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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -ते, ले जाने की कामना करना, अनु–मानना, । अपने पक्ष का बना लेना, प्रवृत्त करना, फुसलाना, ! प्रार्थना करना, राजी करना, बहलाना, (क्रोधादिक) शान्त करना, प्रसन्न करना, लुभाना-स चानुनीत: प्रणतेन पश्चात् - रघु० ५।५४, विग्रहाच्च शयने पराङमुखी नुनेतुमबलाः स तत्वरे-१९।३८, कि० १३। ६७, भट्टि० ५।४६, ६।१३७ 2. स्नेह करना -- भर्तृ. २१७७ 3. साधना, अनुशासन में रखना, अप-1. दूर । ले जाना, दूर बहा ले जाना, निवृत्त करना--मनु० ३।२४२ 2. (क) हटाना, नष्ट करना, ले जाना --श० ६।२६, शत्रूनपनेष्यामि-भट्टि० १६।३०, (ख) लूटता, चुराना, लूटमार करना, छीनना, ले लेना -रधु० १३१२४ 2. उद्धृत, निचोड़ करना -शल्यं हृदयादपनीतमिव-विक्रम० ५, दूर करना, (वस्त्रादिक) उतारना, खींचकर उतारना-चरणान्निगड़मपनय-- मच्छ०६, अपनयंतु भवत्यो मृगयावेषम् -श० २, रघु० ४।६४, अभि-, 1. निकट लाना, संचालन करना, नेतृत्व करना, ले जाना--कि० ८।३२ मुद्रा० १।६,१५ 2. अभिनय करना, नाटकीय रूप से प्रतिनिधान या प्रदर्शन करना, हाव-भाव (बहुधा रंगभूमि के निदेशों में प्रयुक्त) प्रदर्शित करना-श्रुतिमभिनीय---श० ३, कुसुमावचयनभभिनयंत्यो सख्यौ-श० ४, मुद्रा० ११२, ३१३१ 3. उद्धृत करना, घटाना, अभिवि-,अध्यापन करना, शिक्षा देना, सधाना, आ--, 1. लाना, जाकर लाना-भुवनं मत्याश्र्वमानीयते --श० ७८, मनु० ८।२१० 2. प्रकाशित करना, पैदा करना, उत्पादन करना---आनिनाय भुव: कंप रघु०१५,२४ 3. किसो अवस्था में पहुंचाना आनीयतां नम्रताम्-रत्न ११ 4. निकट ले जाना, पहुचाना उद्-1. आगे बढ़ाना, पालनपोषण करना 2. उठाना, उन्नत करता, सीधा खड़ा करना (आ) दंडमुन्नयते-सिद्धा० 3. एक ओर ले जाना, एकान्तमुन्नीय-- महा0 4. अनुमान लगाना, निश्चय करना, : अटकल लगाना, अन्दाज लगाना उत्तर० १२९, । ३।२२, उप-- 1. निकट लाना, जाकर लाना विधिनवोपनीतस्त्वम्-मच्छ० ७१६, मनु० ३।२२५, मालवि० २।५, कु० ७७२ 2. उठाना, उन्नत करना, ले जाना शि० ९।७२ 3. प्रस्तुत करना, उपस्थित करना-रधु० २।५९, कु० ३१६९ 4. प्रकाशित करना, पैदा करना, उत्पादन करना-उपनयनर्थान-पंच० ३.१८०, उपनयन्त्रगैरनंगोत्सबम् --गीत०१5. किसी अवस्था में लाना, अवस्थाविशेष तक पहुंचाना-पुरोपनीतं नृप रामणीयकम् ----कि० ११३९ 6. यज्ञोपवीत धारण कराना (आ०) माणवकमुपनयते-सिद्धा०, भट्टि० १।१५, रधु० ३।। २९, मनु० २।४९ 7. भाड़े पर रखना, भाड़े के नौकर रखना-कर्मकरानुपनयते---सिद्धा०, उपा-, अवस्था विशेष में लाना, घटाना, नि-, 1. निकट ले जाना, समीप पहुँचाना- याज्ञ०३।२९५ 2. झकना, विनत होना,-वक्त्रं निनीय-3. उडेलना 4. घटित करना, निष्पन्न करना, निस्-, 1. ले उड़ना, 2. निश्चय करना, तय करना, फैसला करना, संकल्प करना, दृढ़ करना-कथमप्युपायमात्मनव निर्णीय दश०, कि० १२३९, परि-, 1. (अग्नि की) प्रदक्षिणा करना-तौ दंपती चि: परिणीय वह्नि (पुरोधाः) -कु० ७८०-अग्नि पर्यणयं च यत्-रामा० 2. विवाह करना, ब्याहना-परिणेष्यति पार्वतीं यदा तपसा तत्प्रवणीकृतो हः-कु० ४।४२ 2. निश्चय करना, खोज करना-मनु० ७।१२२, प्र--, 1. (सेना आदि का) नेतृत्व करना-वानरेन्द्रेण प्रणीतेन (बलेन) रामा० 2. प्रस्तुत करना, देना, उपस्थित करनाअयं प्रणीय जनकात्मजा-भट्रि० ५।७६ 3. चेताना, (आग) सुलगाना, पंच० ३.१ 4. वेदमंत्रों के पाठ से अभिमंत्रित करना, पूजना, अर्चना करना-विधाप्रणीतो ज्वलनः-हरि० 5, (दण्ड आदि) देना-मनु० ७।२०, ८१२३८ 6. निर्धारित करना, शिक्षा-प्रदान करना, प्रख्यायन करना, प्रतिष्ठापित करना, विहित करना--स एव धर्मो मनुना प्रणीत:-रधु०१४।६७, भवत्प्रणीतयाचारमामनंति हि साधवः-कु० ६।३१ 7. लिखना, रचना करना-प्रणीतः न तु प्रकाशित: - उत्तर० ४, उत्तरं रामचरितं तत्प्रणीतं प्रयुज्यते उत्तर० ११३ 8. निष्पन्न करना, कार्यान्वित करना, अनुष्ठान करना, प्रकाशित करना-नै० ११५,१९, भर्त० ३।८२ 9. (अवस्था विशेष तक) पहुँचाना, निम्न अवस्था में ले जाना, प्रति-,वापिस ले जाना,. वि-, 1. हटाना, ले जाना, नष्ट करना (आ०, उस स्थान को छोड़कर जहाँ कर्म के स्थान में शरीर का कोई भाग' हो) पटुपटहध्वनिभिविनीतनिद्र:रघु० ९।७१, ५१७५, १३।३५,४६, १५।४८, कु० १४९, विनयते स्म तद्योधा मधुभिबिजयश्रमम् --- रधु० ४।६५,६७ 2. अध्यापन करना, शिक्षण देना, शिक्षा देना, प्रशिक्षित करना-विनिन्यरेनं गुरवो गुरुप्रियम् ----रधु० ३।२९,१५।६९,१८१५१, याज्ञ. ११३११ 3. पालना, वशीभूत करना, प्रशासित करना, नियंत्रित करना-वन्यान् विनेष्यन्निव दुष्टसत्त्वान्-रधु० २।८, १४१७५, कि० २१४१ 4. प्रसन्न करना, (क्रोध आदि) शान्त करना (आ०) 5. व्यतीत हो जाना, (समय का) बिताना-कथमपि यामिनीं विनीय --- गीत० ८ 6. पार ले जाना, सम्पन्न करना, पूरा करना 7. व्यय करना, प्रयुक्त करना, उपयोग में (आ०) लाना, For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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