________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
। ४७० ) ध्यान रखना-भूरि श्रुतं शाश्वतमाद्रियन्ते-मा० १।। ९९, याज्ञ० ३।२६८ 2. मछली 3. खाल, चमड़ा ५4. इच्छा करना।
4. धौंकनी। सम-हरिः कुत्ता। वह i (म्वा० पर०--हति, इंहित) 1. पुष्ट करना, | वृन्फः (स्त्री०) [दृम्फ् +-कू नि.] साँप, वज्र । 2. समर्थन करना।
दन्भः दिम्फ+कू नि०] 1. इन्द्र का वज़ 2. सूर्य 3. राजा ii (म्वा० आ०) 1. दृढ़ होना 2. विकसित होना या । यम, मृत्यु का देवता, अन्तक । बढ़ना।
दप (म्वा० पर०, चुरा० उभ०--दर्पति, दर्पयति--ते) इंहित (भू० क० कृ०) दंह,+क्त] 1. पुष्ट किया गया, प्रकाशित करना, प्रज्वलित करना, सुलगाना । सथित, 2. विकसित, वर्षित।
ii (दिवा० पर०-दृप्यति, दप्त) 1. घमण्ड करना, दकम् [+कक्] छिद्र, सूराख ।
अहंकार करना, ढीठ होना,—स किल नात्मना दृष्यति वृद्ध (वि.) [दृह,+क्त] 1. स्थिर, दृढ़, मजबूत, अचल,
-उत्तर०, दृप्यदानवदूयमानदिविषदुरदुःखापदोम् अथक-भग० १५.३, हि० ३३६५, रघु० १३१७८
--गीत०९ 2. अत्यन्त प्रसन्न होना, 3. असभ्य या 2. ठोस, पिण्डाकार 3. संपुष्ट, स्थापित 4. स्थिर, दुर्दान्त होना। घेर्यशाली-भग०, ७।२८ 5. दृढ़ता पूर्वक बाँधा हुआ, | दुप्त (वि.) [दृप्+क्त] 1. घमण्डी, अहंकारी 2. मदोन्मत्त कस कर बन्द किया हुआ 6. सुसंहत 7. कसा हुआ, असभ्य, पागल। घनिष्ठ, सघन 8. मजबूत, गहन, बड़ा, अत्यधिक, | दृप्र (वि०) [ दृप्+रक् ] घमण्डी, अहंकारी, बलवान् ताक़तवर, कठोर, शक्तिशाली---तस्याः करिष्यामि | । शक्तिशाली। दृढ़ानुतापम् --कु० ३१८, रघु० ११०४६ 9. कड़ा
दश (भ्वा० पर०-पश्यति, दृष्ट) 1. देखना, नजर डालना 10. (धनुष की भांति) झकाने या तानने में कठिन
अवलोकन करना, समीक्षा करना, निहारना, दृष्टि11. टिकाऊ 12. विश्वासपात्र 13. निश्चित, अचूक,
गोचर करना-द्रक्ष्यसि भ्रातृजायाम्-मेघ० १।१०, –वम् 1. लोहा 2. गढ़, किला 3. अधिकता, बहुतायत,
१९, रघु० ३।४२ 2. निरीक्षण करना, सम्मान करना, ऊँचा दर्जा,-तुम् (अव्य०) 1. दृढ़तापूर्वक, कस कर
विचार करना-आत्मवत्सर्वभूतेषु यः पश्यति स पण्डितः2. अत्यधिक, अत्यन्त, तेजी से 3. पूरी तरह से । सम० चाण० ५ 3. दर्शन करना, प्रतीक्षा करना, दर्शनार्थ
–अङ्ग (वि०) मज़बूत अंगों वाला, हुष्टपुष्ट (गम्) जाना-प्रत्युद्ययो मुनि द्रष्टु ब्रह्माणमिव वासवः हीरा--इषुधि (वि.) मज़बूत तरकस रखने वाला,
--रामा० 4. मन से दृष्टिगोचर करना, सीखना, ----काण्ड:-प्रन्थिः बाँस, प्राहिन (वि.) मज़बूती से
जानना, समझना-मनु०१।११०, १२।२३ 5. निरीपकड़ने वाला अर्थात् हाथ धोकर काम के पीछे पड़ने
क्षण करना, खोज करना 6. ढूंढना, अनुसन्धान करना, वाला,-वंशकः मगरमच्छ,-द्वार (वि.) बिल्कुल
परीक्षा करना, निश्चय करना-याज्ञ. ११३२७, २। सुरक्षित दरवाजों वाला,-धनः बुद्ध का विशेषण,
३०५ 7. अन्तान की दिव्य दृष्टि से देखना-ऋषि--धन्वन,-धन्विन् (पुं०) अच्छा धनुर्धारी,-निश्चय
दर्शनात्स्तोमान ददर्श --नि08. विवश होकर देखते (वि०) 1. दृढ़ संकल्प वाला, अडिग, अटल 2. पूष्ट,
रहना--कर्मवा० दृश्यते 1. दिखलाई देना, दृष्टिगोचर -नीरः,-फल: नारियल का पेड़,-प्रतिज्ञ (वि.)
होना, दर्शनीय होना, प्रकट होना-तव तच्चारु वपुर्न प्रण का पक्का, बात का धनी, सहमति पर निश्चल,
दृश्यते-कु० ४।११३, रघु० ३।४०, भट्टि० ३.१९, --प्ररोहः गूलर का पेड़,-प्रहारिन् (वि.) 1. कड़ा
मेघ० ११२ 2. प्रतीत होना, दृश्यमान होना, दिखाई प्रहार करने वाला 2. कस कर मारने वाला, अचूक
देना, मालूम होना-रघु० ३।३४ 3. मिलना, दिखाई लक्ष्यवेध करने वाला,-भक्ति (वि०) निष्ठावान्, देना, घटित होना (पुस्तक आदि में)-द्वितीयामेडितांश्रद्धालु, मति (वि.) कृतसंकल्प, स्थिरबुद्धि, अडिग, न्तेषु ततोऽन्यत्रापि दृश्यते-सिद्धा०-इति प्रयोगो भाष्ये
-मुष्टि (वि०) बन्दमुट्ठी वाला, कृपण, कंजूस, (ष्टिः) दृश्यते 4. खयाल किया जाना, माना जाना,-सामातलवार,—मूल: नारियल का पेड़,-लोमन् (पुं०) न्यप्रतिपत्तिपूर्वकमियं दारेषु दृश्या त्वया—२०४।१६, जंगली सूअर,-वैरिन (पुं०) निर्दय शत्र, निष्करुण प्रेर०-दर्शयति-ते 1. किसी को (कर्म०, संप्र० या दुश्मन, व्रत (वि.) 1. धर्म साधना में अटल 2. अडिग संबं०) कोई चीज (कर्म०) देखने के लिए प्रेरित भक्त 3. धैर्यवान्, आग्रही,-सन्धि (वि.) 1. कस करना, दिखलाना, संकेत करना-दर्शय तं चौरसिंहम् कर जुड़ा हुआ, संघनता पूर्वक मिला हुआ 2. सघन, --पंच० १, दर्शयति भक्तान् हरिम्-सिद्धा० प्रत्यसंहत 3. सटा हुआ,-सौहर (वि.) अटल मित्रता भिज्ञानरत्नं च रामायादर्शयत्कृती-रघु० १२।६४, १॥ वाला।
४७, १३।२४, मनु० ४१५७ 2. सिद्ध करना, करके इतिः (पुं० स्त्री०) [+ति, ह्रस्वः] मशक,-मनु० २।।। दिखलाना,--भट्टि० १५।१२ 3. दिखलाना, प्रदर्शन
For Private and Personal Use Only