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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( २९६ ) कृत (तुदा० पर०-कृन्तति, कृत्त) 1. काटना, काट कर दोषी, मजरिम, अभय (वि.) भय या खतरे से सुर फेंक देना, विभक्त करना, फाड़ना, धज्जियाँ उड़ाना, क्षित, अभिषेक (वि०) राज्याभिषिक्त, यथा विधि टुकड़े २ करना, नष्ट करना-प्रहरति विधिर्ममच्छेदी पद पर प्रतिष्ठित किया हआ,--अभ्यास (वि०) नं कृन्तति जीवितम्-उतर. ३।३१, ३५ भट्टि० ९।४२ अभ्यस्त,---अर्थ (वि.) 1. जिसने अपना उद्देश्य सिद्ध १५।९७ १६:१५, मनु० ८1१२, अव-,काट फेंकना, कर लिया है, सफल 2. सन्तुष्ट, प्रसन्न, परितृप्त,-कृतः विभक्त करना, फाड़ कर टुकड़े २ करना, उद्-, कृतार्थोऽस्मि निहितांहसा--शि० श२९, रघु० ८।३, 1. काटना या काट फेंकना, फाड़ना-रघु० १२१४९, कि० ४।९ 3. चतुर, (कृतार्थीकृ) 1. सफल बनाना मनु० ११११०५ 2. खण्ड खण्ड करना, टुकड़े काटना 2. भरपाई होना-कान्तं प्रत्युपचारतश्चतुरया कोप: --उत्कृत्योत्कृत्य कृत्ति-मा० ५।१६ वि- 1. काटना, कृतार्थीकृत:-अमरु १५,- अवधान (वि०) होशियार, फाड़ना, टुकड़े २ करना-विश्वासाद्भयमुत्पन्नं मला- सावधान,-अवधि (वि०) 1. निश्चित, नियत 2. हदन्यपि निकन्तति-पंच०२१३९, निकृन्तन्निव मानसम बन्दी किया हुआ, सीमित,-अवस्थ (वि.) 1. बलाया ----भट्रि०७।११ भल्लनिकृत्तकण्ठ:---रघु०७।५८ । हुआ, प्रस्तुत कराया हुआ 2. निश्चित, निर्धारित, ii (रुधा० पर०-कृणत्ति, कृत्त)1. कातना, 2. घेरना। ---अस्त्र (वि०) 1. हथियारबन्द 2. शस्त्र या अस्त्र कृत् (वि.) कृ+क्विप] (प्रायः समास के अन्त में) विज्ञान में प्रकाशित-रघु० १७१६२,-आगम (वि०) निष्पादक, कर्ता, निर्माता, अनुष्ठाता, उत्पादक, रच- प्रगत, प्रवीण (पुं०) परमात्मा, -आगस् (वि०) दोषी, यिता आदि पाप, पुण्य', प्रतिमा आदि, (पुं०) अपराधी, मुजरिम, पापी,-आत्मन् (वि.) 1. संयमी, 1. प्रत्ययों का समूह जिनको धातु के साथ जोड़ने से स्वस्थचित्त, स्थिरात्मा 2. पवित्र मन वाला,--आयास (संज्ञा, विशेषण आदि) बनते हैं 2. इस प्रकार बना (वि०) परिश्रम करने वाला, सहन करने वाला, हुआ शब्द । --आह्वान (वि०) ललकारा हुआ,-- उत्साह (वि०) कृत (वि.) [कृ+क्त) किया हुआ, अनुष्ठित, निर्मित, परिश्रमी, प्रयत्नशील, उद्यमी, उद्वाह (वि०) क्रियान्वित, निष्पन्न, उत्पादित आदि (भू० क० कृ० 1. विवाहित 2. हाथ ऊपर उठा कर तपस्या करने वाल!, ----- कृ-तना० उभ०)-तम् 1. कार्य, कृत्य, कर्म-मनु० —उपकार (वि.) 1. अनुगहीत, मित्रवत् आचरित, ७।१९७ 2. सेवा, लाभ 3. फल, परिणाम 4. लक्ष्य, सहायता प्राप्त--कु० ३।