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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ३६२ ) घटिन्धम (वि.) [घटी+मा+खश+मुम, धमादेशः] की मुख्य सड़क, राजमार्ग, मुख्य मार्ग (दशधन्वन्तरो बर्तन में फंक मारने वाला,-- मः कुम्हार । राजमार्गो घण्टापथः स्मृतः कौटि०),-शब्द: 1. कासा घटिन्षय (वि.) [ घटो+धेट-+खश, मुम, ह्रस्वः ] जो 2. घंटे की आवाज। घड़ा भर (पानी) पीता है। घण्टिका [ घण्टा+डीप- कन्, ह्रस्व: । छोटो घटियाँ, बढी [घट+डीष] 1. छोटा घड़ा 2. २४ मिनट के बराबर घंघरु । समय की नाप 3. छोटा जल-घड़ा जिससे दिन की धष्टः [ घण्ट+उण् ] 1. हाथी की छाती पर बंधी एक पट्टी घड़ियाँ गिनने का कार्य लिया जाय । सम०-कारः जिसमें धूंधरु लगे होते हैं 2. ताप, प्रकाश । कुम्हार,---ग्रह-प्राह (वि.) दे० 'घटग्रह', यन्त्रम् । घण्टः [घण इति शब्दं कुर्वन डीयते घण-+डी+ड ] 1. पानी ऊपर उठाने वाली रहट की घड़िया, कूएँ पर मधुमवखो। पड़ा हुआ रस्सी-डोल-- दे० अरघट्ट 2. दिन का समय | धन (वि.) [हन मर्ती अप घनादेशश्च-तारा०] जानने का एक साधन । 1. संहत, दृढ़, कठोर, ठोस-संजातश्च घनाघनः---मा० घटोत्कचः [?] हिडिंबा नाम की राक्षसी से उत्पन्न भीम ९।३९, नासा धनास्थिका-याज्ञ० ३१३९, रघु०११।१८ का एक पुत्र (यह बहुत बलवान् पुरुष था, कौरव और 2. सघन, घनिष्ठ, धिनका-घनविरलभावः ---उत्तर० पाण्डवों के युद्ध में यह बहुत वीरतापूर्वक पाण्डवों की २।२७, रघु० ८1८१, अमरु ५७ 3. गठा हुआ, पूर्ण, ओर से लड़ा परन्तु इन्द्र से प्राप्त शक्ति द्वारा कर्ण के पूर्णविकसित (जैसे कि कुच) - घटयति सुघने कुचहाथों मारा गया--तु० मुद्रा० २।१५)। युगगगने मृगमदरुचिरुपिते--गीत० ७, अगुरुचतुष्क घट्ट (म्वा० आ०-घट्टते --बहुधा चुरा० उभ० -- घट्ट- भवति गुरूद्वी धनकुचयुग्मे शशिवदनाऽसौ -- श्रुत०८, यति-ते, घट्टित) 1. हिलाना, हरकत देना -जैसे भर्त० १२८, अमरु २८ 4. (शब्द को भांति) गम्भीर 'वायुघट्टिता लताः' में 2. स्पर्श करना, मलना, हाथों -- मा० २।१२ 5. निरन्तर, स्थायी 6. अभेद्य 7. बड़ा, से मलना--विटजननखघट्टितेव वीणा--मच्छ० १।२४, अत्यधिक, प्रचंड 8. पूर्ण 9. शुभ, भाग्यशाली,-न: भट्रि० १४१२ 3. चिकनाना, सहलाना 4. ई-द्वेष बादल-घनोदयः प्राक् तदनन्तरं पयः-...श० ७.३०, की भावना से बोलना 5. बाधा पहुँचाना, अव--, घनरुचिरकलापो निःसपत्नोऽस्य जात:-विक्रम० ४।१० खोलना, परि- प्रहार करना...-शि० ९१६४, वि., 2. लोहे का मुद्गर, गदा 3. शरीर 4. (गणित में) 1. हडताल कर देना, तितर-बितर करना, बखेरना, संख्याद्योतक घन (किसी अंक को उसी अंक से दो उड़ा देना--शि० ११६४, भर्त० ३१५४ 2. मलना, बार गुणा करने से उपलब्ध गणनफल) 5. विस्तार, घिसना, रगड़ना-कारण्डवाननविघट्टितवीचिमाला: प्रसार 6. संग्रह, समुच्चय, परिमाण, राशि, जमाव ऋतु० ३८,४१९, कु. १३९, कि०८।४५, शि० ८।२४, या समवाय 7. अभरक,-नम् 1. झांझ, घण्टी, घण्टा १३।४१, सम्--1. थपथपाना 2. इकट्ठा करना, 2. लोहा 3. टोन 4. चमड़ी, त्वचा, बल्कल। सम० मिलाना 3. एकत्र करना, संचय करना 4. रगड़ना, .---अत्ययः,--- अन्तः बादलों का लोप, वर्षाऋतु के घिसना, दबाना--रघु० ६१७३ । पश्चात् आने वाली ऋतु, शरद्,-अम्बु (नपुं०) वर्षा, घटः [घट्ट+घा ] 1. घाट--- नदी के तट से पानी तक ---आकरः वर्षा ऋतु,---आगमः बादलों का आगमन, बनी सीढ़ियां 2. हिलगा-जुलना, आन्दोलन 3. चंगी वर्षाऋतु--घनागमः कामिजनप्रियः प्रिये---ऋतु० २११, घर । सम०-फुटी चुंगी घर, प्रभातन्याय न्याय के ----आमयः छुहारे का वृक्ष,- आश्रयः पर्यावरण, अन्तनी० दे०,--जीविन् (पुं०) घाट से प्राप्त महसूल से रिक्ष,- उपलः ओले,-ओघः बादलों का एकत्र होना, अपना निर्वाह करने वाला 2. वर्णसंकर (वैश्यायां रज- --कफः ओले,-- काल: वर्षाऋतु,-गजितम 1. मेघकाज्जातः)। ध्वनि, बादलों की गड़गड़ाहट या गर न, बिजली की घट्टमा [घट्ट+युच+टाप ] 1. हिलाना, डुलाना, हर- कड़क 2. गंभीर और ऊँची दहाड़ या गरज,... गोलक: कत देना, आन्दोलन करना 2. रगड़ना 3. जीविका चांदी सोने की मिलावट,—जम्बाल: गाढ़ी दलदल, वृत्ति, अभ्यास, व्यवसाय, पेशा। ----ताल: एक प्रकार का पक्षी, चातक, सारंग, -तोल: घण्टः [ घण्ट-+ अच् ] एक प्रकार का व्यंजन, चटनी। चातक पक्षी,-नाभिः धूआँ (यह वादलों का मुख्य घण्टा [घण्ट+ अट्+टाप् ] 1. घंटी, 2. लोहे का या कांसे | अवान समझा जाता है-मेघ०५),--नोहार: गाढ़ा का गोल पट्ट जिसे समय की सूचना के लिए मूंगरी से कोहरा, सघन तुपार,-पदवी 'बादलों का मार्ग' अन्तपीट कर बजाते हैं। सम-अगारम् घण्टा घर, रिक्ष, आकाश-कामद्भिर्घनपदवीमनेफसंख्यैः--कि० -----फलकः,- कम घण्टियों से युक्त प्लेट, साय: थंटा । ५.३४,- पाषा: मोर, फलम् (ज्गा० में) किसी बजाने वाला,--मानः घण्टे की आवाज, .. पयः गाँव वस्तु की लंबाई-चौड़ाई और मोटाई का गुणनफल For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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