SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 620
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 6 / 18 पर मल्लि. 5. किसी बनी हुई वस्तु की पाषंड: [पा त्रयीधर्मः तं षंडयति-पा+पंड्+अच्] =पाखड किनारी 6. (समास के अन्त में) 'पाश' का अर्थ होता -मनु० 5 / 90, 9 / 285 / / है-- (क) तिरस्कार, अवमान—यथा 'छात्रपाश' पाषंडकः, पाषंडिन् (पं०) [पाषंड+कन्, पा+षड्+ (निकम्मा विद्यार्थी ) में, वैयाकरण०, भिषक० आदि णिनि] नास्तिक, धर्मभ्रष्ट, धर्म के नाम पर झूठा (स) सौन्दर्य, सराहना यथा-संवोष्ठमुद्रा स च आडंबर रचने बाला धूर्त व्यक्ति, याज्ञ० 11130, कर्णपाशः उत्तर० 6 / 27, (ग) बहुतायत, ढेर, 2160 / राशि (केश' अर्थ द्योतक शब्द के पश्चात) केशपाश पाषाणः [पिनष्टि पिष संचूर्ण ने आनच् पृषो० तारा०] (केशकलाप)। सम० -अंतः कपड़े का पृष्ठभाग, पत्थर,....णी बाट का काम देने वाला छोटा पत्थर / ---क्रीडा जुआ खेलना, पांसे के साथ खेलना, धरः, सम० - दारकः, दारणः टांकी,----संधिः चट्टान के ...पाणिः वरुण का विशेषण,--बद्ध (वि०) पिंजड़े में ____ अन्दर गुफा या दरार,-- हृदय (वि.) पत्थर की भांति फंसा हुआ, जाल में पकड़ा हुआ, फंदे में पड़ा हुआ, कठोरहृदय, क्रूर, निष्ठुर / -बंधः बंधन, जाल, फांसी की डोरी,--बंधकः पि (तुदा० पर० पियति) जाना, हिलना-जुलना। बलेलिया, पक्षी पकड़ने वाला, बंधनम् जाल,-भूत् पिकः [अपि कायति शब्दायते-अपि+के+क, अकार(पं०) वरुण का विशेषण...रघु० २।९,--रज्जुः लोपः] कोयल --कुसुमशरासनशासनवंदिनि पिकनिकरे (स्त्रो०) बेड़ी: रस्सी,-हस्तः 'हाथ में जाल पकड़े भज भावम्-गीत० 11 या-उन्मीलंति कुहुः कुहरिति हुए' वरुण का विशेषण / / कलोताला: पिकानां गिरः-गीत० 1 / सम० पाशकः [पाश्यति पीडयति–पश् णिच् +-वुल ] अक्ष, आनन्दः,-बांधवः बसन्तऋतु,-बंधुः,-रागः, वल्लभः पाँसा। सम० पीठम् जुआ खेलने की चौकी। आम का पेड़। पाशनम् | पश् --णिच् | ल्युट ] 1. बंधन, फंदा, जाल, | पिक्कः [पिक इत्यव्यक्तसब्देन कायति--पिक+केका गुलेल या गोफिया 2. डोरी, चाबक या सोटे में लगी 1. 20 वर्ष की आयु का हाथी 2. हाथी का बच्चा / चमड़ की डोरी या तस्मा 3. जाल में फंसाना, पिंजरे साना, पिजर | पिंग (वि.) [पिङ्ग् वर्णो अच कुत्वम्] लालिमा लिये में बन्द करना। भूरा रंग, खाकी, पीला-लाल रंग,—अन्तनिविष्टापाशव ( वि० ) ( स्त्री०-वी) [ पशु- अण् ] जान- मलपिंगतारम् (विलोचनम्) कु० ७।३३,-...गः 1. वरों से प्राप्त, या संबंध रखने वाला, बम् रेवड़, खाकी या भूरा रंग 2. भैंसा 3. चहा,- मा 1. हल्दी लहंडा / सम० पालनम् पशुचरण या चरागाह, 2. केशर 3. एक प्रकार का पीला रोगन 4. चंडिका गोचरभमि. की उपाधि / सम० ----अक्ष (वि०) ललाई लिये भरे पाशित (वि) [ पश् ।-णिच्--क्त ] बद्ध, जाल में फंसा, रंग की आँखों वाला, लाल आँखों वाला (क्ष) 1. बेड़ियों से जकड़ा हुआ। लंगर 2. शिव का विशेषण, ईक्षणः शिव की उपाधि, पाशिन् (पुं० [पाश ।-इति] 1. वरुण का विशेषण 2. यम -----ईशः अग्नि का विशेषण, कपिशा तेल चट्टा, का विशेषण 3. हिरणों को पकड़ने वाला, बहेलिया, --चक्षुस् (पुं०) केकड़ा,--जट: शिव का विशेषण, जाल में फंसाने वाला। --सारः हरताल, स्फटिकः 'पीला बिल्लौर', गोमेद पाशुपत (वि०) (स्त्री० -ती) [पशुपति+अण] 1. रत्न / पशुपति से प्राप्त, या पशुपति से सम्बद्ध अथवा पशुपति पिंगल (वि.) [पिङ्ग-सिध्मा० लच, पिंगलाति ला के लिए पावन, तः 1. शिव का अनुयायी और पूजक +क व तारा०] ललाई लिये भूरे रंग का, पीताभ, 2. पशपति के सिद्धान्तों का पालन करने वाला, --तम् भूरा, खाकी--रघु० 12 / 71, मनु० ३१८--ल: 1. पाशपत सिद्धांत (दे० सर्व०)। सम० -- अस्त्रम् खाकी रंग 2. अग्नि 3. बंदर 4. एक प्रकार का नेक्ला पशुपति या शिव द्वारा अधिष्ठित एक अस्त्र का नाम 5. छोटा उल्लू 6. एक प्रकार का साँप 7. सूर्य के (जिसे अर्जुन ने शिव से प्राप्त किया था)। एक अनुचर का नाम 8. कुबेर के एक कोष का नाम पाशुपाल्पम् पशुपालन व्यञ] पशुओं का पालना, ग्वाले 9. एक प्रसिद्ध ऋषि का नाम, संस्कृत के छन्दः शास्त्र की वृत्ति या धंधा। का प्रणेता, उसकी कृति का नास- पिंगलच्छंदः पाश्चात्य (वि.) [पश्चात् +त्यक] 1. पिछला 2. पश्चिमी शास्त्र है,--छन्दोज्ञाननिधिं जघान मकरो वेलातटे ....रघु० 4 // 62 3. पश्चवर्ती, बाद का 4. बाद में पिंगलम् --पंच० २।३३,-लम् 1. पीतल 2. पीले होने वाला, त्यम पिछला भाग / / रंग की हरताल,-ला 1. एक प्रकार का उल्लू 2. पाल्या [पाश-+-+टाप] 1. जाल 2. रस्सियों या पौड़ियों शीशम का वृक्ष 3. एक प्रकार की धातु 4. शरीर की ___ का समूह। विशेष वाहिका 4. दक्षिण देश की हथिनी 5. एक For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy