 'अण्' तथा 'अ इ उ ण, ऋलक, ए। सत्कार करने के लिए अपने आसन से उठना या बाहर ओड, ऐ औच' इन चार सूत्रों का प्रत्याहार 'अच्' जाना। (स्वर) है प्रत्याहार है; व्यंजनों का प्रत्याहार 'हल" प्रत्युद्गमनीयम् [ प्रति+उद्+गम्+अनीयर ] स्वच्छ तथा सभी वर्गों का द्योतक 'अल' प्रत्याहार है। वस्त्र का जोड़ा-गृहीतप्रत्युद्गमनीयवस्त्रा-कु. 7 / 11 प्रत्युक्त (भू० क० कृ०) [प्रति+व+क्त ] उत्तर दिया पत्युद्गमनीय वस्त्रा' का पाठान्तर) दे० 'उद्गमनीय'। गया, बदले में कहा गया, जबाब दिया हुआ / | प्रत्युद्धरणम् [ प्रति+उद्+ह+ल्युट् ] / पुनः प्राप्त प्रत्युक्ति (स्त्री०) [प्रति वच् +-क्तिन् ] उत्तर, जवाब / करना, दी हुई वस्तु को वापिस लेना 2. फिर उठाना। प्रत्युच्चारः, प्रत्युच्चारणम् [प्रति+उद+चर+णिच+ / प्रत्युद्यमः [प्रति+उद्+यम् +अप] 1. प्रतिसंतुलन, समघा, ल्युट् वा ] आवृत्ति, दोहराना। तोलन 2. रोक थाम, प्रतिक्रिया-भर्तृ० 8 / 88, प्रत्युज्जीवनम् [प्रति + उद्+जीव् + ल्युट ] पुनर्जीवन | पाठान्तर। होना, जीवन का फिर संचार होना, फिर से जी उठना | प्रत्युषात (वि०) [प्रति+उद्+या क्त ] दे० 'प्रत्युद्गत' / (आलं. भी)। प्रत्युनमनम [प्रति+उ+नम् + ल्युट ] पुनः उठना, फिर प्रत्युत (अन्य ) [प्रति + उत द्व० स०] 1. इसके विप- उछलना, पलटा खाकर आना / रोत-कृतमपि महोपकारं पय इव पीत्वा निरातङ्कः, प्रत्युपकारः [प्रति+उप++घञ ] किसी की कृपा प्रत्युत हन्तुं यतते काकोदरसोदर खलो जगति-भामि० या सेवा का बदला चुकाना, उपकार का प्रतिदान, 1176 2. बल्कि , भी 3. दूसरी ओर / बदले में सेवा। प्रत्युत्क्रमः, --क्रमणम्,-क्रान्ति: (स्त्री०) [प्रति+उ+ | प्रत्युपक्रिया [प्रति+उप++श, इयङ, टाप् ] सेवा का क्रम् +घञ, ल्युट, क्तिन् वा ] 1. (किसी कार्य को प्रतिफल / करने का) बीड़ा उठाना 2. युद्ध की तैयारी 3. शत्रु प्रत्युपदेशः[प्रति+उप+दिश+घञ 1 बदले में परामर्श पर चढ़ाई करने के लिए प्रयाण 4. गौण कार्य जो या उपदेश - कु. 1034 / * मुख्य कार्य में सहायक हो 5. किसी व्यवसाय का प्रत्युपपन्न (वि.) [प्रति+उप :- पद्+क्त ] दे० समारम्भ / 'प्रत्युत्पन्न / परपुरथानम् [ प्रति ।-उद्+स्था+ल्युट् ] 1. किसी के | प्रत्युपमानम् [प्रति+उप+मा-ल्युट ] 1. समरूपता विरुद्ध उठना 2. युद्ध को तयारी करना 3. किसी का प्रतिरूप 2. नमूना, आदर्श 3. मुकाबले की तुलना अभ्यागत का स्वागत करन के लिए (सम्मान प्रदर्शित -विक्रम० 2 / 3 / For Private and Personal Use Only