७३ 2. मित्रसदश,---उपभोग उद्देश्य 5. पासे का वह पहल जिस पर चार बिन्दु (वि.) बरता हुआ, उपभुवत,-कर्मन् (वि०) अंकित है 6. संसार के चार यगों में पहला यग जो 1. जिसने अपना काम कर लिया है-रघु० ९१३ 2. दक्ष मनुष्यों के १७२८००० वर्षों के बराबर है-दे० मनु० चतुर (पुं०) 1. परमात्मा 2. संन्यासी,--काम (वि.) ११७९, और इस पर कुल्लूक को टीका, परन्तु महा जिसकी इच्छाएँ पूर्ण हो गई है, काल (वि.) भारत के अनुसार यह युग मनुष्यों के ४८०० वर्षों से 1. समय की दृष्टि से जो स्थिर है, निश्चित 2. जिसने अधिक वर्षों का है, चार की संख्या। सम० - अकृत कुछ काल तक प्रतीक्षा की है (ल:) नियत समय (वि.) किया न किया अर्थात् कुछ भाग किया गया, याज्ञ० २।१८,-कृस्य (वि) कृतार्थ, - भग० १५२० पूरा नहीं किया गया,-अङ्क (वि.) 1. चिह्नित, दागी 2. सन्तुष्ट परितप्त.....-शा० ३.१९ 3. जिसने अपना ----मनु० ८।२८१, 2. संख्यांकित, (कः) पासे का बह कर्तव्य पूरा कर लिया है,-क्रयः खरीदार, · क्षण भाग जिस पर चार विन्दु अंकित हों,-अञ्जलि (वि०) (वि.) 1. निश्चित समय को आतुरतापूर्वक प्रतीक्षा विनम्रता के कारण दोनों हाथ जोड़े हुए-भग० करने बाला, --वयं सर्वे सोत्सुकाः कृतक्षणास्तिष्ठामः ११।१४, मनु० ४११५४, अनुकर (वि०) किये हुए कार्य -पञ्च०१ 2. जिसे कोई अवसर उपलब्ध हो गया का अनुकरण करने वाला, अनुसेवी,-अनुसारः प्रथा है,-उन (वि०) 1. अकृतज्ञ, मनु० ४१२१४, ८।१९ परिपाटी,-अन्त (वि०) समाप्त करने वाला, अव 2. जो पहले किये हुए उपकारों को नहीं मानता है, सायी, (तः) 1. मृत्यु का देवता यम-द्वितीयं कृतान्त- -~-चूडः 1. जिस बालक का मुण्डनसंस्कार हो गया है मिवाटतं व्याधमपश्यत्-हि० १ 2. भाग्य, प्रारब्ध -- मनु० ५।५८, ६७,--ज्ञ (वि.) 1. उपकार मानने ------फरस्तस्मिन्नपि न सहते सङ्गमं नौ कृतान्तः । मेघ० वाला, आभारी - मनु० ७।२०९, २१०, याज्ञ० १०५ 3. प्रदशित उपसंहार, रूढि, प्रमाणित सिद्धान्त १।३०८ 2. शुद्धाचारी (ज्ञः) कुत्ता,- तीर्थ (वि०) 4. पापकर्म, अशुभ कर्म 5. शनि ग्रह का विशेषण 1. जिसने तीर्थों के दर्शन किए हैं 2. जो (अध्यापनवृत्ति 6. शनिवार, ... जनकः सूर्य,- अन्नम् 1. पकाया हुआ के) अध्यापक से अध्ययन करता हो 3. जिसे ताकीबें भोजन,-कृतान्नमुदकं स्त्रियः--मनु० ४।२१९ १११३ खूब सूझती हों 4. पथ प्रदर्शक,.. दासः किसी निश्चित 2. पचा हुआ भोजन 3. मल,-अपराध (वि.)अपराधी समय के लिए रक्खा हआ बैतनिक सेवक, बैतनिक १५४, अनुकीय जोड़े हुए(वि०) For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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