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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संताप-विपक्षियों के आक्रमण से सुरक्षित 2. राष्ट्रीय | दुःखों या अत्याचारों से मक्त 3. जो किसी प्रकार का कष्ट न पहुँचाये 4. सुरक्षित, शांतिमय, --उपधि (वि.) निष्कपट, ईमानदार ---उत्तर० २।२,-उपपत्ति (वि०) अनुपयुक्त, उपपद (वि०) 1. जिसकी कोई उपाधि या पद न हो--मुद्रा० ३. 2. गौण शब्द से असंबद्ध, उपप्लव (वि.) वाधारहित, जहाँ कोई रुकावट या सकट न हो, जहाँ किसी प्रकार की हानि न हो-निरूपप्लानि नः कर्माणि संवत्तानि - श० ३, उपम (वि०) अनुपम, बेजोड़, अतुलनीय, उपसर्ग (वि०) जहां उत्पात न होते हों, उपद्रव से रहित, उपाख्य (वि०) 1. अवास्तविक, मिथ्या, (बंध्यापुत्र की भांति) जिसका कोई अस्तित्व न हो 2. अभौतिक 3. नीरूप, --उपाय (वि०) उपायरहित, असहाय,-उपेक्ष (वि०) 1 जालसाजी या चालाको से मुक्त 2. जिसकी उपेक्षा न की गई हो,–उष्मन् (वि०) तापशून्य, शीतल, गंध (वि०) गंधशून्य, गंधरहित, जिसमें गंध न हो, बिना गंध के -निर्गंधा इव किंशुकाः, पुष्टिः (स्त्रि०) सेमर का पेड़,--गर्व (वि.) अभिमानरहित, -- गवाक्ष (वि०) जहाँ कोई खिड़की न हो,-गुण (वि०) 1. (धनुष की भांति) बिना डोरी का 2. संपत्तिशुन्य 3. गुणरहित, बुरा, निकम्मा-निर्गुणः शोभते नैव विपुलाडवरोऽपि ना--भामि० २११५ 4. जिसका कोई विशेषण न हो 5. जिसकी कोई उपाधि न हो (णः), परमात्मा, -गृह (वि०) जिसका कोई घर न हो, घररहित - सुगही निर्गही कृता- पंच० ११३९०, -गौरव (वि.) 1. जिसकी कोई प्रतिष्ठा न हो, प्रतिष्ठारहित,---ग्रंथ (दि०) 1. बंधनमुक्त, बाधारहित 2. गरीब, संपत्तिरहित, भिखारी 3. अकेला, असहाय (थः) 1. जड, मूर्ख 2. जुआरी 3. सन्त महात्मा जो सब प्रकार की सांसारिक विषय वासनाओं को त्याग कर नग्न होकर विचरता है, और विरक्त संन्यासी की भांति रहता है,- ग्रंथक (वि०) 1. निपुण, विशेषज्ञ 2. असहाय, अकेला 3. छोड़ा हआ, परित्यक्त 4. निष्फल (क:) धार्मिक साधु, क्षेपणक 2. दिगंबर साधु 3. जुआरी,-ग्रंथिकः नंगा रहने वाला साधु, दिगंवर संप्रदाय का जैन-साधु, क्षपणक,-घटम् 1. वह बाजार जहाँ दुकानदारों से किसी प्रकार का कर न लिया जाता हो 2. बड़ा बाजार जहाँ बहुत भीड़ भड़क्का हो,-घण (वि०) 1. क्रूर, निष्ठुर, निर्दय 2. निर्लज्ज, बेहाया,-जन (वि.) जहाँ कोई न रहता हो, जो आबाद न हो, जहाँ कोई आता-जाता न हो, एकान्त, सुनसान (नम्) मरुभूमि, एकांत सुनसान जगह,--जर (वि०) । 