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पत्तनम् | पतंति गच्छेति जना यस्मिन् पत् + तनन् ] कस्बा, नगर ( विप० ग्राम ) - पत्तने विद्यमानेऽपि ग्रामे रत्न परीक्षा - मालवि० १ ।
पत्तिः [ पद्+ति ] 1. पैदल, पैदल सैनिक - रघु० ७।३७ 2. पैदल चलने वाला यात्री 3. वीर - ( स्त्री ० ) 1. सेना का छोटे से छोटा दस्ता जिसमें एक रथ, एक हाथी, तीन घुड़सवार और पाँच पैदल सैनिक हों 2. जाने वाला, चलने वाला। सभ० कायः पैदल सेना, -- गणक: सेना का अधिकारी जिसका काम पैदल सेना की गिनती करता है, संहतिः (स्त्री० ) पैदल सिपाहियों की टुकड़ी, पैदल सेना ।
रत्तिन् (पुं० ) [ पद्भ्यां तेलति पाद + तिल् + डिन्, पदादेश | पैदल सिपाही |
पत्नी | पति + ङीप्, नुक् ] सहर्द्धामणी, भार्या । सम - आट: रनिवास, अंतपुर, सन्नहनम् धर्मपत्नी का कटिसूत्र या करधनी ।
पत्रम् | पत् + ष्ट्रन् ] 1. ( वृक्ष का ) पत्ता - धत्ते भरं कुसुफलावलीनाम् भामि० १।९४2. फूल की पत्ती, कमल का पत्ता - नीलोत्पलपत्रवारया -- श० १।१७ 3. पत्ता जिसके ऊपर लिखा जाय, कागज, लिखा हुआ पत्र - पत्रमारोप्य दीयताम् - श० ६ पत्र पर लिख कर विक्रम० २०१४ 4. पत्र, दस्तावेज 5. किसी धातु का पतला पत्रा, स्वर्ण-पत्र 6. पक्षी का बाजू, पंच, पर 7. बाण का पंख -- रघु० २३१ 8 सामान्य मदारी (रव, घोड़ा, ऊँट आदि ) --दिशः पपात पत्रेण वेगपिकेतुना - रघु० १५।४८ ने० ३।१६१. शरीर पर ( विशेष कर मुख पर ) चन्दन आदि सुगंधित द्रव्य का लेप करना रचय कुचयोः पत्रं चित्रं कुरुष्व कपोलयो:- गीत० १२, रघु० १३।५५ 10. तलवार या बाकू का फल 11. चाकू, छूरी । सम० - अंगम् 1. भूर्ज वृक्ष 2. लाल चंदन - अंगुलिः शरीर (गर्दन, तक आदि) पर अंगुलियों से केसर मिश्रित चंदन या अन्य किसी सुगंधित पदार्थ से चित्रण करना, -- अंजनम् मसी, ---आवलिः (स्त्री० ) 1. गेरु 2. पत्तों का कतार 3. शरीर पर सजावट की दृष्टि से चंदनादि से रेखाचित्रण करना, आवली 1. पत्तों की पंक्ति 2 = आवली ( 3 ) आहारः पत्ते खाकर निर्वाह करना, -- कर्णम् बुनने वाली रेशम, रेशमी वस्त्र स्नानीय वस्त्रक्रियया पत्रोर्ण वोपयुज्यते - मालवि० ५।१२, काहला परों की फटफटाहट, पत्तों की खड़खड़ाहट, - दारकः आरा, नाडिका पत्ते के रेशे, परशुः रेती, पाल: लंबी छुरी, बड़ा चाकू (ली) 1. बाण का पंखवाला भाग 2. कैची, पाइया मस्तक का सोने का आभूषण, टीका, पुटम् पत्तों से बना पात्र, दोना - रघु ० २।६५, - - बा (वा) लः चप्पू--भंगः,
