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( ४३४ ) तुबर (वि.) [तु+वरच ] 1. कषाय, कसला 2. बिना । 4. कपूर । सम-अंशुः,-करः,--किरणः,---धुतिः, दाढ़ी का (तूवर भी)।
____-रश्मिः 1. चन्द्रमा,=शि० ९।३० 2 कपूर, अचल: तुष (दिवा० पर०-तुष्यति, तुष्ट), प्रसन्न होना, सन्तुष्ट -अदिः,-शैलः हिमालय पहाड़,----रघु० ८५५४,-कणः
होना, परितृप्त होना, खुश होना (प्रायः करण के ओस की बूंद--अमर ५४,-शर्करा बर्फ।। साथ)-रत्नमहार्हस्तुतून देवा:--भर्तृ० २।८० मनु० । । (चुरा० उभ०-तूणयति-ते) सिकोड़ना, 11 (चुरा० ३।२०७, भग० २।५५, र्भा २।१३, १५१८, रघु० __ आ०-- तूणयते) भरना, भर देना। ३२६२, प्रेर०-तोषयति-ते, प्रसन्न करना, परितुष्ट | तणः तण+घा 1 तरकस--मिलितशिलीमुखपाटलिकरना, सन्तुष्ट करन, परि-परितृप्त होना, प्रसन्न पटलकृतस्मरतूणविलासे-गीत० १, रघु० ७।५७ । होना, सन्तुष्ट होना–वयमिह परितुष्टा वल्कलस्त्वं च ___ सम० --धारः धनुर्धर।। लक्ष्म्या --भर्तृ० ३१५०, अस्मत्कृते च परितुष्यति
तूणी, तूणीर [ तूण+ङीष्, तूण् + ईरन् ] तरकस-रघु० काचिदन्या - २।२, सम् ..,प्रसन्न होना, परितृप्त होना
९५६ । सन्तुष्ट होना--सन्तुष्टो भार्यया भर्ता भर्ना भार्या
तूवरः [तु-+-क्विप, तु+ पृषो०] 1. बिना दाढ़ी का मनुष्य तथैव च मनु० ३।६०, भर्तृ ० ३।५, भग० ३।१७ । 2. बिना सींग का बैल 3. कषाय, कसला 4. हिजड़ा। तुषः [तुष+क] अनाज की भूसी,---अजानताथं तत्सर्वतर (दिवा० आ०-सूर्यते, तूर्ण) 1. जल्दी से जाना, शीघ्रता
(अध्ययनम) तुषाणां कण्डनं यथा-मनु० ४१७८ । करना 2. चोट पहुँचाना, मारना। सम० - अग्नि:-अनलः अनाज की भूसी या बूर की | तूरम् [तूर्+घञ ] एक प्रकार का वाद्ययन्त्र । आग,—अम्बु (नपुं०),--उदकम् चावल या जौ को पूर्ण (वि.) त्वर+क्त, ऊठ, तस्य नत्वम्] फुर्तीला, तेज, कांजी,--प्रहः, - सारः आग ।
शीघ्रकारी 2. द्रुतगामी, बेड़ा,--र्णः फुर्ती, शीघ्रता, तुषार (वि.)[ तुष+आरक् ] ठण्डा, शीतल, तुषाराच्छन्न -र्णम् (अध्य०) फुर्ती से, जल्दी से --चूर्णमानीयतां
(पाले के कारण शीतल), ओस से युक्त—शि० ९७, तूर्णं पूर्णचन्द्रनिभानने-सुभाष । अपां हि तृप्ताय न वारिधारा स्वादुः सुगन्धिः स्वदते 4ः,र्यम् [ तूर्यते ताड्यते तूर+यत् ] एक प्रकार का तुषारा - नै० ३।९३, रः 1. कोहरा, पाला 2. बर्फ, वाद्य यन्त्र, तुरही-मनु० ७२२५, कु० ७.१०। सम० हिम-कु. ११६, ऋतु०४।१3. ओस-रघु० १४१८४ - ओषः उपकरणों का समूह । श०५।१९ 4. धुन्द, क्षीणवर्षा, फुहार, ठण्डे पानी की तूलः,-लम् तूल+क] रूई,-लम् 1. पर्यावरण, आकाश, बौछार,—पृक्तस्तुषारैगिरिनिर्झराणाम् - रघु० २।१३, वायु 2. घास का गुच्छा 3. शहतूत का पेड़,-ला 1. कपास ९।६८5. एक प्रकार का कपूर । सम०-अतिः, का पेड़ 2. लैम्प की बनी,-ली 1. रूई 2. दोवे की --गिरिः,-पर्वतः हिमालय पहाड़-तुषाराद्रिवाता: बत्ती 3. जुलाहे का ब्रुश या कची 4. चित्रकार की -मेष० १०७, -कणः ओस के कण, हिमकण, कुहरा कूची या तूलिक 5. नील का पौधा । सम-कार्मुकम् पाला,-कालः सरदी का मौसम,---किरणः, रश्मिः --धनुस् धुनकी, अर्थात् रूई पीनने की घनुही,—पिचः चन्द्रमा,---अमरु ४९, शि० ९।२७,--गौर (वि०) रूई,-शर्करा बिनौला रूई के पौधे का बीज । 1. हिम की भांति श्वेत 2. हिम के कारण श्वेत,- तूलकम् [ तूल+कन् ] रूई।
तुलिः (स्त्री०) [तूल+इन् ] चितेरे को कूची । तुषिताः (ब०१०)[तुष+कितच । उपदेवताओं का स तुलिका [तूलि+कन्+टाप चित्रकार की कची, लेखनी, जो गिनती में १२ या ३६ कहे जाते हैं।
-उन्मीलितं तूलिकयेव चित्रम्-कु० १।३१ 2. रूई तुष्ट (भु० क. कृ०) [तुष्+क्त ] 1. प्रसन्न, तुष्ट, खुश, की बत्ती (दीपक के लिए अथवा उबटन आदि लगाने
परितृप्त, परितुष्ट 2. जो कुछ अपने पास है उसी से के लिए) 3. रूई भरा गद्दा 4. बर्मा, छेद करने की सन्तुष्ट, तथा अन्य के प्रति उदासीन ।
सलाख। सुष्टिः (स्त्री०) [तुष्+क्तिन् ] 1. सन्तोष, परितृप्ति, प्रस- | तूष्णीक (वि.) [तुष्णीम्+क, मलोपः ] चुप रहने वाला,
प्रता, परितोष 2. (सां० द० में) मौन स्वीकृति, प्राप्त | मौनी, स्वल्पभाषी। वस्तु से अधिक की लालसा न होना।
तूष्णीम् (अव्य०)[ तूष्+नीम् बा० ] नीरवता में चुपचाप, तुष्टः [तुष्+तुक ] कर्णमणि कानों में पहनने की मणि चुपके से, बिना बोले या विना किसी शोरगुल के--किं तुस-तुष।
भवास्तूष्णीमास्ते–विक्रम० २, न योत्स्य इति गोविन्द तुहिन (वि.) [तुह -+-इनन्, ह्रस्वश्च ] ठण्डा, शीतल, मक्त्वा तूष्णीं बभूव ह --भग०२।९। सम-भावः
-नम् 1. हिम, बर्फ 2. ओस, कुहरा - तृणाग्रलग्न- नीरवता, निस्तब्धता,--शोल: खामोश, स्वल्पभाषी या स्तुहिनः पतद्भिः ऋतु० ४१७, ३१५ 3. चाँदनी | मौनी ।
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