1. जो कभी बढ़ा न हो, सदा युवा रहने वाला 2. अनश्वर, जिसकी कभी मृत्यु न हो, (रः) देवता, सुर (कर्तृ० ब० व०---निर्जरा: --निर्जरसः) (रम्) अमृत, सुधा, --जल (वि.) 1. जलरहित, मरुभूमि, जलशुन्य 2. जिसमें पानी न मिला हो (लः) ऊसर, बंजर, वीरान उजाड़, -जिह्वः मेंढक, जीव (वि.) 1. प्राणरहित 2. मृतक, -ज्वर (वि०) जिसे बुखार न हो, स्वस्थ,-दंडः शुद्र,--दय (वि०) 1 निर्दय, क्रूर, निर्मम, बेरहम, करुणारहित 2. उग्र 3. घनिष्ठ दृढ़, मजवन, अत्यधिक, प्रचंड ... मुग्धे विदेहि मयि निर्दयदंतदशम ---गीत०१०, निर्दयरतिथमालसाःरघु० १९।३२, निर्दयाश्लेषहेतोः मेघ० १०६, ----दयम् (अव्य०) 1. निष्ठरता के साथ, क्रूरतापूर्वक 2. प्रचंडता के साथ, कठोरतापूर्वक-रघु० ११४८४, दश (वि०) दस से अधिक दिनों का, दशन (वि०) बिना दांतों का, दुःख (वि०) 1. पीड़ा से मुक्त, पीडारहित 2. जो पीडा न दे, दोष (वि०) 1. निरपराध, दोषरहित-न निर्दोष न निर्गुणम् 2. अपराधशून्य, निरीह, - द्रव्य (वि०) संपत्तिरहित, गरीब, द्रोह (वि०) जो शत्रु न हो, मित्रवत्, कृपापूर्ण, जो द्वेषपूर्ण न हो,--द्वन्द्व (वि.) जो सुखदुःख के द्वंद्वों से रहित हो, हर्ष और विषाद से परे हो,-निद्वो नित्यसत्त्वस्थो निर्योगक्षेम आत्मवान् --भग० २४५ 2. जो औरों पर आश्रित न हो, स्वतंत्र 3. ईर्ष्या द्वेष से मुक्त हो 4. जो दो से परे हो 5. जिसमें मुकाबला न हो, जिसमें किसी प्रकार का झगड़ा न हो 6. जो दो सिद्धांतों को न मानता हो,--धन (वि.) संपत्तिहीन, गरीब, दरिद्र-शशिनस्तुल्यवंशोऽपि निर्धनः परिभूयते-चाण० ८२, (नः) बूढ़ा बैल,--धर्म (वि०) धर्महीन, अधर्मी, धूम (वि०) जहाँ धूआँ न हो---ज़र (वि०) मनुष्यों द्वारा परित्यक्त, उजाड़,--नाय (वि.) जिसका कोई अभिभावक या स्वामी न हो,--निद्र (वि.) जिसे नींद न आई हो, जागरूक,--निमित्त (वि.) अकारण बिना कारण का,--निमेष (बि०) बिना पलक झपकार्य टकटकी लगाने वाला,--बंधु (वि०) बंधुरहित, मित्रहीन,--बल (वि.) शक्तिरहित, कमज़ोर, बलहीन,--बाध (वि.) 1. बाधारहित 2. जहाँ प्रायः आना-जाना न हो, एकांत, निर्जन 3. निरुपद्रव, बुद्धि (वि०) मूर्ख, अज्ञानी, बेवकूफ़,-बुष,-बुस (वि०) जिसकी भसी न निकाली गई हो, जिसमें से बूर निकाल दिया गया है,-.-भय (वि.) 1. निडर, निश्शंक 2. भय से मुक्त, सुरक्षित, निरापद्---मनु० ९।२५५,-भर (वि०) अत्यधिक, तीव्र, उग्र, बहुत मजबूत–वपाभर निर्भर स्मरशर—गीत० १२, For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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