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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir छित्तिः (स्त्री०) [ छिद्+क्तिन् ] काटना, टुकड़े-टुकड़े। साफ कर देना, निवारण करना, हटाना (संदेह करना। आदि)। छित्वर (वि.) (स्त्री-री) [छिद् + ध्वरप् पृषो० | छिन् (वि.) [ छिद् +क्विप् ] (समास के अन्त में) काटने दस्य तः ] 1. काटना, काट देना, चीरना, कटाई करना, वाला, विभस्त करने वाला, नष्ट करने वाला, हटाने फाड़ना, छेदना, टुकड़े २ करना, विदीर्ण करना, खण्ड वाला, खण्ड-खण्ड करने वाला-श्रमच्छिदामाश्रमपादखण्ड करना, विभक्त करना-नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि पानाम् --- रघु० ५।६ पङ्कच्छिद: फलस्य-मालवि. भग० २।२३, रघु०१२।८०, मनु० ४।६१, ७० याज्ञ० २।८। २३०२ 2. बाधा डालना, विघ्न डालना 3. हटाना, छिदकम् [छिद्+क्वन 11 इन्द्र का वच, 2.हीरा। दूर करना, नष्ट करना, शान्त करना, मारना-तृष्णां छिदा [छिद्+अ+टाप् ] काटना, विभाजन । छिन्धि-भर्तृ. २७७, एतन्मे संशयं छिन्धि मतिमै छिदिः (स्त्री०) [छि+इन् ] 1. कुल्हाड़ा 2. इन्द्र का संप्रमुपति–महा०, राघवो रथमप्राप्तां तामाशां च वज़। सुरद्विषाम्, अर्धचन्द्रमुखैाणश्चिच्छेद कदलीमुखम्- | छिदिरः [छिद्+किरच ] 1. कुल्हारा 2. शब्द 3. अग्नि रघु० १२।९६, कु. ७१६, अव,-काट डालना, 4. रस्सा, डोरी। टुकड़े २ कर देना, अलग २ करना, विभक्त करना छिदुर (वि०)[छिद्+कुरच 11. काटने वाला, विभक्त 2. भेद बताना, विवेचन करना 3. सुधारना, परिभाषा करने वाला 2. आसानी से टूटने वाला 3. टूटा हुआ, देना, सीमित करना (इस अर्थ में इस शब्द का प्रयोग अव्यवस्थित, अस्तव्यस्त-संलक्ष्यते न म्छिदुरोपि न्याय में बहुमत से होता है), दे० अवच्छिन्न आ,- हार:-रघु० १६॥६२ 4. शत्रु 5. धूर्त, बदमाश, शठ। 1. काट डालना, फाड़ना, टुकड़े २ करना 2. छीनना, | छिद्र (वि०)[छिद+रकु, छिद्र+अच् वा] छिदा हुआ, खसोटना, ले लेना कु० २।४६, मा० ५।२८ 3. काट छिद्रों से युक्त,-ब्रम् 1. छिद्र, दरार, फांट, कटाव, डालना, अलग कर देना-मनु० ४।२१९ 4. हटाना, रन्ध्र, गर्त, विवर, दरज-नवच्छिद्राणि तान्येव प्राणखींचकर दूर करना 5. खींचना, खींचकर दूर स्यायतनानि तु-याज्ञ० ३।९९, मनु० ८।२३९ अयं करना, उद्धत करना, निकालना 6. अवहेलना करना, पटश्छिद्रशतैरलङकृत:-मच्छ० २।९, इसी प्रकार काष ध्यान न देना, उद्--,1. काट डालना, नष्ट करना, धमि० 2. दोष, त्रुटि, दूषण-त्वं हि सर्षपमात्राणि परउन्मूलन करना, उखाड़ देना-नोच्छिद्यादात्मनो मूलं च्छिद्राणि पश्यसि, आत्मनो बिल्वमात्राणि पश्यन्नपिन परेषां चातितृष्णया-महा०, किं वा रिपुंस्तवर पश्यसि-महा० 3. भेद्य या क्षीण अंश, दुर्बल पक्ष, दोष, स्वयमच्छिन्नत्ति-रघु० ५।७१, २।२३, पंच० १९४७ न्यूनता–नास्य छिद्रं परो विद्याद्विद्याच्छिद्रं परस्य तु, 2. हस्तक्षेप करना, विघ्न डालना, रोकना-अर्थेन तु गुहेत् कर्म इवाङ्गानि रक्षेविवरमात्मन:-मनु०७।१०५, विहीनस्य पुरुषस्याल्पमेधसः, उच्छिद्यन्ते क्रियाः सर्वाः १०२, छिद्रं निरूप्य सहसा प्रविशत्यशङ्क:-हि० ११८१ ग्रीष्मे कुसरितो यथा-पंच० २।८४, मनु० ३।१०१ (यहां 'छिद्र' का अर्थ 'सूराख' भी है), पञ्च० ॥३९ परि-1. फाड़ना, काट डालना, टुकड़े-टुकड़े करना सम-अनुजीविन,-अनुसम्पानिम्,--अनुसारिन्,2. घायल करना, अंग-भंग करना 3. अलग करना, अन्वेषिम् (वि.) 1. दोष या त्रुटियां ददने वाला विभक्त करना, जुदा करना--शतेन परिच्छिद्य-सिद्धा. 2. दूसरों को दूषित बातों को खोजने वाला, दूसरों में 4. सही-सही निश्चित करना, सीमा बनाना, परिभाषा दोष निकालने वाला, छिद्रान्वेषी-सर्पाणां दुर्जनाना करना, निश्चय करना, भेद बताना, विवेचन करना, परच्छिद्रानुजीविना-पञ्च०१,--अन्तर बेत, नर-मध्यस्था भगवती नौ गुणदोषतः परिच्छेत्तुमर्हति कुल, सरकण्डा,-- आत्मन् (वि.) जो अपनी त्रुटियाँ -मालवि०१, (न) यशः परिच्छेत्तुमियत्तयालम्-रघु० दूसरों पर प्रकट कर देता है, कर्ण (वि) जिसने ६१७७, १७.५९, कु० २।५८ प्र---, 1. काट डालना, कान बिंधवा लिये है,-वर्शन (वि.) 1. दोषों का टुकड़े २ करना 2. ले जाना, वापिस लेना वि---, प्रदर्शन करने वाला 2. दोषदर्शी। 1. काट डालना, तोड़ना, फ़ोड़ना, विभक्त करना-यदर्धे छिद्रित (वि.) [छिद्र+इतच् ] 1. छिद्रों से युक्त 2. बिंधा विच्छिन्नं भवति कृतसन्धानमिव तत्-श० ११९, | हुआ, छिदा हुआ। रघु० १६।२०, भर्तृ० ११९६ 2. बाधा डालना, तोड़ | छिन्न (भू० क० कृ०) [छिद्+क्त] 1. कटा हुआ, विभक्त देना, समाप्त करना, खतम करना, नष्ट करना, किया हुआ, विदीर्ण, कटा हुआ, खण्डित, फाड़ा हुआ, (कुल का दीपक) बुझा देना-विच्छिद्यमानेऽपि कुले टूटा हुआ 2. नष्ट हुआ, दूर किया हुआ--दे० छिद्र, परस्य-भट्टि० ३१५२, अमरु ७४, सम्,--1. काटना, -प्रा वाराङ्गना, वेश्या। सम०-केश (वि०) जिसके काट डालना, विभक्त करना 2. दूर करना, बाल काट लिये गये हैं, जिसका क्षौर या मुण्डन हो रुः For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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