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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ३३० ) गण: [गण ---अच् ] 1. रेवड़, झंड, समूह, दल, संग्रह । 2. गणेश (गणेश, शिव और पार्वती का पुत्र है, एक -गणिगणगणनारम्भे, भगण:--आदि 2. माला, श्रेणी आख्यायिका के अनुसार वह केवल पार्वती का ही पुत्र 3. अनुयायी या अन चर वर्ग 4. विशेषतः अर्धदेवों का है क्योंकि उसका जन्म पार्वती के शरीर के मेल से गण जो शिव के सेवक माने जाते हैं और गणेश के हआ। यह बुद्धिमत्ता का देवता और बाधाओं को अधीक्षण में रहते हैं, इस गण का कोई अर्धदेव-गणानां हटाने वाला है, और इसीलिए प्रत्येक महत्त्वपूर्ण कार्य स्वा गणपति हवामहे कविं कवीनाम्- आदि —गणा के आरम्भ होने पर उसकी पूजा होती है तथा नमेरुप्रसवावतंसा:--कु० ११५५, ७।४०, ७१, मेघ० आवाहन किया जाता है उसका चित्रण प्रायः बैठी हई ३३, ५५, कि० ५।१३ 5. समान उद्देश्य को प्राप्त अवस्था में किया जाता है, उसकी तोंद निकली हुई करने के लिए बना मनुष्यों का समाज या सभा 6. सम्प्र- है, चार हाथ है, चूहे पर सवार है तथा सिर हाथी का दाय (दर्शन या धर्म में) 7. २७ रथ, २७ हाथी, ८१ है, इसके सिर में दांत केवल एक है, दूसरा दांत-- शिव घोड़े और १३५ पदाति सैनिकों की छोटी टोली जी के अन्तःपूर में प्रविष्ट होते हए परशराम को ('अक्षौहिणी' का उपप्रभाग) 8. (गण) अङ्क 9. पाद, रोकने के लिए युद्ध करने समय ट गया (इसी लिए चरण (छन्दः शास्त्र में) 10. (व्या० में) धातुओं या गणेश को एकदन्त या एकदशन भी कहते हैं; उसका शब्दों का समूह जो एक ही नियम के अधीन हो -तथा हाथी का सिर है'-- इस बात पर प्रकाश डालने वाली उस श्रेणी के पहले शब्द पर जिसका नाम रक्खा गया अनेक कहानियां है। कहते हैं कि गणेश ने व्यास से हो -उदा० भ्वादिगण अर्थात् 'भू' से आरम्भ होने सुनकर महाभारत लिखा, व्यास ने ब्रह्मा से लिपिकार वाली धातुओं की श्रेणी 11. गणेश का विशेषण । सम० के रूप में गणेश को सेवाएँ प्राप्त कर ली थी),---पर्वत —अग्रणी (प.) गणेश,--अचल. कैलास पहाड़ जिस दे० गणाचल,-पीठकम् छाती, वक्षस्थल, पंगवः किसी पर शिव के गण रहते है,—अधिपः-अधिपतिः वर्ग या जाति का मुखिया (ब० व०),-पूर्वः किसी 1. शिव-शि० ९।२७ 2. गणेश 3. सैन्य दल का मुखिया जाति या वर्ग का नेता,-- भर्त (१०) 1. शिव का सेनापति ; शिष्यों के समूह का मुखिया, गुरु; मनुष्यों विशेषण गणभर्तुरक्षा कि० ५।४२ 2. गणेश का या जानवरों की टोली का मुखिया, यूथपति,-अन्नम् विशेषण 3. किसी वर्ग का नेता,- भोजनम सहनाज, सहभोजशाला, भोज्यपदार्थ जो बहुत से समान मिलकर भोजन करना, यज्ञः सामूहिक संस्कार, व्यक्तियों के लिए बनाया जाय-मनु० ४।२०९, २१९, ---राज्यम् दक्षिण का एक साम्राज्य, रात्रम् रातों -अभ्यन्तर (वि०) दल या टोली का एक व्यक्ति का समूह,- वृतम् दे० गणछन्दस्, हासः, हासक: (र:) किसी धार्मिक संस्था का सदस्य या नेता--मनु० सुगन्ध द्रव्य की एक जाति । ३११५४,—ईशः शिव का पुत्र गणपति (दे० नी० गण- | गणक (वि०) (स्त्री०-णिका) [गण - - प्रवल | बहुत पति), जननी: पार्वती का विशेषण, भूषणम् सिन्दूर, धन देकर खरीदा हुआ, - क: 1. अङ्कगणित का ज्ञाता ---ईशानः, ईश्वर: 1. गणेश का विशेषण 2. शिव 2. ज्योतिषी---रे पान्थ पुस्तकधर क्षणमत्र तिष्ठ वैद्योका विशेषण,--उत्साहः गैडा,-कार: 1. वर्गीकरण ऽसि कि गणकशास्त्रविशारदोऽसि, केनौषधेन मम करने वाला 2. भीमसेन का विशेषण,--कृत्वस् (अव्य०) पश्यति भर्तुरम्बा कि वागमिष्यति पतिः सूचिरप्रवासी सब कालों में, कई बार,-गतिः एक विशेष ऊँची संख्या, --सुभा०,- की ज्योतिषी की पत्नी। .-चक्रकम् गुणीगण का सहभोज, ज्योनार,- छन्दस् | गणनम् [गण+णिच+ ल्युट् ] 1. गिनना, हिसाब लगाना (नपुं०) पादों द्वारा मापा गया तथा विनियमित छन्द, 2. जोड़ना, गणना करना 3. विचार करना, खयाल --तिथ (वि०) दल या टोली बनाने वाला, --दीक्षा करना, ध्यान रखना 4. विश्वास करना, चिन्तन 1. बहुतों को एक साथ दीक्षा, सामूहिक दीक्षा 2. बहुत करना। से व्यक्तियों का एक साथ दोक्षा-संस्कार,-देवताः गणना [गण+णिच् +युच् ] हिसाब लगाना, विचार करना (ब० व.) उन देवताओं का समह जो प्रायः टोली खयाल कस्ना, गिनती करना का वा गणना सचेतनेषु या श्रेणियों में प्रकट होते हैं-अमर० परिभाषा देता अपगतचेतनान्यपि संघट्टायितुमलं (मदन:)... का० है-आदित्यविश्ववसवस्तुषिता भास्वरानिलाः, महा १५७, (हमें क्या आवश्यकता है : ....तु. कथा) राजिकसाध्याश्च रुद्राश्च गणदेवताः।--द्रव्यम् सार्व मेघ० १०, ८७, रघु० १११६४, शि०१६।५९, अमरु जनिक संपत्ति, पंचायती माल,-धरः 1. किसी वर्ग या ६४ । सम०--गतिः (स्त्री)-गणपति,~-पतिः अङ्कसमूह का मुखिया 2. विद्यालय का अध्यापक, नाथः, गणित को जानने वाला,-महामात्रः वित्तमंत्री। नायक: 1. शिव की उपाधि 2. गणेश का विशेषण, | गणशस् (अव्य०) [गण+-शस् ] दलों में, खेड़ों में, श्रेणी -नायिका दुर्गा की उपाधि,--पः,-पतिः 1. शिव । के क्रम से। For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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