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--भंगि:, - गी (स्त्री०) शरीर को अलंकृत करने के लिए चंदन, केसर, महंदी या किसी अन्य सुगंधित द्रव्य से शरीर पर लेप करना या चित्रण करना - कस्तूरीवरपत्रभंगनिकरो मृष्टो न गंडस्थले श्रृंगार० ७ ( कादंबरी में बहुलता से प्रयुक्त ) - यौवनम् नया पत्ता या कोंपल, रथः पक्षी - व्यर्थीकृतं पत्ररथेन तेन - नं० ३।६, इन्द्रः गरूड़ का नाम, इन्द्रकेतुः विष्णु का नाम रघु० १८/३०, रे (ले) खा, -वल्लरी, वल्लिः, वल्ली (वि०) दे० ऊ० पत्र भंग' - रघु० ६७२, १६/६७, ऋतु० ९।७, शि० ८। ५६, ५९ - - वाज (वि०) (बाण आदि) पंखों से युक्त, - वाहः 1. पक्षी शि० १८/७३ 2. बाण 3. डाकिया, चिट्टीरसां, विशेषक: चित्रकारी की रेखाएँ - दे० 'पत्रभंग' - कु० ३।३३, रघु० ३१५५, ९१२९, वेष्टः एक प्रकार का कानों का आभूषण, शाकः शाकभाजी जिसमें मुख्यरूप से पत्ते हों, श्रेष्ठः बेल का पेड़, -सूचिः (स्त्री०) कांटा, हिमम् जाड़े की ऋतु जब पाला या बर्फ पड़े ।
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पत्रकम् [ पत्र + कन् ] 1. पत्ता 2. सौन्दर्य बढ़ाने की दृष्टि
से शरीर पर बनाई गई रेखाएँ या चित्रकारी । पत्रणा [ पत्र + णिच् + युच् + टाप् ]1. सौन्दर्य वृद्धि के
लिए शरीर पर बनाई गई रेखाएँ और चित्रकारी 2. बाण में पंख लगाना ।
पत्रिका [ पत्री + कन+टाप्, ह्रस्वः ] 1. लिखने के लिए कागज 2. चिट्टी, लेख, प्रलेख ।
पत्रिन्
(वि० ) ( स्त्री० - णी ) [ पत्रम् अस्त्यर्थ इनि ] 1. पंखों से युक्त, परों वाला – मयूर॰—रघु० ३।५६ २. जिसमें पत्ते या पृष्ठ हो ( पुं० ) 1. बाण - तां विलोक्य वनितावधे घृणां पत्रिणा सह मुमोच राधवः - रघु० ११ १७, ३५३, ९/६१२ पक्षी - रघु० १२/२९ 3. बाज 4. पहाड़ 5. रथ 6- वृक्ष । सम० - वाहः पक्षी ।
पत्सलः [ पत्+सरन्, रस्य लः ] रास्ता, मार्ग । पथः [ पथ् +-क (धञ्ञर्थे ) ] रास्ता, मार्ग, प्रसार, (समास के अन्त में ) किनारा। सम० – कल्पना जाडु के खेल, --- दर्शकः मार्ग बतलाने वाला ।
पथिकः
[ पथिन् + ष्कन् ] 1. यात्री, मुसाफिर, बटोही पथिकवनिताः मेघ० ८, अमरू ९३ 2. पथप्रदर्शक | सम० -- संततिः, संहतिः ( स्त्री०, सार्थः यात्रियों का समूह, काफला ।
पथिन् (पुं० ) [ पथ् आधारे इनि ] ( कर्तृ० पंथाः, पंथानौ, पंथान:, कर्म ० ब ० ० - पथः, करण० ब० व० - पथिभिः आदि, समास के अन्त में यह शब्द बदल कर 'पथ' हो जाता है -- तोयाधारपथाः, दृष्टिपथः, नष्टपथः, सत्पथः, प्रतिपथम् आदि ) 1. मार्ग, रास्ता,
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