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( ४१२ ) ज्वलित (वि.) ज्वल+क्त] 1. दग्ध, जला हुआ, प्रका- १५।१६ भर्तृ० ११९५ । सम-जिहः,-ध्वजः आग शित 2. प्रदीप्त, प्रज्वलित।
-मुखी लावा निकलने का स्थान,-बकत्रः शिव का ज्वालः [ज्वल+ण] 1. प्रकाश, दीप्ति 2. मशाल ।
विशेषण। ज्वाला [ज्वाल+टाप्] 1. अग्निशिखा, लो, लपट- रघु० | ज्यालिन् (पुं०) ज्वल+णिनि] शिव का विशेषण ।
शः झट-न-ड] 1. समय का बिताना 2. झन झन, खनखन । सम्पः, भम्पा [झम्+पत्+ड, स्त्रियां टाप् च उछल, कूद,
या इसी प्रकार की कोई और ध्वनि 3. झंझावात छलांग- महावी०५।६२ । 4. बहस्पति ।
सम्पाकः, सम्पाय:, मम्पिन (पं०) [झम्पेन अकतिगच्छति झगमगायति (ना० धा० पर०) चमक उठना, दमकना, । -झंम्प+अक्+अण, झम्प+आ+रा+डु, झम्पा+ जगमगाना, चमचमाना ।
इनि वा] बन्दर, लङ्गूर । मग (गि) ति (अव्य०) [ =झटिति ] जल्दी से, तुरन्त ] शरः, मरा, झरी [ झ+अच, स्त्रियां टापु, ङीष् च]
-साऽप्यप्सरा झगित्यासीत्तद्रूपाकृष्टलोचना--महा०। प्रपातिका, झरना, निर्झर, नदी-प्रत्यग्रक्षतजझरीसङ्कारः, प्रकृतम् [ झमिति अव्यक्तशब्दस्य कारः---+ निवृत्तपाद्यः -- महावी०६।१४, भामि०४।३७ ।
घा, कृ+क्त वा झनझनाहट, भिनभिनाना-(अयं) मरः झर्श+अरन्] 1. एक प्रकार का ढोल 2. कलियुग दिगन्तानातेने मधुपकुलझङ्कारभरितान-भामि० ११३३, । 3. बेंत की छड़ी 4. झांझ, मजीरा,-रा वेश्या ४।२९, भर्त० ११९, अमरु ४८, पंच० ५१५३ ।
वारांगना। झङ्कारिणी झङ्कार+इनि+डीप] गङ्गा नदी ।
मरिन (पुं०) [झर्झर+इनि] शिव का विशेषण ।। सडकृतिः [ झम्++क्तिन् ] खनखनाहट या झनझनाहट, | मलमला [झलझल इत्यव्यक्तः शब्दः अस्त्यत्र-अच+
(धातु के बने आभूषणो की ध्वनि जैसी ध्वनि) । टाप ] बंदों के गिरने का शब्द, झड़ी, हाथी के कान शासनम् [झञ्झ+ ल्युट ] 1. आभूषणों की झनझन या की फड़फड़ाहट । ___ख नखन 2. खड़खड़ाहट या टनटन की ध्वनि। मला [ =झरा पो०] 1. लड़की, पुत्री 2. धूप, चिलसमझा [ झमिति अव्यक्तशब्दं कृत्वा झटिति वेगेन वहति | चिलाती धूप, चमक ।
- झम झट-+-+-टाप ] 1. हवा के चलने या वर्षा मल्लः [झस+क्विप, तं लाति-- ला+क] 1. मल्लयोद्धा के होने का शब्द 2. हवा और पानी, तूफान, आँधी | 2.एक नीच जाति-मनु०१०।२२, १२।४५,-ली ढोलकी। 3. खनखन की ध्वनि, झनझन । सम० - अनिलः, मल्लकम,-को [ झल्ल+कन्, स्त्रियां ङीष् च ] झाँझ, ----मरुत, -- वातः वर्षा के साथ आँधी, तूफ़ान, प्रभंजक, । मजीरा। अन्धड़-----झञ्झावातः सवृष्टिक:-अमर हिमम्बझञ्झा- (झल्लकण्ठः [ब० स०] कबूतर । निलविह्वलस्य (पभस्य)-भामि० २०६९, अमरु ४८ | झल्लरी [झझं +अरन्+डीष् पृषो०] झाँझ, मजीरा। मा० ९।१७।
मल्लिका [झल्ली+के+क, पृषो०] 1. उबटन आदि के झटिति (अव्य०) [झट+क्विप्, इ---क्तिन् ] जल्दी से लगाने से शरीर से छूटा हुआ मैल 2. प्रकाश, चमक,
तुरन्त-मुक्ताजालमिय प्रयाति झटिति भ्रंश्यशोऽदृश्यताम् ---भर्तृ० १४९६,७०।
सषः [ झप-+अच्] 1. मछली-- झपाणां मकरश्चास्मि झणझणम -णा [झणत्+डाच, द्विप्वं, पूर्वपदटिलोपः] झन- | -भग० १०॥३१, तु० नी० दिये गये 'झषकेतन' आदि झनाहट।
शब्दों से 2. बड़ी मछली, मगरमच्छ 3. मीन राशि झणझणायित (वि०) [ झणझण+क्यङ्क्त ] टनटन, 4. गर्मी, ताप,--षम् मरुस्थल, सुनसान जङ्गल । सम० झनझन, टनटन करना--उत्तर० ५।५ ।
-अजूल-केतनः,-केतुः,-ध्वजः कामदेव-स्त्रीझण (न)त्कारः [झण (न)त्++घन] झनझन, टनटन, मुद्रां झषकेतनस्य-पंच०४१३४,-अशनः संस, उदरी
(धातु से बने आभूषण आदि का) झुनझनाना, व्यास की माता सत्यवती का विशेषण ।। खनखनाना,-झणत्कारक्रूरक्वणितगुणगुजद्गुरुधनुर्धत- साङ्कृतम् [झडाकृत+अण्] 1. झांझन, पायजेब 2. (जल प्रेमा बाहुः- उत्तर० ५।२६, उद्वेजयति दरिद्रं परमद्रा- के गिरने की) आवाज, छपछप का शब्द- स्थाने स्थाने गणनझणत्कार:--उद्भट ।
मुखरककुभो झाङकृतनिर्झराणाम् --उत्तर० २११४ ।
दमक।
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