________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
(
४२०
)
आग-तनुनपाइमवितानमाधिज:-शि०११६२, अधः- | 24. ढेर, जमाव 25, घर 26. सजावट 27. दौलत कृतस्यापि तन्नपातो नाधः शिखा याति कदाचिदेव 28. प्रसन्नता। सम-काष्ठम्-तन्तुकाष्ठ - वापः,
-हि. २०६७,सहम् 1. शर पर उगे हुए बाल -बापम् 1. बुनाई 2. करघा,—वापः 1. मकड़ी (पुं० भी) 2. पक्षी के पंख, बाजू (:) पुत्र।
2. जुलाहा। तन्तिः (स्त्री०) [तन्+क्तिच् ] 1. रस्सी, डोर, सूत्र | तन्त्रकः [तन्त्र---कन्] नई वेशभूषा (कोरा कपड़ा)। 2. पंक्ति, श्रेणी । सम-पाल: 1. गोरक्षक 2. विराट
| तन्त्रणम् [ लन्त्र+ल्युट् ] शान्ति बनाये रखना, अनुशासन, के घर रहते समय का सहदेव का नाम ।
व्यवस्था, प्रशासन रखना। तन्तुः [तन्+तुन्] 1. धागा, रस्सी, तार, डोर, सूत्र-चिन्ता | तन्त्रिः,—त्री (स्त्री०) [ तन्त्र +इ, तन्त्रि+डीष् ] 1. डोरी,
सन्ततितन्तुमा०५।१०, मेघ०७० 2. मकड़ी का रस्सी--मनु० ४।३८ 2. धनुष की डोरी 3. वीणा का जाला--रषु० १६।२० 3. रेशा--बिसतन्तुगुणस्य तार-तन्त्रीमाद्री नयनसलिल: सारयित्वा कथंचित् कारितम्-कु. ४।२९ 4. सन्तान, बच्चा, सन्तति मेघ० ८६ 4. स्नायु तांत 5. पूंछ । 5. मगरमच्छ 6. परमात्मा। सम०-काष्ठम् जुलाहों | तन्द्रा [ तन्द्र--घा +टाप् ] 1. आलस्य, थकावट, थकान, का एक औजार जिससे ताना साफ़ किया जाता है। क्लांति 2. ऊंध, शैथिल्य----तन्द्रालस्यविवर्जनम्-याज्ञ० -कीट: रेशम का कीड़ा,-नागः बड़ा मगरमच्छ, ३।१५८, महावी० ७।४२, हि. १६३४ -निर्यासः ताड का वृक्ष,-नाभः मकड़ी,-भ: 1. सरसों | तन्द्राल (वि.) [तन्द्रा+ आलुच्] 1. थका हुआ, परि2. बछड़ा,-बाचम् ऐसा बाजा जिसमें तार कसे हुए श्रांत 2. निद्राल, आलसी। हों,बानम् बुनना,-बापः 1. जुलाहा 2. करघा | तन्द्रिः,-जी (स्त्री०) [तंन्द्+किन्, तन्द्रि+ङीष् ] निद्रा3. बुनाई,-निग्रहा केले का वृक्ष, -शाला जुलाहे का | लुता, ऊंघ। कारखाना, सन्तत (वि.) बुना हुआ, सिला हुआ, | तन्मय (वि०) (स्त्री०-पी) [ तत्+मयट् ] 1. उसका -सारः सुपारी का पेड़।
बना हुआ 2. तल्लीन--मा० ११४१, श० ६।२१ तन्तुकः [तन्तु+कन् ] सरसों के दाने ।
3. तद्रूप, तदेकरूप । तन्तुनः-णः [तन्+तुनन्, पक्षे नि० णत्वम् घड़ियाल। तन्वी [तन+डोष् ] सुकुमार या कोमलांगी स्त्री-इयमतन्तुरम्,-लम् [ तन्तु+र, लच् वा ] मृणाल, कमल की धिकमनोज्ञा वल्कलेनापि तन्वी-श० ११२०, तव तन्वि नाल।
