________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ____ स्पष्टा वांति वाताः शनैः शनै:--अमरकोश पर / __ ओर---गच्छ पृष्ठत: 3. पीठ पर 4. पीठ पीछ चुपभरत। चाप, प्रच्छन्न रूप से (पृष्ठतःकृ) 1. पीठ पर रखना, पुषभाषा=पूषभासा। पीछे छोड़ना 2. उपेक्षा करना, तिलांजलि देना, पुषाकरा पष्+क्विप, पूर्व सेचनाय आकीर्यते--पष्-+- छोड़ देना 3. विरक्त होना, हाथ खींचना, त्याग देना, आ-+-+अ+टाप्] छोटा पत्थर (जो बाट की तिलांजलि देना, पृष्ठतो गम् -- अनुसरण करना, भांति प्रयुक्त किया जाय)। पृष्ठतो भू-1. पीछे खड़े होना 2. उपेक्षित होना। पृषातकम् [ पृषत्+आ+तक+-अच् ] दही और घी का पृष्ठ्य (वि.) [पृष्ठ-+-यत् ] पीठ से संबंध रखने वाला, संमिश्रण। - ष्ठयः लटू घोड़ा। पृषोदरः [पृषत् उदरं यस्य, पृषो० तलोपः] (यह शब्द पृष्णिः (स्त्री०) [ -पृश्नि पृषो०] एडी।। पृषत् और उदर से मिल कर बना है, पृषत् के त् का / प (जुहो०, ऋया०-पर० पिपति, पणाति, पूर्ण .. कर्म० अनियमित कारक के रूप में लोप हो गया। इस - पूर्यते, प्रेर० पूरयति--ते, इच्छा० पिपरि (री) पति, प्रकार यह शब्द अनियमित समासों की एक परी श्रेणी पुपूर्षति) 1. भरना, भर देना, पूरा करना 2. पूरा है-पृषोदरादित्वात् साधुः, दे० 'गण' पा० 4 / 3 / 109 / करना, (आशा आदि) पूरी करना, तृप्त करना पृष्ट (भू०००) [प्रच्छ्+क्त ! 1. पूछा हुआ, पता 3. हवा भरना, (शंख, बंसरी आदि) बजाना लगाया हुआ, प्रश्न किया हुआ, सवाल किया हुआ, 4. संतुष्ट करना, थकावट दूर करना, प्रसन्न करना 2. छिड़का हुआ। सम-आयनः 1. धान्य विशेष, -पितनपारीत्-- भट्टि. 12 5. पालना, परवरिश अनाज 2. हाथी। करना, पुष्ट करना, पालनपोषण करना, पालन करना। पृष्टिः (स्त्री०) प्रच्छ -क्तिन् पूछ-ताछ, प्रश्न वाचकता। पेचकः [पच्+वुन, इत्वम् ] 1. उल्ल 2. हाथी की पूंछ पृष्ठम् [पृष् स्पृश् वा थक्, नि० साधुः ] 1. पीठ, पिछला की जड़ 3. पलंग, शय्या 4. बादल 5. जें। हिस्सा, पिछाड़ी 2. जानवर की पीठ - अश्वपृष्ठमा- | पेत्रकिन् (पुं०) पेचिल: [पेचक+इनि, पच्-|- इलच्, रूढः-आदि 3. सतह या ऊपर का पार्श्व --रघु० इत्वम् ] हाथी। 4 / 31,12 / 67, कु. 7.51, इसी प्रकार अवनिपृष्ठ- | जूषः (पुं०) कान का मैल, घ, दे० पिंजूष / चारिणीम् ---उत्तर० 3 4. (किसी पत्र या दस्तावेज़ | पेटः, टम् [ पिट्+अच् ] 1. थैला, टोकरी 2. पेटी, संदूक, की) पीठ या दूसरी तरफ़ याज्ञ० 2193 5. घर --ट: खुला हाथ जिसकी अंगुलियाँ फैलाई हुई हों। की चपटी छत 6. पुस्तक का पृष्ठ। सम० --अस्थि | पेटकः,-कम् [ पेट+कन् ] 1. टोकरी, संदूक, थैला 2. समु(नपुं०) रीढ़ की हड्डी, --गोपः,-रक्षः जो किसी / च्चय, गठरी। लड़ते हुए योद्धा की पीठ को रक्षा करे,—ग्रंथि (वि.) | पेटाकः [ ==पेटक, पृषों०] थैला, टोकरी, संदूक / ककुमान, कबड़ युक्त,-चक्षुस् (पं०) केकड़ा,-तल्पनम् ऐरिकाीापिटबल-टा पेटिका, पेटी [पिट +ण्वुल---टाप, इत्वम्, पेट+डी ] हाथी को पीठ की बाहरी मांसपेशियाँ, - दृष्टि: छोटा थैला, टोकरी। 1. केकड़ा 2. रीक्ष, -फलम् किसी आकृति का फाल्तू पेडा -पेट, पूषो०] बड़ा थला।। भाग,-.-भागः पीठ, मांसम 1. पीठ का मांस 2. पीठ पेय (वि.) [पा+ण्यत् ] 1. पीने के योग्य, चढ़ा जाने पर की गूमड़ी °अद अदन (वि०) चुगलखोर, __ के लायक 2. स्वादिष्ट,- यम पानीय, मद्य या शर्बत बदनाम करने वाला, कलंकित करने वाला (----दम, आदि,-या भात का मांड, चावलों की लपसी। ---दनम् ) चुगली, पृष्ठमांसादनं तद्यत् परोक्षे दोष पेयुः (पुं०) 1. समुद्र 2. अग्नि 3. सूर्य। कीर्तनम् -हेमचन्द्र .. तु० प्राक्पादयोः पतति खादति पेयूषः, पम् [पीय+ऊपन्, बा० गुणः ] 1. अमत 2. उस पृष्ठमांसम् -हि. 181, -यानम् सवारी,-वंशः "गाय का दूध जिसे ब्याये अभी एक सप्ताह से अधिक रीढ की हड्डी ---वास्तु (नपुं०) मकान की ऊपर की नहीं हुआ ---सप्तरात्रप्रसूतायाः क्षीरं पेयूषमुच्यतेमंज़िल, -वाह, (पुं०), वाह्यः लद् बैल, -- शय हारावली, मनु० 516 3. ताज़ा घी। (वि०) पीठके बल सोने वाला, - शृंगः जंगली बकरी, | पेरा (स्त्री०) एक प्रकार का बाद्ययंत्र--भट्रि० 1717 / शृंगिन् (पुं०) 1. मेंढा 2. भैसा 3. हिजड़ा | पेल (भ्वा० पर०, चुरा० उभ० --पेलति, पेलयति-ते) 4. भीम का विशेषण / 1. जाना, चलना-फिरना 2. हिलना, काँपना। पृष्ठकम् [ पृष्ठ-+कन् ] पीठ / पेलम्, पेलक: ] पेल+अच, पेल+कन् ] अण्डकोष / पृष्ठतस् (अव्य०) [पृष्ठ -|-तसिल ] 1. पीछे, पीठ पीछे, ! पेलव (वि.) [पेल+वा+क] 1. सुकुमार, सुकोमल, पीछे से---गच्छतः पृष्ठतोऽन्वियात् - मनु० 4 / 154, मृदु, मुलायम, धनुपः पेलवपुष्प पत्रिणः कु० 4 / 29, 8 / 300, भग० 1240 2. पीठ की ओर, पीछे की / 5 / 4,7565 2. दुर्बल, पतला, क्षीण-श० 3 / 22 / _ _ For Private and Personal Use Only