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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 643 ) प्रग्रहः[प्र-ग्रह+अप] 1. फैलाना, थामना 2. पकड़ना, करना, (फूल आदि) चुनना 2. समुच्चय, मात्रा, लेना, ग्रहण करना, हथियार लेना 3. ग्रहण का आरंभ संचय, राशि-महावी० 2 / 15 3. वृद्धि, वर्धन 4. रास, लगाम--धूताः प्रग्रहाः अवतरत्वायुष्मान् 4. साधारण मेलजोल। -श० 1, शि० 12 / 31 5. रोक थाम, पाबन्दी 6. | प्रचयनम् [प्र+चि+ ल्युट् ] संग्रह करना, एकत्र करना। बंधन, कंद 7. कैदी, बन्दी 8. पालना, (कुत्ते आदि | प्रचरः [प्र+च+अप] 1. मागं, पथ, रास्ता 2. प्रथा, जानवर को) संधाना, 9. प्रकाश की किरण 10. | रिवाज। तराजू की डोरी 11. संधि के नियमों से मुक्त स्वर, | प्रचल (वि.) [प्र-+-चल+अच ] 1. काँपता हुआ, दे० 'प्रगृह्य। हिलता हुआ, थरथराता हुआ,-कु० 5 / 35, मा० प्रग्रहणम् [प्र+ग्रह+ल्युट ] 1. लेना, पकड़ना, धरना 1138 2. प्रचलित, प्रधानुकल। 2. ग्रहण का आरम्भ 3. रास, लगाम 4. रोक थाम, | प्रचलाकः [प्र+चल | आकन् ] 1. धनुर्विद्या 2. मोर की पाबन्दी। पूंछ 3. साँप / प्रग्राहः [प्र+ग्रह, +घञ ] 1. पकड़ना, लेना 2. ले | प्रचलाकिन् (पुं०) [प्रचलाक + इनि] मोर-उत्तर० 2 / 29 / जाना, ढोना 3. तराजू की डोरी 4. रास, लगाम / प्रचलायिक (वि०) [प्रचल+क्यङ/क्त] इधर उधर प्रग्नीवः,--वम् [ प्रकृष्टा ग्रीवा यस्य-प्रा.ब.] 1. रंगी | करवट बदलने वाला, लुढ़कने वाला,--तम् सिर हई बर्जी 2. किसी मकान के चारों ओर लकड़ी की | हिलाना (बैठे 2 ऊँघते या सोते समय)। ' बाड़ 3. तबेला 4. वृक्ष की चोटी। प्रचायिका [प्र-चि+णिच्--- ण्वुल+टाप् ] (फूल आदि) प्रघटकः [प्र-घट् णिच् +बल ] नियम, सिद्धान्त, बारी 2 से चुनना 2. चुनने वाली स्त्री। विधि (आदेश)। प्रचारः [प्र+चर+घञ ] 1. विचरण करना, भ्रमण प्रघटा [प्रा० स०] किसी विज्ञान के आरंभिक सिद्धान्त करना 2. इधर उधर टहलना, घूमता--कु० 3 / 42, या मूलतत्त्व / सम-विद् (पुं०) ऊपर ऊपर का 3. दर्शन, प्रकटीभवन,-उत्तर० 1, मुद्रा० 1 4. प्रचपाठ करने वाला, पल्लवग्राही। लन, प्रसिद्धि, रिवाज, व्यवहार, प्रयोग-विलोक्य प्रघणः (नः), प्रघाणः (नः) [प्र+हन्-अप,पक्षेवृद्धिः, तेरप्यधुना प्रचारम्--त्रिका० 5. आचरण, व्यवहार णत्वाभावश्च ] 1. भवन के द्वार के सामने बनी 6. प्रथा, रिवाज 8. गोचरभूमि, चरागाह----याज्ञ० ड्योढ़ी, पौली, 2. तांबे का बर्तन 3. लोहे की गदा 21166 1. रास्ता, पथ-मनु० 9 / 219 / या धन (लौहदण्ड)। प्रचालः [प्रकृष्टश्चाल:-प्रा० स०] वीणा की गरदन / प्रघस (वि.) [प्र+अद्---शप, घसादेशः ] खाऊ, पटू प्रचालनम् [प्र+चल+णिच् + ल्युट् ] विलोडन, हिलाना, -सः 1. राक्षस खाऊपना, पेटूपन / हलचल। प्रघातः [प्र+हन्+घञ ] 1. हत्या 2. संघर्ष, युद्ध / / प्रचित (भू० क० कृ०) [प्र+चिक्त ] 1. एकत्र किया प्रघुणः [प्र+घुण+क] अतिथि (पाठान्तर–प्राघुण, हुआ, संचय किया हुआ, तोड़ा हुआ 2. ढेर किया या प्राघूर्ण)। गया, संचित 3. ढका गया, भरा गया। प्रघूर्णः [प्र+घूर्ण+अच् ] अतिथि–दे० 'प्राधूर्ण'। प्रचुर (वि०) [प्र+चुर्+क] 1. अति, यथेष्ट, बहुल, प्रघोषः [प्र+-घुष्+धा ] 1. शोर, शब्द, कोलाहल पुष्कल-नित्यव्यया प्रचुरनित्यधनागमा च-भत० 2. हंगामा, होहल्ला। 2147, शि० 12172 2. बड़ा, विशाल, विस्तृत प्रचक्रम् [ प्रगतश्चक्रम--प्रा० स०] कूच करने वाली –प्रचुर पुरंदरधनु:-गीत० 2 3. (समास के अन्त सेना, प्रयाणोन्मुख फ़ौज / में) बहुत अधिक, भरपूर, परिपूर्ण,--रः चोर / सम० प्रचक्षस् (पुं०) [प्र.+चक्ष-+-अस् ] 1. बृहस्पति ग्रह | -पुरुष (वि०) जनसंकुल, घना आबाद (षः) चोर / 2. बृहस्पति का विशेषण / प्रचेतस् (पुं०)[प्र+चित् + असुन् ] 1. वरुण का विशेषण प्रचंड (वि०) [प्रकर्षेण चण्ड:-प्रा० श०] 1. उत्कट, | -कु० 2 / 21 2. एक प्राचीन ऋषि जो स्मृतिकार अत्यन्त तीव्र, उग्र 2. मजबूत, शक्तिशाली, भीषण | था---मनु० 1135 / 3. अत्युष्ण, दम घोटने वाली (गर्मी) 4. क्रुद्ध, कोपा- | प्रचेत (पुं०)[प्र--चि+-तृच् ] रथवान्, सारथि। विष्ट 5. साहसी, भरोसा करने वाला 6. भयंकर, प्रचेलम् [प्र.+चेल-अच् चन्दन की पीली लकड़ी। भयावह 7. असहिष्णु, असह्य / सम०-आतपः भीषण प्रचेलकः [प्र+चेल+ण्वुल ] घोड़ा। गर्मी,-घोण (वि०) लंबी नाक वाला,---सूर्य (वि०) प्रचोदः [प्र--चुद्+घञ्] 1. आगे हाँकना, बलपूर्वक उष्ण या जलते हुए सूर्य वाला-ऋतु० 111,10 / / चलाना, आगे बढ़ने के लिए उकसना 2. भड़काना, प्रच (चा) यः [प्र+चि+अच्, घन च] 1. संग्रह / प्रेरित करना। For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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