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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ५६० ) येते-का० ३४७, इसी प्रकार 'उद्भिन्त्रपक्षः' निकल पक्ष लेने वाला, किसी एक की तरफ़दारी करने वाला आये हैं पंख जिसके, पक्षयुक्त, पक्षच्छेदोद्यतं शक्रम् (र:) 1. पक्षी 2. चन्द्रमा 3. हिमायती 4. यूथभ्रष्ट -रघु. ४११०, ३।४० 2. बाण के दोनों ओर लगे हाथी,-- नाडी पक्षो का मोटा पर जिसे कलमकी भांति पंख 3. किसी मनुष्य या जन्तु का पाव, कंधा-स्तं- प्रयुक्त करते हैं,-पातः 1. किसी एक की तरफ़दारी बेरमा उभयपक्षविनीतनिद्राः-रघु० ५/७२ 4. किसी करना 2. (किसी वस्तु के लिए) स्नेह, प्रेम, चाह, भी वस्तु का पाश्र्व, बगल-5 सेना का एक कक्ष या रुचि--भवति भव्येषु हि पक्षपाता:-कि० ३.१२, पार्व 6. किसी वस्तु का अर्धभाग 7. चान्द्र. मास का वेणी० ३.१०, उत्तर० ५।१७, रिपुपक्षे बदःपक्षपातः अर्घभाग, पखवारा (१५ दिनों का) (इस प्रकार के - मुद्रा० ११३ 3. किसी दल विशेष की ओर अनुदो पक्ष होते हैं। शुक्लपक्ष-जिन दिनों चन्द्रमा राग, हिमायत, तरफ़दारी- पक्षपातमत्र देवी मन्यते निकला. रहता है, कृष्ण या तमिश्रपक्ष-अंधियारा ---मालवि० १, सत्यं जना वकिम न पक्षपातात पाख) तमिश्रपक्षेऽपि सह प्रियाभिज्योत्स्ना -वतो -भर्त० १४७ 4. पंखों का गिरना, पक्षमोचन 5. निर्विशति प्रदोषात्--रघु० ६।३४, मनु० ११६६, हियायती-पातिन (वि.) 1. पक्षपात करने वाला, याज़० ३५०, सीमा वृद्धि समायाति शुक्लपक्ष इवो- किसी एक दल का अनुयायी, (किसी एक विशिष्ट डुराट्-पंच० ११९२ 8. दल, गुट, पहलू --प्रमुदित- बात का) तरफ़दार---पक्षपातिनो देवा अपि पांडवावरपक्ष--रघु०६८६, शि० २११७, भग० १४१२५, नाम् वेणी० ३ 2. सहानुभूति करने वाला-वेणी० रघु० ६१५३,१८१. किसी एक दल से संबद्ध, अनु ३ 3. अनुयायो, हिमायती, मित्र-यः सुरपक्षपाती यायी, साझीदार-शत्रुपक्षोभवान् -हि० १ 10. —विक्रम०१, (नै० २१५२ में 'पक्षपातिता' शब्द का श्रेणी, समुदाय, समूह, अनुयायियों को संख्या--शत्रु, अर्थ ह 'पंखों की गति' भी),–पालिः चोर दरवाजा, मित्र° 11. किसी तर्क का एक पहल, विकल्प, दो में --बिदुः कंक पक्षी,-- भागः 1. पाव, बगल 2. से कोई सा एक पक्ष,-पक्षे दूशरा पहल, इसके विप- विशेषतः हाथी का पार्व, भुक्तिः उतरी दूरी जितनी रीत -पूर्व एवाभवत्पक्षस्तस्मिन्नाभवदुत्तर:-रधु. सूर्य एक पखवारे में तय करता है,- मूलम् पंख की ४११०, १४।३४, तु० पूर्वपक्ष और उत्तरपक्ष 12. एक जड़, - वादः 1. एकतरफ़ा बयान 2. एक पक्ष को सामान्य विचार जैसा कि 'पक्षांतरे में 13. चर्चा का उक्ति, मताभिव्यक्ति, वाहनः पक्षी, हतः (वि.) विषय, प्रस्ताव 14. अनुमान-प्रक्रिया का विषय (वह जिसका एक पावं लकवे से बेकाम हो गया हो, हरः वस्तु जिसमें साध्य की स्थिति · संदिग्ध हो) संदिग्ध- पक्षी, -होम 1. पन्द्रह दिन तक होने वाला यज्ञ 2. साध्यवान् पक्षः-तर्क०, दधतः शुद्धिभूतो गृहीतपक्षाः पाक्षिक यज्ञ । ---शि० २०१११ (यहां इसका अर्थ 'पंखयक्त' भी है) | पक्षकः [पक्ष+कन] 1. चोर दरवाजा 2. पक्ष, पार्श्व 3. 15. दो की संख्या को प्रतीकात्मक उक्ति 16. पक्षी 17. साथी, हिमायती (समास के अन्त में प्रयुक्त)। अवस्था, दशा 18. शरीर 19. शरीर का अंग 20, राजा पता [ पल तलटाप 1 1. मित्रता. का हाथी 21. सेना:22. दीवार 23: विरोध 24. प्रति 2. दल- विशेष का अनुगमन 3, किसी एक पक्ष का बचम, उत्तर 25. राशि,समुच्चय (समासमें 'बाल'का अर्थ होना । देने वाले शब्दों के साथ), केशपक्षः, तू० हस्त। सम० | पक्षतिः (स्त्री०) [पक्षस्य मूलम्-पक्ष+ति] 1. पंख की अतः कोई से भी पक्ष का पन्द्रहवां दिन अर्थात् ' जड़ अलिखच्चचुपुटेन पक्षती–० २१२, खङ्गं अमावस्या या प्रणिमा का दिन- अंतरम् 1. दूसरा च्छिन्न जटायपक्षतिः -उत्तर० ३।४३, शि० १११२६ पाव 2. किसी तर्क का दूसरा पहल 3. और विचार 2. शुक्लपक्ष की प्रतिपदा । या कल्लना,--आघातः 1.शरीर के एक अंग का मारा पक्षालुः [पक्ष---आलुच पंछी। जामा, अधलकवा आभासः 1. भ्रामक तर्क 2. | पक्षिणी [पक्ष इनि+ डीप्] 1. मादा पक्षी 2. दो दिनों मिथ्या परिवाद या फ़रियाद, ---आहारः पखवारे में के बीच की रात (द्वावलावेक रात्रिश्च पक्षिणीत्यकेवल एक बार भोजन करना, ग्रहणम किसी भी भिधीयते) 3. पूर्णिमा। पक्ष का हो जाना,-चरः 1. यूथभ्रष्ट हाथी 2. चन्द्रमा, पक्षिन (वि०) (स्त्री -णो) पक्ष-इनि] 1. पंखयुक्त -छिद् (पुं०) इन्द्र का विशेषण (पहाड़ के पंखों या 2. बाजूवाला 3. तरफदार, दल विशेष का अनुयायी भुजाओं को काटने वाला), कु. १२०,-जः चाँद । ---[पु०) 1. पक्षी 2. तीर 3. शिव का विशेषण । -द्वयम् 1. किसी विवाद के दोनों पहल 2. दो सम--इन्द्रः --प्रबरः - राज् (पुं०) -- राजः, --सिंहः पखवारे अर्थात् एक मास,--द्वारम् चोरदरवाजा, ...स्वामिन् (प.) गरुड का विशेषण,--कीटः छोटी निजी द्वार,-धर (वि.) 1. पंखधारी 2. एक का | चिड़िया,-शाला 1. घोंसला 2. चिड़ियाघर । For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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