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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तदानीन्तन (वि.) [तदानीम् +टयुल, तुद ] उस समय से 4. (धनुष का) तानना--धनुर्वितत्य किरतोः शरान् संबंध रखने वाला, उस समय का समकालीन, --एषो- -उत्तर० ६११, भट्टि० ३।४७ 5. उत्पन्न करना, ऽस्मि कार्यवशादायोध्यिकस्तदानीन्तनश्च संवत्त:- पैदा करना, सूजन करना, देना, प्रदान करना 6. (ग्रंथ उत्तर०१। का) रचना यो लिखना-विराटपर्वप्रद्योती भावदीपो तदीय (वि.) [तद+छ] उससे संबंध रखने वाला, उसका, वितन्यते 7. करना, अनुष्ठान करना (यज्ञादिक या उसकी, उनके, उनकी-रघु०१२८१, २१२८,३।८, २५ । किसी संस्कार का) कु० २०४६ 8. दिखावा करना, तद्वत् (वि.) [ तद्-मतुप ] उससे युक्त, उसको रखने प्रस्तुत करना, सम्-,चालू करना, ii (म्वा० पर० वाला, जैसा कि 'तद्वानपोहः' में-काव्य० २. (अव्य०) . –चुरा० उभ०–तनति, तानयति-ते) 1. भरोसा 1. उसके समान, उस रीति से 2. समान रूप से, समान करना, विश्वास करना, विश्वास रखना 2. सहायता रीति से, इसलिए साथ ही। करना, हाथ बंटाना, मदद करना 3. पीडित करना, तन् । (तना० उभ०-तनोति, तनुते, तत-क० वा. रोगग्रस्त करना 4. हानिशून्य होना। -तन्यते, तायते, सन्नन्त-तितंसति, तितांसति, तितनि तनयः | तनोति विस्तारयति कुलम् --तन्-|-कयन् ] 1. पुत्र षति) 1. फलाना, विस्तार करना, लंबा करना, तानना 2. सन्तान लड़का या पुत्री; गिरि', कलिंग आदि । -बाह्वोः सकरयोस्ततयोः --अमर० 2. फैलाना, तनिमन् (पु.) [ तनु- इमनिच् ] पतलापन, सुकुमारता, बिछाना, पसारना - भट्टि० २।३०, १०३२, १५।९१ सूक्ष्मता। 3. ढकना, भरना--स तमी तमोभिरभिगम्य तताम् | तनु (वि०) (स्त्री० - नु, न्वी) [तन्+उ] 1. पतला, ---शि० ९।२३, कि० ५.११ 4. उत्पन्न करना, पैदा दुबला, कृश 2. सुकुमार, नाजुक, मृदु (अङ्गादिक, करना, रूप देना, देना, भेंट देना, प्रदान करना, त्वयि सौन्दर्य के चिह्नस्वरूप-रघु०६।३२, तु० तन्वनी विमखे मयि सपदि सुधानिधिरपि तनुते तनुदाहम् 3. बढ़िया, कोमल (वस्त्रादिक) ऋतु०१७ 4. छोटा, -----गीत०४, पितुर्मुदं तेन ततान सोऽर्भक:- रघु० थोड़ा, नन्हा, कम, कुछ, सीमित-तनुवाग्विभवोऽपि ३।२५, ७७, यो दुर्जन वशयितुं तनुते मनीषां-भामि० सन् -रघु० १।९, ३२, तनुत्यागो बहुग्रहः -हि. १२९५, १० 5. अनुष्ठान करना, पूरा करना, संपन्न २।९१, थोड़ा देने वाला 5. तुच्छ, महत्त्वहीन, छोटा करना--(यज्ञादिक)---इति क्षितीशो नवति नवाधिका --अमरु २७ 6. (नदी को भांति) उथला हुआ, महाऋतूनां महनीयशासनः, समारुरुक्षुर्दिवमायुषः क्षये (स्त्री०) 1. शरीर, व्यक्ति 2. (बाहरी) रूप, प्रकटीततान सोपान परंपरामिव --रचु० ३।६९, मनु० करण---प्रत्यक्षाभिः प्रपन्नस्तनुभिरवतु वस्ताभिरष्टा४१२०५ 6. रचना, करना, (ग्रन्थादिक) लिखना, भिरीश:--श० १११, मालवि० १११, मेघ० १९ यथा--नाम्नां मालां तनोम्यहं, या---तनते टीकाम 3. प्रकृति, किसी वस्तु का रूप और चरित्र 4. खाल । 7. फैलाना, झुकाना (धनुष आदि का) 8. कातना, सम० - अङ्ग (वि.) सुकुमार अङ्ग वाला, कोमलांगी वनना 9. प्रचार करना, प्रचारित होना 10 चाल (-गी) कोमलाङ्गिनी स्त्री, कपः रोमकूप,-छवः कवच, रहना, टिका रहना। सम०—अव-1. ढकना, फैलाना रघु० ९।५१, १२६८६,-जः पुत्र,-जा पुत्री,-त्यज 2. उतरना आ-विस्तृत करना, बिछाना, तुकना, (वि०) 1. अपने जीवन को जोखिम में डालने वाला ऊपर फैलाना---कि० १६:१५ 2. फैलाना, पसारना 2. अपने व्यक्तित्व को छोड़ने वाला, मरने वाला, 3. उत्पन्न करना, पैदा करना, सृजन करना, बनाना --त्याग (वि.) थोड़ा व्यय करने वाला, बचा देने --कि० ६।१८ 4. (धनुप या धनुष की डोरी) तानना वाला, दरिद्र,-- त्रम्,-त्राणम् कवच,-भवः पुत्र (वा) -मौर्वी धनुषि चातता ---रघु० २१९, १११४५, पुत्री-भस्त्रा-नाक ---भृत् (पुं०) शरीरघारी जीव, उद्--,फैलानां प्र-,1. फैलाना, पसारना - ख्यातस्त्वं जीवधारी जन्तु, विशेष कर मनुष्य-कल्प स्थितं तनुविभवैर्यशांसि कवयो दिक्षु प्रतन्वन्ति न:---भत० ३।२४ भृतां तनुभिस्ततः किम् .. भर्तृ० ३१७३, मध्य (वि.) 2. ढकना 3. उत्पन्न करना, पैदा करना, सृजन करना पतली कमर, कमर वाला,-रसः पसीना,--रहा-हम् दिखावा करना, प्रदर्शन करना, प्रस्तुत करना.-तदूरी शरीर का बाल,-वारम् कवच,-व्रणः फुन्सी, सञ्चाकृत्य कृतिभिर्वाचस्पत्यं प्रतायते-शि० २।३० 5. अनु रिणी छोटी स्त्री, या दस वर्ष का लड़का,-सरः, प्ठान करना (यज्ञादिक का), वि-1. फैलाना, बिछाना पसीना,-ह्रदः गुदा, मलद्वार । - स्फुरितविततजिह्वः---मच्छ० ९।१२ 2. ढकना, | तनुल (वि.) [तन्+डलच फैलाया हुआ, विस्तारित । भरना-प्रस्वेदबिन्दुविततं वदनं प्रियायाः चौर० ९, | तनुस् (नपुं०) [तन्+उसि] शरीर । यो वितत्य स्थितः खम-मेघ० ५८ 3. रूप देना, बनाना | तन (स्त्री०) [तन्+3] शरीर । सम-उजुवः,-जः श्रेणीवन्धाद्वितन्वद्भिरस्तम्भां तोरणस्रजम्-रघु० ११४१) पुत्र,.-उद्धवा---जः पुत्री,-नपम् घी,-मपात (0) For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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