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परस्मैपवम्, परस्मैभाषा [परस्म परार्थ पदं भाषा वा] हुआ, विमुख 2. पराङ्मुख, अरूचि रखने वाला 3.
दूसरे के लिए प्रयुक्त वाच्य, क्रिया के दो रूपों में से परवाह न करने वाला, उपेक्षा करने वाला 4. बाद (परस्मै तथा आत्मने) एक जिसमें कि संस्कृत की में होने वाला, उत्तरकालभव 5. दूसरी ओर स्थित, धातुओं के रूप चलते हैं।
परे होने बाला। परा (अव्य०) [प-|-अन् + टाप 1 'दूर' 'पीछे' 'उल्टे क्रम पराजयः [ परा+जि+अच् ] 1. परास्त करना, बिजय,
से एक ओर' की ओर' अर्थो को प्रकट करने के जीतना, अधीनीकरण, हार-रध० ११११९, मनु० लिए धातु या संज्ञा से पूर्व लगने वाला उपसर्ग । ७.१९९ 2. परास्त होना, सहन करने के योग्य न गण के अनुसार 'परा' के अर्थ निम्नलिखित है होना (अपा० के साथ) अध्ययनात्पराजयः 3. हारना, --1. मार डालना, आघात करना आदि (पराहत) हार, असफलता (मुकदमे आदि में) अन्यथावादिनो 2. जाना (परागत) 3. देखना, सामना करना (परा- (साक्षिणः) यस्य ध्रुवस्तस्य पराजयः--याज्ञ० २१७९ वृष्ट) 4. पराक्रम (पराक्रान्त) 5. की ओर निदेश, 4. पदच्युति, बंचना 5. परित्याग ।। (परावृत्त) 6. आधिक्य (पराजित) 7. पराधीनता पराजित (भू० क० कृ०) [परा-जि-+क्त ] जीता (पराधीन) 8. उद्धार, मुक्ति (पराक्त) 9. प्रतीपक्रम हुआ, वश में किया हुआ, हराया हुआ 2. कानून पीछे की ओर (पराङमुख) 10. एक ओर रख देना, द्वारा दण्डित, (मुकदमे में) हारा ह आ, पछाड़ा हुआ। अवहेलना करना।
परान (ण) सा [ वरा+अन् (ण)+अस+टाप् ] औषपराकरणम् [ परा+क+ल्युट | एक ओर रख देने की धीय चिकित्सा, वैद्य, हकीम या डाक्टर द्वारा इलाज,
क्रिया अस्वीकार करना, अवहेलना करना, तिरस्कृत वैद्य का व्यवसाय । करना।
पराभवः [ परा+भू-अप] 1. (क) हार, असफलता, पराक्रमः [पराक्रम्+घञ्] 1. शूरवीरता, बहादुरी, पराजय-पराभवोऽत्यत्सव एव मानिनाम्-कि० ११४१
साहस, शौर्य पराक्रमः परिभवे-शि०२।४४ 2. विरोधी । (ख) मानभंग, मानमर्दन, प्रतिष्ठाभंग - कुबेरस्य अभियान करना, आक्रमण करना 3. प्रयत्न, कोशिश, मनः शल्यं शंसतीव पराभवम् -... कु० २२२, तद उद्योग 4. विष्णु का नाम ।
पदपल्लवरिपराभवमिदमनु भवतु सुवेशम् -गीत० परागः [ परा+ गम् +ड] 1. पुष्पराज,--स्फुटपरागप- १२ 2. धृणा, अवहेलना, तिरस्कार 3. विनाश 4.
रागतपंकजम् ---शि० ६।२, अमरु ५४ 2. धूलि-रघु० लोप, वियोग (कभी-कभी 'पराभाव' भी लिखा ४।३० 3. स्नान के पश्चात् सेवन किया जाने वाला जाता है)। सुगंधित चूर्ण 4. चन्दन 5. सूर्य या चन्द्रमा का ग्रहण पराभूतिः (स्त्री०) [ परा+भू+क्तिन् ] दे० 'पराभव' । 6. यश, प्रसिद्धि 7. स्वाधीनता।
परामर्शः [ परामिश्+घञ ] 1. पकड़ लेना, खींचना परांगवः [परांगं प्रचुरशरीरं वाति प्राप्नोति-वा+क] . जैसा कि 'केशपरामर्श में 2. झुकाना या (धनुष) समद्र।
का तानना 3. हिंसा, आक्रमण, हमला--. याज्ञसेन्याः परा(रा) च् (वि०) (स्त्री० ची) [परा+अंच परामर्शः. महा०4. बाधा विघ्न - तपः परामर्शवि
+क्विन् ] 1. परे या दूसरी ओर स्थित, ये चामुष्मा- वृद्धमन्योः कु० ३१७१ 5. ध्यान करना, प्रत्यास्मरण त्परांचो लोकाः छां० 2. मुंह मोड़ कर (पराङ मुख) 6. बिचार, विमर्श, चिन्तन 7. निर्णय 8. (तर्क० में) शि०१८।१८ 3. जो अनुकूल न हो, प्रतिकूल-दैवे घटाना, निश्चय करना कि अपना पक्ष या विषय सहे. पराचि भामि० १११०५ या दैवे पराम्बदनशालिनि तुक है-व्याप्तिविशिष्ट पक्षधर्मताज्ञानं परामर्श:-तर्क० हंत जाते-३।१ 4. दूरस्थ 5. बाहरकी ओर निदेशित। या.. व्याप्तस्य पक्षधर्मत्वधीः परामर्श उच्यते सन० ---मुख (वि.) (पराङमुखी नुनेतुगबलाः भाषा०६६। सतत्वरे--रघु० १९।३८, अमरु ९० मनु० २।१९५, परामष्ट (भू० क० कृ०) [ परा+मश्+क्त ] 1. छूआ १०।११९ 2. (क) विमुख, उलट-भातुन केवल गया, हाथ लगाया गया, दबोचा गया, पकड़ा गया स्वस्याः श्रियोऽप्यासीत् पराङ्मुखः --रघु० १२।१३, 2. रूखा व्यवहार किया गया, व्यवहार किया गया (ख) उदासीन, कतराने वाला, टाल जाने वाला 3. तोला गया, विचार किया गया, कता गया 4. --प्रवृत्तिपराङमु खो भावः--विक्रम ४२०, श०. सहन किया दया 5. संबद्ध 6. (रोग से) ग्रस्त--दे० ५।२८ 3. प्रतिकूल, अनु कुल--तनुरपि न ते दोषोऽ- परा पूर्वक 'मश। स्माकं विधिस्तु पराङम ख:--अमर २७ 4. उपेक्षा परारि (अव्य०) [ पूर्वतरे वत्सरे इत्यर्थे परभावः आदि च
करने वाला--मत्येष्वास्थापराङमुखः-रघु० १०॥४३। संवत्सरे ] पूर्वतर वर्ष में, विगतवर्ष में, परियार साल। पराचीन (वि०) [ पराच्-+-ख ] विरूद्ध दिशा में मुड़ा । परायण दे० 'पर (पर+अयन) के नीचे ।
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