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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ३६० ) पालतू (पशु आदि), 4. आवधित (विप० 'वन्य') से संबंध रखने वाला, उवा,-जा,-भवा नव5. नीच अशिष्ट (शब्द की तरह) केवल ओछे व्यक्तियों मल्लिका लता, नेवारी। द्वारा प्रयुक्त-चुम्बनं देहि मे भार्ये कामचाण्डालतप्तये | अव (स्त्री-वी), अवेय (स्त्री०-यो) (वि.) [ग्रोवा--अण, -रस० या कटिस्ते हरते मन:--सा० द. ५७४, ढा वा] गर्दन पर होने वाला या गर्दनसंबंधी,---वम, यह ग्राम्य उक्तियों के उदाहरण हैं 6. अभद्र, अश्लील, ---यम् 1. गले का पट्टा, या हार 2. हाथी की गर्दन --म्यः पालतू सूअर,--म्यम् 1. गंवारु भाषण 2. देहात में पहनी जाने वाली जंजीर--नालसत् करिणां ग्रेवं में तैयार किया हुआ भोजन 3. मथुन । सम० ----अश्वः त्रिपदीछेदिनामपि --रघु० ४१४८, ७५ । गधा,-कर्मन् ग्रामीण का व्यवसाय, कुडकुमम, कुसंभ, वेयकम [ ग्रीवा+ठकम् ] 1. गले का आभूषण-उदा. -धर्मः 1. ग्रामीण का कर्तव्य 2. स्त्रीसंभोग, मैथुन, अस्माकं सखि वाससी न रुचिरे ग्रेवेयकं नोज्ज्वलम्-सा० –पशुः पालतू जानवर, बुद्धि (वि.) उजड्डु, मजा- द०३ 2. हाथी के गले में पहने जानेवाली जंजीर । किया, अनाड़ी,-वल्लभा वेश्या, रंडी,----सुखम् स्त्री- | प्रेमक (वि.) (स्त्री०--मिका) [ ग्रीष्म + बुञ ] संभोग, मैथुन । 1. गरमी के मौसम में बोया हुआ 2. गरमी के ऋतु में प्रावन (पं.) [ग्रस=ड--ग्रः, ---आ-वन+वित] दिया जाने वाला (कण आदि)। 1. पत्थर, चट्टान --कि हि नामैतदम्बुनि मज्जन्त्यला- ग्लपनम् [ ग्ल+णि+ल्युट, पुरू, ह्रस्व ] 1. मुझाना, बुनि ग्रावाणः संप्लवन्त इति--महावी०१, अपि ग्रावा सूख जाना 2. थकावट। रोदिति अपि दलति बज्रस्य हृदयम्-उत्तर० १२८ ग्लस् (म्वा० आ०-ग्लसते, ग्लस्त) खाना, निगलना। शि० ४१२३ 2. पहाड़ 3. बादल। ग्लह (भ्वा० उभ०, चुरा० आ०-लहति-ते, ग्लाहयति-ते) प्रासः [भर+घञ्] 1. कौर, कौर के बराबर कोई वस्तु 1. जुआ खेलना, जुए में जीतना 2. लेना, प्राप्त करना। मनु० ३।१३३, ६।२८. याज्ञ० ३५५ 2. भोजन, । ग्लहः [ ग्लह+अप] 1. पासे से खेलने वाला 2. दाव, पोषण 3. सूर्य या चन्द्रमा का ग्रहणग्रस्त भाग । बाजी लगाना, शर्त लगाना 3. पासा 4. जुआ खेलना सम० --आच्छादनम् -भोजन वस्त्र अर्थात अनिवार्य | 5. बिसात । जीवन साधन, ---शल्यम गले में अटकने वाला (मछली | ग्लान (भ० क. कृ.) [ ग्लै+त | 1. क्लान्त, श्रान्त, का काँटा) आदि कोई पदार्थ । थका हुआ, ग्लान, अवसन्न 2. रोगी, बीमार । पाह (वि.) (स्त्री० --ही) [ग्रह.+घञ] पकड़ने वाला, ग्लानिः (स्त्री०) [ ग्लं+नि ] 1. अवसाद, क्लान्ति, थका मुट्ठी से जकड़ने वाला, लेने वाला, थामने वाला. वट-मनश्च ग्लानिमृच्छति-मनु० ११५३, अङ्गग्लानि प्राप्त करने वाला,-ह: 1. पकड़ना, जकड़ना 2. घडि- सुरतजनिता-मेघ० ७०, ३१, शा० ४१४ 2. ह्रास याल, मगरमच्छ-रागग्राहवती-भर्त० ३।४५ 3. बन्दी क्षय-आत्मोदयः परग्लानिर्दयं नीतिरितीयती --शि० 4. स्वीकरण 5. समझना, ज्ञान 6. हट, दृढाग्रह २।३०, यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत 7. निर्धारण, दृढ़ निश्चय--भग० १७.१९ 8. रोग । ...--भग० ४१७ 3. दुर्वलता, निर्बलता 4. बीमारी। प्राहक (वि०) (स्त्री-हिका) [ग्रह.+पवल] प्राप्त । ग्लास्नु (वि.) [ग्लन-स्नु ] क्लान्त, श्रान्त । करने वाला, लेने वाला,-क: 1. वाज, श्यन 2. विष- | ग्लच (भ्वा० पर०-लोचति, ग्लुक्त) 1. जाना, चलना चिकित्सक 3. क्रेता, खरीदार 4. पुलिस अधिकारी। फिरना 2. चराना, लटना 3. छीन लेना, वञ्चित ग्रीवा [गिरत्यनया----वनिप्, नि.] गर्दन, गर्दन का करना-बहूनामग्लुचत् प्राणान् अग्लोचीच्चरणे यशः पिछला भाग-ग्रीवाभङ्गाभिराम महरनुपतति स्यन्दने । -भट्टि. १५।३० । दत्तदृष्टि: --श० ११७। सम-घण्टा घोड़े के गले | ग्ल (भ्वा० पर-रलायति, ग्लान) 1. विरक्ति या अरुचि में लटकता हुआ घंटा। अनुभव करना, काम करने को जी न करना, (तुमश्रीवालिका-दे० ग्रीवा। अन्त के साथ) 2. क्लान्त या श्रान्त होना, थका हुआ प्रीविन् (पुं०) [ग्रीवा इनि] ऊंट। या अवसन्न अनुभव करना 3. साहस छोड़ना, हतोप्रीष्म (वि.) [ग्रसते रसान्-ग्रस+मनिन] गरम, उष्ण, त्साह होना ---उदास होना-भट्टि० १९।१७, ६।१२ -मः 1. गर्मी का मौसम, गरम ऋतु ज्येष्ठ और 4. क्षीण होना, मछित होना--प्रेर० ग्ल .. ग्ला-पयति आषाढ़ के महीने ) ---ग्रीष्मसमयमधिकृत्य गीयताम् | 1. सुखा देना, शुष्क कर देना, चोट पहँचाना, क्षति श०१ रघु० १६.५४, भामि० १३५ 2. गर्मी, | पहुँचाना 2. थका देना। उष्णता। समकालीन (वि.) गर्मी के मौसम ग्लो (पं०) [ ग्ल-डौ ] 1. चन्द्रमा 2. कपूर । For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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