SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 385
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( ३७६ ) - ११ ५१, नगरायोदचलम् - दश० 2. चले जाना, चल देना, (किसी के स्थान को) छोड़ चलना -स्थानादनुच्च लग्नपि श० १।२९, पुष्पोच्चलितषट्पदम् - रघु० १२ २७, प्र- 1. हिलाना, जाना, काँपना -भर्तृ० २१४ 2. जाना, सैर करना, चलते जाना, प्रस्थान करना, कूच करना 3. ग्रस्त होना, बाधायुक्त या क्षुब्ध होना 4. भटकना, बिचलित होना, वि, 1. हिलना-जुलना, चलना पतति पत्रे विचलति पत्रे शङ्कितभवदुपयानम् — गीत०५ 2. जाना, आगे बढ़ना, चल देना 3. क्षुब्ध होना, बाधायुक्त होना, (समुद्र की भाँति ) रूखा होना- व्यचालीदम्भसां पतिः -- भट्टि० १५।७० 4. विचलित होना, भटकना -- याज्ञ० १।३५८, ii (तुदा० पर० - चलति चलित ) खेलना, क्रीडा करना, केलि करना । चल (वि० ) [ चल् + अच् ] 1. (क) हिलने-जुलने वाला काँपने वाला, डोलने वाला, थरथराने वाला, (आँख आदि को ) घुमाने वाला - चलापाङ्गा दृष्टि स्पृशसि —० ११२४, चलकाकपक्ष कैरमात्यपुत्रः रघु० ३। २८, लहराने वाले - भर्तृ० १६, (ख) जंगम ( विप० स्थिर) · - चञ्चलचले लक्ष्ये - श० २।५ 2. अस्थिर, चंचल, परिवर्तनशील, शिथिल, डाँवाडोल - दयितास्वन वस्थितं नृणां न खलु प्रेम चलं सुहृज्जने - कु० ४।२८, प्रायश्चलं गौरवमाश्रितेषु - ३।१ 3. अस्थायी, अनित्य, नश्वर-- चला लक्ष्मीश्चलाः प्राणाश्चलं जीवितयौवनं 4. अव्यवस्थित, - ल: 1. कंपकंपी, वेपथु, क्षोभ 2. वायु 3. पाराला 1. धन की देवी लक्ष्मी 2. एक प्रकार का सुगंध द्रव्य । सम० अति चलायमान ( = अतिचल ) ; - चलाचले च संसारे धर्म एको हि निश्चल: - ० ३।१२८, लक्ष्मीमिव चलाचलाम् कि० ११।३० ( चलाचला-- चंचला - मल्लि०) नं० १ ६०, (ल) कौवा, आतङ्कः गठिया बाय, वात रोग, - आत्मन् (वि०) चलचित्त, चंचलमना, इन्द्रिय ( वि० ) 1. भावुक 2. विषयी, इषुः वह धनुर्धर जिसका तीर लक्ष्यच्युत हो इधर उधर गिर जाता है, अयोग्य धनुर्धर, कर्णः पृथ्वी से ग्रह तक की वास्त far दूरी - चचुः चकोर पक्षी, -- वलः, अश्वत्थ वृक्ष । - पत्रः चलन ( वि० ) [ चल् + ल्युट् ] गतिशील, थरथराने वाला, कंपमान, डाँवाडोल, नः 1. पैर 2. हरिण, नम् 1. काँपना हिलना, डाँवाडोल होना - चलनात्मकं कर्म - तर्क सं०, हस्त, जानु आदि तरल दृगञ्चलचलन मनोहर वदन जनित रतिरागम् -- गीत० 2. घूमना, भरमना, नी 1. सामान्य स्त्रियों के पहनने के लिए लहँगा, पेटीकोट 2. हाथी को बाँधने की रस्सी । ११ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चलनकम् [ चलन + कन् ] एक छोटा लहँगा या पेट्टीकोट जिसे नीच जाति की स्त्रियों पहनती हैं । चलिः [ चल् +इन् ] आवरण, चादर | चलित (भु० क० कृ० ) [ चल् + क्त ] 1. हिला हुआ, चला हुआ, आन्दोलित, क्षुब्ध 2. गया हुआ, विसर्जित - एवमुक्त्वा स चलितः 3. अवाप्त 4. ज्ञात, अधिगत (दे० चल् ), तम् 1. हिलाना, स्पंदित करना 2. जाना, चलना 3. एक प्रकार का नृत्य - चलितं नाम नाट्यमन्तरेण - मालवि० १ । चलु: [ चल् + उन्] ( पानी का ) एक घूंट, चुल्लूभर चलुकः [ चलु + कन् ] 1. चुल्लूभर (पानी) 2. अंजलिभर या एक घूँट (पानी) तु० 'चुलुक' । च i ( म्वा० उभ० चषति - ते ) खाना ; ii ( वा० पर० चषति) मार डालना, क्षति पहुँचाना, चोट पहुँचाना | चषकः, कम् [ चष् + क्वुन् ] सुरापात्र प्याला, मदिरा पीने का गिलास च्युतेः शिरस्त्रंश्चषकोत्तरेव - रघु० ७|४९, मुखं लालाक्लिन्नं पिबति चषकं सासवमिवशा० ११२९, कि० ९५६, ५७, कम् 1. एक प्रकार की मदिरा 2. मधु, शहद | चर्षातिः । चष् + अति ] 1. खाना 2. मार डालना 3. ह्रास, निर्बलता, क्षय । चवालः [ चष् + आलच् ] 1. यज्ञ के खंभे में लगी लकड़ी की फिरकी 2. छत्ता । चह (स्वा० पर०, चुरा० उभ० चति, चहयति - ते ) 1. दुष्ट होना 2. ठगना, धोखा देना 3. अहंकार करना, घमंडी बनाना । चाकचक्यम् [ चक् +अच्, द्वित्वम्, चकचकः तस्य भावः - प्यञ ] जगमगाना, प्रभा, चमक-दमक | चात्र ( fro ) ( स्त्री० - क्री ) [ चक्र + अण् ] 1. चक्र से किया जाने वाला (युद्ध) 2. मंडलाकार 3. चक्र या पहिए से संबंध रखने वाला । चाक्रिक (वि० ) ( स्त्री० की ) [ चक्र + ठक् ] दे० ऊ० चाक्र, कः 1. कुम्हार 2. तेली - याज्ञ० १।१६५, ( तैलिक - मिता०, दूसरों के मत में शाकटिक गाड़ीवान) 3. कोचवान, चालक | चाक्रिण: [ चक्रिन् +अण्] कुम्हार या तेली का पुत्र । चाक्षुष (वि० [स्त्री० - षी) [चक्षुस् + अण् ] 1. दृष्टि पर निर्भर, दृष्टि से उत्पन्न, 2. आँख से संबंध रखने वाला, आँख का विषय, दाष्टिक 3. दृश्य, जो दिखाई दे, -- षम् दृष्टि पर निर्भर ज्ञान । सम० ज्ञानम् आँखों देखी गवाही, या प्रमाण । चाङ्गः [चिचम् अङ्गम् यस्य ब० स०] 1. अम्ललोणिका शक 2. दातों की सफ़ेदी या सौंदर्य । चाञ्चल्यम् [ चंञ्चल + ष्यञ ] 1. अस्थिरता, द्रुतगति, For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy