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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ५७५ ) --धरः 1. बादल. स्त्री की छाती--पद्मपयोधरतटी --गीत० १, विपांडुभिर्लानतया पयोधरैः-कि. ४।२४, (यहाँ शब्द का अर्थ 'बादल' भी है)-रघु० १४।२२ 3. ऐन औडो--रघु० २।३ 4. नारियल का गेड़ 5. रीढ़ की हड्डी ,--धस् (पुं०) 1. समुद्र 2. तालाब, सरोवर, जलाशय,--धिः,-निधः समुद्र, तु० २।७, नै० ४।५०,-मुच् (पुं०) बादल-रघु० ३।३, ६१५,--वाहः बादल,-रघु० ११३६, । पयस्य (वि.) [पयसो विकारः पयसः इदं वा-पथस +-यत् ] 1. दूध से युक्त, दूध से बना हुआ 2. पानी से युक्त,-स्यः बिल्लो,-स्या दही। पयस्वल (वि.) [ पयस्+वलच् ] दूध से भरा हुआ, यथेष्ट दूध देने वाला,-ल: बकरी। पयस्विन् (वि०) [ पयस्+विनि ] दूधिया, जल से युक्त, -नो 1. दूध देने वाली गाय---रघु० २।२१,५४,६५ 2. नदी 3. बकरी रात।। पयोधिकम् [ पयोधि+फै+क ] समुद्रझाग । पयोष्णी (स्त्री०) विन्ध्यपर्वत से निकलने वाली एक नदी (कुछ विद्वान् इसे वर्तमान 'ताप्ती' मानते हैं, परन्त वाप्ती' की एक सहायक नदी 'पूर्णा' है जिसको 'पयोष्णी' के साथ अभिन्नता अधिक संभव प्रतीत होती है)। पर (वि.) [पृ०+ अप, कर्तरि अच् वा ] (जब सापेक्ष स्थिति बतलाई जाती है इस शब्द के रूप विकल्प से कर्तृ० संबो० अपा०, और अधि० में सर्वनाम की भांति होते हैं) 1. दूसरा, भिन्न, अम्य--दे० 'पर' पुं० भी 2. दूरस्थित, हटाया हुआ, दूर का 3. परे, आगे , के दूसरी ओर-म्लेच्छदेशस्ततः परः-मनु० २२३, ७४१५८ 4. बाद का, पीछे का, आगे का (प्राय: अपा० के साथ) वाल्यात्परामिव दशां मदनोऽच्युवास-रघु० ५।६३, कु० ११३१ 5. उच्चतर, श्रेष्ठ, सिकतात्वादपि परां प्रपेदे परमाणुताम् --रघु० १५।२२, इन्द्रियाणि पराण्याहू --रिन्द्रियेभ्यः परं मनः, मनसस्तु परा बुद्धिर्यो बुद्धेः परतस्तु स:--भग० २।४३, 6. उच्चतम, महत्तम, पूज्यतम, प्रमुख, मुख्य, सर्वोत्तम, प्रधान-न त्वया द्रष्टव्यानां परं दृष्टम् --श०२, कि० ५।२८ 7. (समास में) आगे का वर्ण या ध्वनि रखने वाला, पीछे का 8. विदेशी, अपरिचित, अजनवी 9. विरोधी, शत्रतापूर्ण, प्रतिकूल 0. अधिक, अतिरिक्त, बचा हुआ...जैसा कि परं शतम् ---एक सौ से अधिक 11. अन्तिम, आखीर का 12. (समास के अन्त में) किसी वस्तु को उच्चतम पदार्थ समझने वाला, लोन, तुला हुआ, अनन्यक्त, पूर्णतः व्यस्त --परिचर्यापर:-रघु० ११९१, इसी प्रकार 'ध्यानपर' : शोकपर, देवपर, चितापर आदि-र: 1. दूसरा, ! व्यक्ति, अपरिचित, विदेशी (इस अर्थ में बहुधा ब० व०) यतः परेषां गुणग्रहीतासि-भामि० ११९, शि० २०७४, दे० 'एक' 'अन्य' भी 2. शत्र, दुष्मन, रिपु उत्तिष्ठमानस्पु परो नोपेक्ष्यः पथ्यमिच्छता-शि० २। १०, पंच० २।१५८, रघु० ३।२१,--रम् उच्चतम स्वर या बिन्दु, चरम विन्दु 2. परमात्मा 3. मोक्ष विशे०-कर्म०, करण, और अधि० के एक वचन के 'पर' शब्द के रूप क्रिया विशेषण की भांति प्रयुक्त किये जाते हैं--अर्थात् (क) परम 1. परे, अधिक, में से (अपा०), वर्त्मनः परम् - रघु० १२१७, 2. के पश्चात् (अपा०) अस्मात् परं-श० ४।१६, ततः परम् 3. उस पर, उसके बाद 4. परंतु, लोभी 5. अन्यथा 6. ऊँची मात्रा में, अधिकता के साथ, अत्यधिक, पूरी तरह से, सर्वथा...परं दुःखितोऽस्मि -आदि 7. अत्यंत (ख) परेण !. आगे, परे, अपेक्षाकृत अधिक---किंवा मृत्योः परेण विधास्यति-मा० २।२ 2. इसके पश्चात-मयि त कृतनिधाने कि विदध्याः परेण-महावी० २।४९ 3. के बाद (अपा० के साथ) स्तम्य त्यागात्परेण- उत्तर० २।७, (ग) परे 1. बाद में, उसके पश्चात-अथ ते दशाहतः परे --रघु० ८७३ 2. भविष्य में। सम०–अंगम् शरीर का पिछला,-अंगवः शिव का विशेषण,- अवनः अरब या पशिया के देशों में पाया जाने वाला घोड़ा, -अधीन (वि.) पराधीन, पराश्रित, परवश, मनु० १०१५४,५३,-अंताः (पुं०, ब० व०) एक राष्ट्र का नाम,---अंतकः शिव का विशेषण-अन्न (वि.) दूसरे के भोजन पर निर्वाह करने वाला (श्रम) दूस रेका भोजन परिपुष्टता दूसरों के भोजन से पालन-पोषण याज्ञ० ३२४१ भोजिन् (वि०) दूसरों के भोजन पर निर्वाह करने वाला हि० १२१३९, -- अपर (वि०) 1. दूर और किकट, दूर और समीप 2. पूर्ववर्ती और पश्चवर्ती 3. पहले और बाद में, पहले और पीछे 4. ऊंचा और नीचा, सबसे उत्तम और सबसे खराब (-रम्) (तर्क० में) महत्तम और लघूत्तम संख्याओं के बीच की वस्तु, जाति (जो श्रेणी और व्यक्ति दोनों के मध्य विद्यमान हो), अमृतम् वृष्टि,... अयण (अयन ) (वि.) 1. अनुरक्त, भक्त, संसक्त 2. आश्रित, वशीभूत 3. तुला हुआ, अनन्य भक्त, सर्वथा लीन (समास के अन्त में )--प्रभुधनपरायणः-भर्तृ० २।५६, इसी प्रकार-शोक कु० ४११, अग्निहोत्रं आदि (-णम्) प्रधान या चरम उद्देश्य, मुख्य ध्येय, सर्वोत्तम या अन्तिम सहारा,---अर्थ (वि०) दूसरा ही उद्देश्य या अर्थ रखने वाला, 2. दूसरे के लिए अभिप्रेत, अन्य के लिए किया हुआ (-र्थः) 1. सर्वोच्च हित या For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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