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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ३२४ ) यस्या अन्यसंभोगचिह्नितः, सा खण्डितेति कथिता धीर- | 2. नाई की दुकान,--कोण:.-क्वाणः चकोर. तीतर, रीकिषायिता-सा० द. ११४ । सम-विग्रह -कोमल: ज्येष्ठ मास, गृहम, हम गधों का (वि.) अंगहीन, विकलांग:-वृत्त (वि०) आचार- अस्तबल,---णस्--णस (वि०) नुकीली नाक वाला, हीन, दुश्चरित्र। ---दण्डम् कमल,-ध्वंसिन् (पु.) खरहन्ता राम का साहिनी (खण्ड+इनि+डीप् ] पृथ्वी । विशेषण,-नादः गधे का रेंकना, मल: कमल,-पात्रम् सविकाः (ब०व०) खील, लाजा, तला हुआ या भुना । लोहे का बर्तन,-पालः लकड़ी का बर्तन,-प्रियः हुआ अनाज । कबूतर,-यानम् गघों से खींची जाने वाली गाड़ी, सविरः [खद्+किरच ] 1. खैर का पेड़,--याज्ञ. ११३०२ ---शम्ब: 1. गघे का रेंकना 2. समुद्री बाज,-शाला 2. इन्द्र का विशेषण 3. चाँद । गधों का अस्तबल,-स्वरा जंगली चमेली। सन् (म्वा० उभ०-खनति-ते, खात, कर्म० खन्यते-खायते) खरिका [खर+कन्+टाप, इत्वम् ] पिसी हुई कस्तूरी। खोदना, खनना, खोखला करना-खनन्नाखबिल सिंहः खरिन्धम,-2 (वि.) [खरी+ध्मा (धमादेशः) पक्षे धे -पंच० ३११७, मनु० २२२१८ भट्टि० १।१७, +खश्, मुम् ] गधी का दूध पीने वाला। अभि--, खोदना, उद- खुदाई करना, जड़ निकालना | खरी [खर+ङीष् ] गधी। सम०---जः शिव का उन्मूलन करना, उखाड़ना (आलं. भी)-बङ्गानुत्खाय विशेषण,--वृषः गधा । तरसा-रघु० ४।३६, ३३, १४१७३, मेघ० ५२, खत (वि.) [खन्+कु, रश्चान्तादेशः ] 1. श्वेत 2. मूर्ख, भट्टि० १२१५, १५।५५, मा० ९।३४, नि-, 1. खनना, मूढ 3. ऋर 4. निषिद्ध वस्तुओं का इच्छुक.---- खोदना 2. दफनाना, गाड़ना-ऊनद्विवर्ष निखनेत् | 1. घोड़ा 2. दांत 3. घमंड 4. कामदेव 5. शिव,-: याज्ञ. ३११, वसुधायां निचख्नतु:--रघु० १२।३०, (स्त्री०) लड़की जो अपना पति स्वयं चने । भट्टि० ४१३, १६।२२ 3. (स्तंभ के रूप में) उठाना खर्ज (म्वा० पर०—खर्जति, खजित) 1. पीडा देना, -निचखान जयस्तम्भान्-रघु० ४।३६ 4. जमाना, | बेचैन करना 2. कड़कड़ शब्द करना । स्थिर करना, घुसेड़ना-निचखान शरं भुजे-रघु० ३५५, । खर्जनम् [ खर्ज ल्युट् ] खरोचना। १२।९०, भट्टि० ३३८, हि० ४।७२, परि-, (खाई | जिका [ खर्ज +ण्वुल+टाप, इत्वम् ] 1. उपदंश रोग आदि) खोदना। 2. गजक । सनक: [खन्+ण्वुल ] 1. खनिक 2. सेंध लगाने वाला खर्जुः (स्त्री०) [खर्ज +उन् ] 1. खरोंच 2. खजूर का ___3. चूहा 4. कान । वृक्ष 3. धतूरे का पेड़ । बननम् खिन्+ल्युट् ] 1. खोदना, खोखला करना, पोला | खघुरन् । खर्ज +उरच् ) चाँदी। करना 2. गाड़ना। खर्जू: (स्त्री०) [खर्ज+ऊ ] खाज, खुजली। सनिः,-नी (स्त्री०) [खन्+इ, स्त्रियां ङीष् ] 1. खान | खर्जरः [खर्ज+ऊर ] 1. खजूर का पेड़ 2. बिच्छू,--रम् -रघु० १७१६६, १८।२२, मुद्रा० ७१३१ 2. गुफा। चाँदी 2. हरताल,-री खजूर का पेड़-रघु० ४।५७ । अनित्रम् [ खन्+इत्र ] कुदाल, खुर्पा, गैती। खर्परः [-कपर पृषो० कस्य खः ] 1. चोर 2. बदमाश, खपुरः [खं पिपति उच्चतया-ख++क] सुपारी का ठग 3. भिखारी का कटोरा 4. खोपड़ी 5. मिट्टी का पेड। फूटा हआ बर्तन ठीकरा 6. छाता। सर (वि.) [खं मुखविलमतिशयेन अस्ति अस्य-ख+र खपरिका, खपरी [खर्पर+अच्+की, केन्+टाप, अथवा खमिन्द्रियं राति-ख+रा+क] (विप० ह्रस्व, खर्पर+झीष् ] एक प्रकार का सुर्मा । -मृदु०, श्लक्ष्ण, द्रव) 1. कठोर, खुर्दरा, ठोस खर्व (4) (म्बा० पर०-खर्वति खवित) 1. जाना, 2. अमृदु, तेज, सख्त-रघु० ८१९, स्मरः खरः खलः फिरना, चलना 2. घमंड करना।। कांतः काव्या० ११५९ 3. तीखा, चरपरा 4. घना, खर्व-(ब) (वि०) [खर्व (4)+अच् ] 1. विकलांग, सघन 5. पीडाकर, हानिकर, कर्कश 6. तेज धार वाला अपाहज, अपूर्ण (अंगहीन) 2. ठिंगना, ओछा, कद में -देहि खरनयनशरघातम् --गीत.7. गरम-खरांशु छोटा,---,-वन् दस अरब की संख्या। सम० -आदि 8. क्रूर, निष्ठुर,-रः 1. गधा-मनु० २। शाख (वि०) ठिंगना, ओछा, छोटा। २०१, ४।११५, १२०, ८१३७०, याज्ञ० २।१६० खर्वटः,-टम् [खर्व +अटन् ] 1. नगर जिसमें पेंठ भरती 2. खच्चर 3. बगला 4. कौवा 5. एक राक्षस का नाम हो, मंडी 2. पहाड़ की तराई का गाँव । जो रावण का सौतेला भाई था और जो राम के द्वारा | खल (भ्वा० पर०-खलति, खलित) 1. चलना-फिरना, मारा गया था-रषु० १२।४२ । सम० अंशुः, | हिलना-जुलना 2. एकत्र करना, संग्रह करना । -कर-रश्मिः सूर्य,-कुटी 1. गधों का अस्तबल । खल:-लम खल+अच्] 1. खलिहान-मनु० ११११७, ११४ For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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