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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( ३३१ ) गणि: ( स्त्री० ) [ गण् +इन् ] विनता । गणिका [गण+टाप् ] 1. रण्डी, वेश्या गुणानुरक्ता गणिका च यस्य वसन्तशोभेव वसन्तसेना -- मृच्छ० १६, गणिका नाम पादुकान्तरप्रविष्टेव टुका दुःखेन पुनर्निराक्रिपते मृच्छ० ५, निरकाशयद्रवित विदालयादपरदिग्गणिका - शि० ९।१० 2. हथिनी 3. एक प्रकार का फूल । गणित ( वि० ) [ गण् + क्त ] 1. गिना हुआ, संख्यात, हिसाब लगाया हुआ 2. खयाल किया हुआ, देखभाल किया हुआ - दे० गण्; -तम् 1. गिनना, हिसाब लगाना 2. गणना विज्ञान, गणित ( इसमें अंकगणित [पाटीगणित या व्यक्त गणित | बीजगणित और रेखागणित सम्मिलित है ) - गणितमथ कलां वैशिकी हस्तिशिक्षां ज्ञात्वा - मृच्छ० ११४ 3. श्रेणी का जोड़ 4. जोड़ । गणित ( पु० ) [ गणित + इनि ] 1. जिसने लगाया है 2. गणितज्ञ । हिसाब गणित ( वि० ) ( स्त्री० नी ) [ गण + इनि । ( किन्हीं वस्तुओं की टोली या खेड़ को रखने वाला, श्वगजिन्, कुत्तों के झुंड को रखने वाला, रघु० ९ ५३, ( पु० ) अध्यापक ( शिष्यों की श्रेणी को रखने वाला ) । गणेय ( वि० ) [ गण् + एय । गिनती किये जाने के योग्य, जो गिना जा सके। गणे | गण + एरु ] कर्णिकार वृक्ष ( स्त्री० ) 1. रंडी 2. हथिनी । गणेरुका [ गणेरु+कै+क ] 1. कुटनी, दूती 2. सेविका । गण्ड: [ गण्ड् + अच् ] 1. गाल, कनपटी समेत मुख का समस्त पार्श्व - गण्डा भोगे पुलकपटलं- मा० २१५, तदीयमार्द्रारुणगण्डलेखम् -- कु० ७१८२, मेघ० २६, १२, अमरु ८१, ऋतु० ४६, ६।१० श० ६/१७, शि० १२/५४ 2. हाथी की कनपटी मा० १११ 3. बुलबुला 4. फोड़ा, रसौली, सूजन, फुंसी-अयमपरो गण्ड स्योपरि विस्फोट: - मुद्रा० ५, तदा गण्डस्योपरि पिटिका संवृत्ता - श० २ 5. गंडमाला या गर्दन के अन्य फोड़ा फुंसी 6. जोड़, गांठ 7. चिह्न, धब्बा 8 गैंडा 9 मूत्राशय 10. नायक, योद्धा 11. घोड़े के साज का एक भाग, आभूषण के रूप में घोड़े के जीन पर लगा हुआ बटन । सम० -- अङ्ग गैंडा, उपधानम् तकिया --मृदुगण्डोपधानानि शयनानि सुखानि च सुश्रु०, - कुसुमम् हाथी की कनपटी से झरने वाला मद, कूपः पहाड़ की चोटी पर बना कुआँ, ग्रामः बड़ा गाँव, देश: - प्रदेश: गाल, फलकम् चौड़ा गाल- - धृतमुग्धगण्डकविभुविकसद्धिरास्यकमलैः प्रमदाः- शि० ९१४७ - भित्तिः (स्त्री० ) 1. हाथी के गंडस्थल का छिद्र जिससे मद झरता है 2. भित्ति की भांति गाल' अर्थात् चौड़े, श्रेष्ठ और प्रशस्त गाल – निधौं तदाना Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मलगण्डभित्तिः (गजः रघु० ५।४३, (यहाँ मल्लिनाथ कहता है- प्रशस्तौ गंडी गंडभित्ती ) १२ १०२, - मालः --- माला कंठमाला रोग (जिसमें गर्दन की गिल्टियों में सूजन हो जाती है ), मूर्ख ( वि० ) अत्यन्त मूर्ख, बिल्कुल मूढ, शिला बड़ी चट्टान, - शैल: 1. भूचाल या आंधी से नीचे गिराई गई विशाल चट्टान - कि० ७ ३७ 2. मस्तक, साह्वया नदी का नाम, (इसे 'गंडकी' भी कहते हैं ), स्थलम्, -स्थली 1. गाल - गण्डस्थलेषु मदवारिषु - पंच० १।१२३. शृङ्गार० ७, गण्डस्थली: प्रोषितपत्रलेखाः - रघु० ६।७२ अमरु ७७ 2. हाथी की कनपटियाँ । गण्डक: [ गण्ड + कन् ]1. गैंडा 2. रुकावट, बाधा 3. जोड़, गांठ 4 चिह्न, धब्बा 5. फोड़ा, रसौली, फुंसी 6. वियोजन, वियोग 7. चार कौड़ी के मूल्य का सिक्का सम० -बती दे० गंडकी । गण्डका [ गंडक+टाप् ] लौंदा, पिण्ड या डली । गण्डकी [ गण्डक + ङीष् ] 1. एक नदी का नाम जो गंगा में मिल जाती है 2. मादा गैंडा । सम० पुत्रः, - शिला शालिग्राम ( पत्थर का ) । गण्डलिन् (पुं० ) [ गण्डल + इनि ] शिव । गण्डि [ गण्ड + इनि । वृक्ष का तना, जड़ से लेकर उस स्थान तक जहाँ से शाखाएँ आरम्भ होती हैं । गण्डिका [ गण्डक+टाप्, इत्वम् 1. एक प्रकार का कंकड़ 2. एक प्रकार का पेय । गण्डीर: [ गण्ड् + ईरन् ] नायक, शूरवीर । गण्ड: (पुं०, स्त्री० ) [ गण्ड् + ड ऊङ् ] 1. तकिया 2. जोड़, गाँठ । गण्डू (स्त्री० ) 1. जोड़, गाँठ 2. हड्डी 3. तकिया 4 तेल । सम० -- पदः एक प्रकार का कीड़ा, केंचुआ, 'भवम् सीसा, -पदी छोटा केंचुआ । गण्डूष:- बा [ गण्ड् + ऊषन ] ( पानी का) मुहभर, मुट्ठी पर - गजाय गण्डूषजलं करेण: ( ददौ ) कु० ३।३७, उत्तर० ३।१६, मा० ९।३४, गण्डुषजलमात्रेण शफरीफर्फरायते --- उद्भट 2. हाथी के सूंड़ की नोक । गण्डोल: [ गंड -+-ओलच् ]1. कच्ची खाँड़ 2. मुँहभर । गत (भू० क० कृ ) [ गम +क्त] 1. गया हुआ, व्यतीत, सदा के लिए गया हुआ - मुद्रा० ११२५ 2. गुजरा हुआ, बीता हुआ, पिछला - गतायां रात्री 3. मृत, मुर्दा, दिवंगत - कु० ४।३० 4. गया हुआ, पहुँचा हुआ, पहुँचने वाला 5. अन्तर्गत, अन्तः स्थित, बैठा हुआ विश्राम करता हुआ, सम्मिलित ( बहुधा समासों में - प्रासादप्रान्तगतः - पंच० १, बैठा हुआ; सदोगतः - रघु० ३।६६, सभा में बैठा हुआ; इसी प्रकार आद्य सर्वगतः सर्वत्र विद्यमान 6. फँसा हुआ, घटाया गया आपद्गत 7. संकेत करते हुए, संबंध रखते हुए, के For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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