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( ३३६ )
जाना, प्राप्त करना, अभिग्रहण करना, हासिल करना - यत्र दुःखान्तं च निगच्छति - भग० १८/३६, ९/३१ 2. ज्ञान प्राप्त करना, सीखना, निस् (निर्) --, 1. बाहर जाना, जुदा होना- प्रकाश निर्गतः श० ४, हुतवहपरिखेदादाशु निर्गत्य कक्षात् - ऋतु० १।२७, मनु० ९१८३, श० ६।३, अमरु ६१ 2. हटाना, जैसा कि - 'निर्गतविशङ्कः' में 3. ( किसी रोग से चिकित्सा द्वारा ) मुक्त होना परा- 1. वापिस आना, तदयं परागत एवास्मि - उत्तर० ५ 2. घेरना, लपेटना, व्याप्त करना- स्फुटपरागपरागतपङ्कजम् - शि० ६२, परि- 1. जाना, चक्कर लगाना, तं हयं तत्र परिगम्य- रामा०, यथा हि मेरुः सूर्येण नित्यशः परिगम्यते - महा० 2. घेरना, शि० ९२६, भट्टि० १० १, सेनापरिगत आदि 3. सर्वत्र फैलना, सब दिशाओं में व्याप्त होना 4 प्राप्त करना - वृषलताम् -- आदि 5. जानना, समझना, सीखना रघु० ७।१७१ 6. मरना, ( इस संसार से ) चले जाना - वयं येभ्यो जाताश्चिरपरिगता एव खलु ते भर्त० ३१३८ 7 प्रभावित करना, ग्रस्त करना, जैसा कि - क्षुधया परिगत: --- में, पर्या, 1. निकट जाना, की ओर जाना 2. पूरा करना, समाप्त करना 3. जीतना, अभिभूत करना, प्रति--, 1. वापिस जाना 2. बढ़ना, की ओर जाना प्रत्या--, वापिस आना, लौट आना प्रत्युद् ---, ( सत्कार करने के लिए) आगे जाना, बढ़ना या मिलना - प्रत्युज्जगामा तिथिमातिथेयः -- रघु० ५/२, प्रत्युद्गच्छति मूर्छति स्थिरतमः पुजे निकुञ्ज प्रियः
गीत० ११, भामि० ३।३, वि-, ( समय आदि का ) 1. बीत जाना, - सन्ध्ययापि सपदि व्यगमि-शि० ९।१७ 2. ओझल होना, अन्तर्धान होना- सलज्जाया लज्जापि व्यपगमदिव दूरं मृगदृशः- गीत० ११, भग० ११ १, मनु०३/२, ५९, ( प्रेर०) व्यतीत करना, बिताना -- विगमयत्यन्ति एव क्षपाः श० ६।५, विनिस्-, 1. बाहर जाना 2. अन्तर्धान होना, ओझल होना विप्र अलग होना सम्--, ( आ० में प्रयुक्त) 1. मिल जाना, इकट्ठे चलना, मिलना, मुकाबला करना -- अक्षधूर्तेः समगंसि दश०, एते भगवत्यौ कलिन्दकन्यामन्दाकिन्यौ संगच्छेते - अनघं ० ७ 2. सहवास करना, संभोग करना - भार्या च परसंगता - पंच० १।२०८, मनु० ८ ३७८, ( प्रेर० ) इकट्ठा करना, मिलाना या एकत्र करना - रघु० ७।१७. समधि-, 1. निकट पहुंचना 2. अध्ययन करना 3. प्राप्त करना, अभिग्रहण करना यत्ते समधिगच्छन्ति यस्यैते तस्य तद्धनम् - मनु० ८।४१६, समय पूरी तरह से जान लेना, समुपा, 1. पास पहुँचना 2. आ पड़ना । गम ( वि० ) [ गम् + अप् ) ( समास के अन्त में) जाने वाला, हिलने-जुलने वाला, पास जान वाला, पहुँचाने
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वाला, प्राप्त करने वाला, हासिल करने वाला आदि खगम, तुरोगम, हृदयंगम आदि मः 1. जाना, हिलना-जुलना 2. प्रयाण करना - अश्वस्यै कागमः 3. आक्रमणकारी का कूच करना 4. सड़क 5. अविचारिता, विचारशून्यता 6. ऊपरीपन, अटकलपच्चू निरीक्षण 7. स्त्री-संभोग, सहवास -- गुर्वङ्गनागमः- मनु० ११५५, याज्ञ० २।२९३ 8. पासे आदि का खेल ।
सम० आगमः आना-जाना ।
गमक ( वि० ) ( स्त्री०-मिका ) [ गम् + ण्वुल् ] 1. संके
तक, सुझाव देने वाला, प्रणाम, अनुक्रमणी - तदेव गमकं पाण्डित्य वैदग्ध्ययो: मा० १७ 2 विश्वासोत्पादक ।
गमनम् [ गम् + ल्युट् ] 1. जाना, गति, चाल -- श्रोणीभारादलसगमना मेघ० ८२, इसी प्रकार गजेन्द्रगमने श्रृंगार० ७ 2 जाना, गति ( वैशेषिक इसे पाँच कमों में से एक कर्म समझते हैं ) 3. निकट पहुँचना, पहुँचना 4. अभियान 5. अनुभव करना, भुगतना 6. प्राप्त करना, पहुँचना 7. सहवास । गमिन् ( वि० ) | गम | इनि । जाने के विचार वाला जैसा कि 'ग्रामगमी' (पुं०) यात्री ।
गमनीय, गम्य (सं० कृ० ) [ गम् + अनीयर्, यत् वा | 1. सुगम, --. उपागम्य विकारस्य गमनीयास्मि संवृत्ता० १ 2. सुबोध, आसानी से समझ में आने योग्य 3. अभिप्रेत, निहित, अर्थयुक्त 4. उपयुक्त, वाञ्छित, योग्य - याज्ञ० १०६४ 5. सहवास के योग्य, दुर्जनगम्या नार्य:- पंच० १ २७८, अभिकामां स्त्रियं यश्च गम्यां रहसि याचितः, नोपैति - महा० 6. ( औषधि आदि से) उपचार योग्य-न गम्यो मन्त्राणाम् भर्तृ० ११८९ ।
गम्भारिका, गम्भारी [गम् + विच्गम्, तं रामं निम्नर्गात बिभर्ति - गम् + भृ + ल् + टाप्, इत्वम्, गम् भृ + अण् ङीष् ] एक वृक्ष का नाम । गम्भीर (वि० ) [ गंभीर ] रघु० ११३६, मेघ० ६४,
६६,--र: 1. कमल 2. जंबीर, नींबू । सम० – वेदिन् (वि०) (हाथी की भांति) दुर्दान्त, अड़ियल । गम्भीरा, गम्भीरका [गम्भीर + टापू, गम्भीर+कन् + टापु,
इत्वम् ] एक नदी का नाम गम्भीरायाः पयसि - मेघ० ४० ।
गय: 1. गया प्रदेश तथा उसके आस पास रहने वाले लोग 2. एक राक्षस का नाम, या बिहार में एक नगर जो एक तीर्थ स्थान है ।
गर ( वि० ) ( स्त्री० री) [ गीर्यते गृ+ अच् ] निगलने वाला, रः 1. पेय, शरबत 2. बीमारी, रोग 3. निगलना ('गरा' का भी यही अर्थ है. रः रम् 1. ज़हर 2. विषनाशक औषधि, रम् छिड़कना, तर
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