कुचावेतो नियतं चक्रवतिनौ-उद्भट। तन्त्र (चुरा० उभ-तन्त्रयति-ते, तन्त्रित) 1. हकूमत तप (म्बा० पर० (आ० विरल) तपति, तप्त) (अक. करना, नियन्त्रण रखना, प्रशासन करना-प्रजाः प्रजाः
प्रयोग) (क) चमकना, (आग या सूर्य की भांति) स्वा इव तन्त्रयित्वा-श. ५।५ 2. (आ०) पालन
प्रज्वलित होना--तमस्तपति धर्माशो कथमाविर्भविष्यति पोषण करना, निर्वाह करना।
-श० ५।१४, रघु० ५।१३, उत्तर० ६।१४, भग० तन्त्रम् तत् +अंच 1. करघा 2. धागा 3. ताना 4. वंशज ९।१९ (ख) गर्म होना, उष्ण होना, गर्मी फैलना
5. अविच्छिन्न वंश परम्परा 6. कर्मकाण्ड पद्धति, रूप- (ग) पीडा सहन करना -तपति न सा किसलयशयरेखा, संस्कार--कर्मणां युगपद्भावस्तन्त्रम्-कात्या० नेन-गीत०७ (घ) शरीर को कृश करना, तपस्या 7..मुख्य विषय 8. मुख्य सिद्धान्त, नियम, बाद, शास्त्र करना- अगणिततनतापं तप्त्वा तपांसि भगीरथः -जितमनसिजतन्त्र विचारम्-गीत० २ 9. पराधीनता, -उत्तर० ११२३ 2. (सक० प्रयोग) (क) गर्म करना, पराश्रयता-जैसा कि 'स्वतन्त्र' 'परतन्त्र'; देवतन्त्र उष्ण करना, तपाना--भट्टि० ९।२ भग० ११।१९ दुःखम्-श. ५ 10. वैज्ञानिक कृति 11. अध्याय, (ख) जलाना, दग्ध करना, जला कर समाप्त कर देना अनुभाग (किसी प्रन्यादिक के)-तन्त्रः पञ्चभिरेतच्च- --तपति तनुगात्रि मदनस्त्वामनिशं मां पूनर्दहत्येव-- कार शास्त्रम्-पंच० १ 12. तन्त्र-संहिता (जिसमें श० ३।१७, अङ्गरनङ्गतप्तः-३७, (ग) चोट पहुँचाना, देवताओं की पूजा के लिए अथवा अतिमानव शक्ति नुकसान पहुंचाना, खराब करना--यास्यन्सुतस्तप्यति प्राप्त करने के लिए जादू-टोना या मन्त्रतन्त्र का वर्णन मां समन्यु-भट्टि० २२३, मनु०७६ (घ) पीडा है) 13. एक से अधिक कार्यों का कारण 14. जादू- देना, दुःख देना-कर्मवा०-तप्यते, (कुछ लोग इसे टोना 15. मुख्योपचार, गण्डा, ताबीज़ 16. दवाई, दिवा० की धातु मानते हैं) 1. गर्म किया जाना, पीडा औषधि 17. कसम, शपथ 18. वेशभूषा, 19. कार्य सहन करना 2. घोर तपस्या करना, (प्रायः 'तपस्' के करने की सही रीति 20. राजकीय परिजन, अनुचर- साथ)-प्रेर०-तापयति-ते, तापित, 1. गर्म करना, वर्ग, भूत्यवर्ग 21. राज्य, देश, प्रभुता 22. सरकार, तापना; गगनं तापितपायितासिलक्ष्मी-शि० २०१७५, हकमत, प्रशासन-लोकतन्त्राधिकारः-श०५ 23. सेना । न हि तापयितुं शक्यं सागराम्भस्तृणोल्कया-हि. १२८६,
For Private and Personal Use Only