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( ५७६ )
लाभ 2. किसी दूसरे का हित (विप० स्वार्थ)स्वार्थो यस्य परार्थ एव स पुमनेकः सतामग्रीणी:-- सुभा०, रघु० ११२९ 3. मुख्य अर्थ 4. सर्वोच्च उद्देश्य (अर्थात् मैथुन) (-र्थम-र्थे) (अव्य०) दूसरे के लिए,-अर्धम् 1. दूसरा भाग (विप० पूर्वार्ध) उत्तरार्ध-दिनस्य पूर्वार्धपरार्धभिन्ना छायेव मैत्री खलसज्जनानाम्----भर्तृ० २१६० 2. विशेष रूप से बड़ी संख्या अर्थात् १००,०००,०००,०००,०००,०००, एकत्वादि परार्धपर्यंता संख्या-तर्क०,--अर्ध्य (वि०) दूसरे किनारे पर होने वाला 2. संख्या में अत्यंत दूर का हेमंतां वसन्तात्परार्ध्यः--शत० 3. अत्यंत श्रेष्ठ, सर्वोत्तम, परम श्रेष्ठ, अत्यंत मूल्यवान्, सर्वोच्च, परम-रघु० ३।२७, ८।२७, १०॥३४, १६।३९ शि० ८१४५ 4. अत्यंत कीमती-शि० ४१११ 5. अत्यंत सुन्दर, प्रियतम, मनोज्ञतम-रघु० ६।४, शि० ३।५८, (-य॑म्) 1. अधिकतम 2. अनन्त या असीम संख्या, –अवर (वि०) 1. दूर और निकट 2. सवेरी और अवेरी 3. पहले का और बाद का या आगामी 4. उच्चतर और निम्नतर 5. परंपराप्राप्त-मनु० १११०५ 6. सर्वसम्मिलित, अहः दूसरे दिन,--- अहः तीसरा पहर, दिन का उत्तरार्ध भाग, आचित (वि०) दूसरे द्वारा पाला-पोसा हआ (-त:) दास,आत्मन् (पुं०) परमात्मा,---आयत्त (वि.) दूसरे के अधीन, पराश्रित, पराधीन--परायत्तः प्रीतेः कथमिव रसं देत्तु पुरुषः--मुद्रा० ३।४, आयुस् (पुं०) ब्रह्मा का विशेषण,-आविद्धः 1. कुलेर का विशेषण 2. विष्णु की उपाधि,-आश्रयः-आसंगः परावलंबन दूसरे को अधीनता,--आस्कंदिन (पं०) चोर, लुटेरा, --इतर (वि.) 1. शत्रुता से भिन्न अर्थात मैत्री पूर्ण, कृपालु 2. अपना, निजी—कि० १।१४, -ईशः ब्रह्मा का विशेषण,---उत्कर्षः दूसरे की समृद्धि,---उपकारः दूसरों की भलाई करना जनहित षिता, उदारता, धर्मार्थ—परोपकारः पुण्याय पापाय परपीडनम्,-उपजापः शत्रुओं में फूट डालना,-उपरुद्धः (वि०) शत्रु के द्वारा घेरा हुआ,--ऊढा दूसरे की पत्नी,---एधित (वि.) दुसरे द्वारा पालित-पोषित (तः) 1. सेवक 2. कोयल,--कलत्रम् दूसरे की पत्नी, - अभिगमनम् व्यभिचार-हि०१११३५,-कार्यम् दूसरे का व्यवसाय या काम,--क्षेत्रम् 1. दूसरे का शरीर 2. दूसरे का क्षेत्र--मनु० ९।४९ 3. दूसरे की पत्नी-मनु० ३। १७५,--गामिम् (वि.) 1. दूसरे के साथ रहने वाला 2. दूसरे से संबंध रखने वाला, 3. दूसरे के लिए लाभदायक,---ग्रंथिः (अंगुली आदि का) जोड़, गांठ,-चक्रम् 1. शत्रु की सेना, 2. शत्र के द्वारा। आक्रमण ६ ईतियों में से एक, छंदः दूसरे की इच्छा, ।
HOTECH
--अनुवर्तनम् दूसरे की इच्छा का अनुगमन करना, -छिद्रम् दूसरे की कमजोरी, दूसरे की त्रुटि-जात (वि०) 1. दूसरे से उत्पन्न 2. जोविका के लिए दूसरे पर आश्रित (तः) सेबक,---जित (वि.) दूसरे से जीता हुआ (तः) कोयल,-तंत्र (वि०) दुसरे पर आश्रित, पराधीन, अनुसेवी,---दाराः (पुं०, ब० व०) दूसरे की पत्नी,-दारिन (पं०) व्यभिचारी, परस्त्रीगामी,- दुःखम् दूसरे का कष्ट या दुःग्य --विरल: परदुःखदुखितो जनः, महदपि परदुःवं शीतलं सम्यगाहुः-विक्रम० ४।१३,- देशः विदेशः,-देशिन (पं०) विदेशी,--द्रोहिन् --द्वेषिध् (वि०) दूसरों से घृणा करने वाला, विरोधी, शत्रुतापूर्ण,-धनम् दूसरे की संपत्ति,--धर्मः 1. दूसरे का धर्म-स्वधर्म निवन श्रेयः परधर्मो भयावहः-भग० ३१३५ 2. दूसरे का कर्तव्य या कार्य 3. दूसरी जाति का कर्तव्य---मनु० १०। ९७,--निपातः समारा में शब्द की अनियमित पश्चवर्तिता अर्थात् भूतपूर्वः यहाँ अर्थ है 'पूर्व भूतः' इसी प्रकार राजदंतः, अग्न्याहितः आदि,-पक्षः शत्रु का दल या पक्ष,--पदम् 1. उच्चतम स्थिति, प्रमुखता 2. मोक्ष,-पिंड: दूसर का भोजन, दूसरों से दिया गया भोजन अद् (वि०) वह जो दूसरों का भोजन कर या जो दूसरे के खर्च पर जीवन निर्वाह करे (१०) सेवक, रत (वि०) दूसरे के भोजन पर पलने वाला, पुरुषः 1. दूसरा मनुष्य, अपरिचित 2. परमात्मा, विष्णु 3. दूसरी स्त्री का पति, -पुष्ट (वि०) दूसरे के द्वारा पाला पोसा हुआ (-टः) कोयल महोत्सवः आम का वृक्ष,--पुष्टा 1. कोयल. वेश्या, रंडी,-पूर्वा यह स्त्री जिसका दूसरा पति डो, -प्रेष्यः सेवक, घरेल नौकर,--ब्रह्मन् (नपुं०) परमात्मा, - भागः दूसरे का हिस्सा, 2. श्रेष्ठ गुण 3. सौभाग्य, समृद्धि 4. (क) सर्वोत्तमता, श्रेष्ठता, सर्वोपरिता---दूरधिगमः परभागो यावत्पुरुषेण पौरुषं न कृतम्-पंच० १।३३०, ५।३४, (ख) अधिकता, बाहुल्य, ऊँचाई-स्थलकमलगंजनं मम हृदयरंजनं जनितरतिरंगपरभागम् ..गीत० १०, आभाति लब्धपरभागतयाधरोष्ठे--. रघु० ५।७९, कु० ७.१७, कि० ५।३०, ८।४२, शि० ७।३३, ८1५१. १०.८६,-- भाषा विदेशी भाषा,-भुक्त (वि०) दूसरे के द्वारा भोगा हुआ, भत् (५०) कौवा (क्योंकि यह दूसरे का अर्थात् कोपल का पालन-पोषण करता है),.....भत:- ता कोयल (क्योंकि यह दूसरे के द्वारा अर्थात कौवे से पाली पोसी जाती है) तु.
श० ५।२२, कु० ६१२, रघु० ९।४३ श० ४।९, ___ ---मृत्युः कौवा,-रमणः विवाहित मीना पार या
जार--पंच० १११८०, लोकः दुसरा (आगामी) दुनिया-कु० ४।१०.-कु० ४।१० °विधिः अन्त्येष्टि
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