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आग में जलाकर समाप्त कर देना भर्तृ० १७१ 2. विनाशकारी, क्षतिकर, नः 1. आग 2. कबूतर 3. 'तीन' की संख्या 4. बुरा आदमी 5. 'भल्लातक' का पौधा, नम् 1. जलाना, आग में जलाकर समाप्त कर देना (आलं० से भी) - रघु० ८ २० 2. गर्म लोहे या कास्टिक तेजाब से जला देना । सम० - अरातिः पानी, - उपल: सूर्यकांत मणि, उल्का, जलती हुई लकड़ी, - केतनः धूआँ, प्रिया अग्नि की पत्नी स्वाहा, सारथिः हवा |
दहर (वि० ) [ दह + अर] 1. रंचमात्र, सूक्ष्म, बारीक, लघु 2. छोटा, र: 1. बच्चा, शिशु 2. जानवर का बच्चा 3. छोटा भाई 4. हृदयरन्ध्र, हृदय 5. चूहा, पूसा ।
दह: [द + रक् ] 1. आग 2. दावाग्नि, जंगल की आग | वा i ( वा० पर० - यच्छति, दत्त) देना, स्वीकार करना,
प्रति, विनिमय करना - तिलेभ्यः प्रतियच्छति माषान् - सिद्धा०, ii ( अदा० पर० दाति) काटना, - ददाति द्रविणं भूरि दाति दारिद्र्यमथिनाम् कवि०, iii ( जुहो० उभ० - ददाति दत्ते, दत्त-परन्तु 'आ' पूर्व होने पर 'आत', उप पूर्व होने पर उपात, नि पूर्व होने पर निदत्त या नीत्त तथा प्र पूर्व होने पर प्रदत्त या प्रत्त ) 1. देना, स्वीकार करना, प्रदान करना, प्रस्तुत करना, सौंपना, समर्पित करना, भेंट देना ( प्रायः कर्म० के साथ वस्तु के पक्ष में व्यक्ति के पक्ष में संप्र०, कभी संबं० अथवा अधि० भी ) अवकाशं किलोदन्वान् रामायाभ्यर्थितो ददौ रघु० ४५८, सेचनघटैः बालपादपेभ्यः पयो दातुमित एवाभिवर्तते
- श० १, मनु० ३।३१, ९।२७१, कथमस्य स्तन दास्ये हरि० 2. ( ऋण, जुर्माना आदि) देना 3. सौंपना, दे देना 4. लौटाना, वापिस करना 5. छोड़ देना, त्यागना, उत्सर्ग करना, -- प्राणान् दा प्राण दे देना, इस प्रकार आत्मानं दा प्राण त्याग देना 6. रखना रख देना, लगाना, जमाना कर्णे करं ददाति - आदि 7. विवाह में देना यस्मै दद्यात् पिता त्वेनाम् --- मनु० ५ १५१, याज्ञ० २।१४६, ३।२४४ अनुमति देना, अनुज्ञा देना ( प्राय: 'तुमुन्नन्त' के साथ) - वाष्पस्तु न ददात्येनां द्रष्टुं चित्रगतामपि श० ६।२१, (इस धातु के अर्थ उस संज्ञा के अनुसार जिससे जोड़ी जाय नाना प्रकार से अदलववल किये जा सकते हैं या फैलाये जा सकते हैं, उदा०, अग्नि (पावकं ) दा आग लगाना, अर्गलं दा कुंडी लगाना, चटखनी लगाना, अवकाश वा स्थान देना, जगह देना दे० 'अवकाश', आज्ञां (निवेश) दा आज्ञा देना, आदेश देना, आतपेदा धूप में रहना, आत्मानं खेदाय दा, अपने आपको कष्ट में फंसाना, आशिवं दा आशीर्वाद |
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देना, कर्ण वा कान देना, ध्यान से सुनना, चक्षुः (दृष्टि) वा नज़र डालना, देखना, तालं वा तालियाँ जाना, दर्शना अपने आपको दिखलाना, दूसरों की बात सुनना, निगडं दा हथकड़ी डालना, श्रृंखला में बाँधना, प्रतिवचः ( वचनं ) या प्रत्युत्तरं दा उतर देना, मनो वा किसी बात में मन लगाना, मार्गदा रास्ता देना, जाने की अनुमति देना, रास्ते से अलग हो जाना, वरं दा वर देना, वाचं वा भाषण देना, वृति दा घेरना, बाड़ लगाना, शब्वं वा शोर मचाना, शापं दा शाप देना, शोकं दा, रंज पैदा करना, श्राद्धं दा श्राद्ध का अनुष्ठान करना, संकेतं दा नियुक्ति करना, संग्रामं वा लड़ना, आदि । प्रेर० - दापयति - ते दिलवाना, स्वीकार करवाना आदि- इच्छा० दित्सति - ते देने की इच्छा करना,
आ - ( आ० ) लेना, ग्रहण करना, स्वीकार करना, सहारा लेना व्यवहारासनमाददे युवा - रघु० ८/१८, १०/४०, ३।४६, प्रदक्षिणाचिर्हविरग्निराददे - ३१४१, १।४५ 2. शब्दोच्चारण करना - कि० १ ३, शि० २।१३ 3. पकड़ना, थामना कु० ७/९४4. उगाहना वसूल करना ( कर आदि ) -- अगृध्नुराददे सोऽर्थान् - रघु० १।२१, मनु० ८ ३४१ 5. ले जाना, लेना, वहन करना -- तोयमादाय गच्छे: - मेघ० २०, ४६, कुशानादाय - श० ३6. प्रत्यक्षज्ञान प्राप्त करना, समझना घ्राणेन रूपमादत्स्व रसानादत्स्व चक्षुषा आदि-महा० 7. बन्दी बनाना, क़ैद करना - उपा ( आ ) 1. ग्रहण करना, स्वीकार करना 2. अवाप्त करना, प्राप्त करना - उपात्तविद्यो गुरुदक्षिणार्थी - रघु० ५ १, भूर्या पितामहोपात्ता-याज्ञ० २।१२१ 3. लेना, धारण करना, ले जाना 4. अनुभव करना, प्रत्यक्ष ज्ञान प्राप्त करना 5. पकड़ना, आक्रमण करना, परि-, सौंपना, समर्पण करना, दे देना - छद्मना परिददामि मृत्यवे -- उत्तर० १४५, मनु० ९ ३२७, प्र- स्वीकार करना, देना, प्रस्तुत करना स्वं प्रागहं प्रादिपि नामराय किं नाम तस्मै मनसा नराय नै० ६।९५, मनु० ३।९९, १०८, २७३, याज्ञ० २।१० 2. शिक्षा देना, सिखाना, भर्तृ० ११५, प्रति अदलाबदली करना, विनिमय करना 2. लीटाना, वापिस देना - चौर० ५३ 3. बदला देना, क्षतिपूर्ति करना, व्या-, ( पर० आ० ) खोलना, तोड़ कर खोलना न व्यावदात्याननमत्रमृत्यु: - कि० १६।१६, नदी कूलं व्याददाति या व्याददते पिपीलिकाः पतङ्गस्य मुखम् - महा०, संप्र- 1. देना, स्वीकार करना, प्रदान करना, तं तेऽहं संप्रदास्यामि 2. परम्परा से प्राप्त होना - दे० संप्रदाय 3. दानपत्र लिखना, उत्तराधिकार में सौंपना । दाक्षायणी [ दक्ष + फिन + ङीप् ] 1. २७ नक्षत्रों में (जो
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