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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir से मुक्त करना, प्रकाशित करना 3. भरना 4. रक्षा [ पृथ (चुरा० उभ०-पर्थयति-ति) 1. विस्तार करना करना, जीवित रखना, जीवित रहना 5. उन्नति | 2. फेंकना, डालना 3. भेजना, निदेश देना। करना, प्रगति करना। पृथक् (अव्य०) [प्रथ्+अज् कित्, संप्रसारण ] 1. अलगiii (ऋया० पर० पुणाति) रक्षा करना। अलग, जुदा-जुदा, एक एक करके-शंखान्दध्मः पृथक iv (चुरा० उभ०-पारयति-ते, कभी-कभी 'पार' स्वतंत्र पृथक्-भग० 1 / 18, मनु० 6 / 26, 7 / 57 2. भिन्न, घातु मानी जाती है) 1. पार ले जाना, नाव से पार अलग, भिन्नतापूर्वक टि० 5 / 4, 13 / 4, रचिता उतारना 2. किसी वस्तु के दूसरे पार्श्व पर पहुंचना, पथगर्थता गिराम कि० 2 / 27 3. जुदा, एक ओर, निष्पन्न करना, अनुष्ठान करना, सम्पन्न करना, एकाकी-विक्रम० 4 / 20 4. छोड़ कर, सिवाय, (व्रत का) पूरा करना 3. योग्य या समर्थ होना अपवाद के साथ, बिना (कर्म करण. या अपा० -अधिकं न हि पारयामि वक्तुम् ---भामि० 2 / 59, श० के साथ) पृथग्रामेण, रामात्, रामं वा--सिद्धा०, 4 4. सौंपना, बचाना, उद्धार करना, निस्तार भट्टि० 9 / 109 (पृथक् कृ-अलग 2 करना, बाँटना, करना। जुदा-जुदा करना, विश्लेषण करना)। सम० v (स्वा० पर०—पणेति) 1. प्रसन्न करना, खुश करना, -आत्मता 1. अलग-अलग होना, पृथकता 2. भेद, तृप्त करना 2. प्रसन्न होना, खुश होना / भिन्नता 3. विवेक, निर्णय,-आत्मन् (वि०) भिन्न, पृक्त (भू० क० कृ०) [पृच् + क्त] 1. मिश्रित, संपृक्त अलग-आत्मिका व्यक्तिगत सत्ता, वैयक्तिकता -रघु० 2 / 12 2. स्पृष्ट, संपर्क में लाया गया, स्पर्श -करणम्,-क्रिया 1. अलग-अलग करना, भेद करना करने वाला, संयक्त,—क्तम् संपत्ति, दौलत / 2. विश्लेषण करना, -- कुल (वि.) भिन्न कूल से पक्तिः (स्त्री०) [पूच +क्तिन] स्पर्श, संपर्क, संयोग / संबंध रखने वाला, -क्षेत्रः (पू० ब० व०) एक पिता पृक्थम् [पृच+थन्] संपत्ति, धन-दौलत, वैभव / की विभिन्न पत्नियों से सन्तान, या भिन्न-भिन्न जातियों पच / (अदा० आ० पृक्ते, पण) संपर्क में आना। को पत्नियों से सन्तान, --चर (वि०) एकाकी जाने ji (रुघा० पर० पृणक्ति, पृक्त) संपर्क में लाना, वाला, अलग जाने वाला,-जनः नीच पुरुष, ज्ञान सम्मिलित होना, मिल जाना—एवं वदन दाशरथिर- रहित, गँवार आदमी, प्राकृत जन, नीच लोग--न पृणग्धनषा शरम्--भट्टि० 6 / 39 2. मिश्रण करना, पृथग्जनवच्छुचो वशं वशिनामुत्तम गंतुमर्हसि-रधु० मिलाना 3. संपर्क में होना, स्पर्श करना 4. संतुष्ट 8190, कि०१४।२४ 2. मूर्ख, बुद्घ, अज्ञानी--शि. करना, भरना, संतृप्त करना 5. बढाना, वृद्धि करना, 16 / 39 3. दुष्ट आदमी, पापी,-भावः पृथक्ता , सम् -,मिश्रण करना, घोलना, मिलना, मिलाना- वैयक्तिकता (इसी प्रकार 'पृथकत्वम्'),-रूप (वि०) वागर्थाविव संपृक्तौ-रघु० 111, भट्टि० 17 / 106, भिन्न-भिन्न रूपों या प्रकारों का,-विध (वि०) भिन्नदे० संपृक्त iil (भ्वा० पर०, चरा० उभ० पर्वति, भिन्न प्रकार का, नाना प्रकार विविध,-शय्या अलग पर्चयति-ते) 1. स्पर्श करना, संपर्क में आना?.. सोना,—स्थितिः (स्त्री०) अलग सत्ता। रोकना, विरोध करना। पृथवी [ प्रथ+पवन, संप्रसारण ] दे० पृथिवी। पृच्छक: [प्रच्छ+ण्वल पूछताछ करने बाला, गवेषणा पृथा (स्त्री०) पाण्डु की दो पत्नियों में से एक, कुन्ती का करने वाला-पृच्छकेन सदा भाव्यं पुरुषेण विजानता नाम / सम-जः,-तनयः, सुतः,-सूनुः पहले तीन -पंच० 5 / 93, याज्ञ०।२६८। पांडवो का विशेषण परन्तु प्रायः 'अर्जन' के लिए पृच्छनम् [प्रच्छ् + ल्युट्] पूछना, पूछ-ताछ करना / व्यवहृत ... अश्वत्थामा हत इति पृथासूनुना स्पष्टमुक्ता पृच्छा [प्रच्छ+ अङ+टाप् | 1. प्रश्न करना, पूछना, पूछ- ---वेणी० 3 / 9, अभितस्तं पथासुन: स्नेहेन परितस्तरे ताछ करना 2. भविष्य विषयक पूछ-ताछ। ___ -कि० 1118, --पतिः पॉड का विशेषण। पृज् (अदा० आ० ----पंक्ते) संपर्क में आना, स्पर्श करना / | पृथिका [ प्रथ+क+क+टाप् संप्रसारणम्, इत्वम् ] पत् (स्त्री०) पि.+क्विप, तुक] सेना--(पहले पाँच / कनखजूरा। वचनों में इस शब्द का कोई रूप नहीं होता, द्वि० | पृथिवी [ प्रथ+षिवन्, संप्रसारणम् ] पृथ्वी (कई 'पृथिवी' वि०, द्वि. व० के पश्चात् 'पृतना' के स्थान में भी लिखा जाता है)। सम०--इन्द्रः, ईशः, क्षित् विकल्प से 'पृत्' आदेश हो जाता है। (पु०),-पालः,-पालकः,-भुज् (पुं०)-भुजः शक्रः, पतना [प!-तनन्+टाप् ] 1. सेना 2. सेना का एक राजा, तलम् धरातल,- पतिः 1. राजा 2. मृत्यु का प्रभाग जिसमें 243 हाथी, 243 रथ, 729 घोड़े देवता यम, - मंडलः,-लम् भमंडल,---रुहः वृक्ष-पवमानः और 1215 पैदल होते है 3. युद्ध, संग्राम, मुठभेड़ / पृथिवी रुहानिव रघु० ८।९,---लोकः मर्त्यलोक सम--साहः इन्द्र का विशेषण / भलोकः / For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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