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( २९४ )
मम वपुपि नवयौवनेन पदम्-का० १४१, मनसाकृ-- सोचना, मध्यस्थता करना, मनसि कृ-सोचना-दृष्ट्वा मनस्येवमकरोत् का० १३६, दृढ़ निश्चय करना संकल्प करना,--सख्यं, मैत्री कृ मित्रता करना, अस्त्राणि कृ-शस्त्रास्त्रों के प्रयोग का अभ्यास करना, दंड कृ-दंड देना, हृदये कृ-ध्यान देना, कालं कृ-मरना, मति, बुद्धि कृ-सोचना, इरादा करना, अभिप्राय होना -उदकं कृ-पितरों को जल का तर्पण करना, चिर कृ-देर करना,दर्दरं कृ-वीणा बजाना, नखानि कृ-नाखन साफ करना, कन्यां कृ-- सतीत्वभ्रष्ट करना, कौमार्य भंग करना, बिना कृ-अलग करना, छोड़ा जाना जैसा कि 'मदनेन विनाकृतिः रतिः' कु० ४।२१ में, मध्य कृ -- बीच में रखना, संकेत करना-मध्ये कृत्य स्थितं ऋथकैशिकान-मालबि० ५।२, वशे कृ --जीतना, बस में करना, दमन करना, चमत्कृ आश्चर्य पैदा करना, प्रदर्शन करना, सत्कृ-सम्मान करना, सत्कार करना, तिर्यक कृ-एक ओर रख देना,--प्रेर० (सारयति-ते) करवाना, सम्पन्न करवाना, बनवाना, कार्यान्वित करवाना -आज्ञां कारय रक्षोभिः--भट्रि०८1८४, भत्यं भृत्येन वा कटं कारयति-सिद्धा०-, इच्छा० (चिकीपति-ते) करने की इच्छा करना, अङ्गी-1. स्वीकार करना, अपनाना-लबङ्गी कुरङ्गी दृगङ्गीकरोतु-जग०, दक्षिणामाशामङ्गीकृत्य--का० १२१ 2. मान लेना, स्वीकृति देना, अपनाना मान लेना 3. करने की प्रतिज्ञा करना, जिम्मेवारी लेना-किं त्वङ्गीकृतमुत्सृजकृपणवच्छलाध्यो जनो लज्जते--मुद्रा० ॥१८ 4. दमन करना, अपना बनाना, अनुग्रह करना--अमरु ५२, अति-बढ़ जाना, पीछे छोड़ देना, अधि०, 1. अधिकारी होना, हकदार बनना, अधिकृत बनना, किसी कर्तव्य के लिए पात्रीकरण,-वाध्यकारिष्महि वेदवृत्ते--भट्टि० २१३४, कि० ४।२५ 2. लक्ष्य बनाना, उल्लेख करना, ('विषय पर' 'के विषय में' 'के लिए' 'संकेत करके' 'उल्लेख करते हुए' अर्थो के लिए 'अघिकृत्य' शब्द का प्रयोग होता है--ग्रीष्मसमयमधिकृत्य गीयताम्--श० १, शकुन्तलामधिकृत्य ब्रवीमि---श० २, रघु० १११६२) 3. धारण करना--अधिचक्रे नयं हरिः--भट्टि० ८।२० 4. अभिभूत करना, दबा लेना, श्रेष्ठ बनना 5. रोकना, रुकना, हाथ खींचना । अनसूरत शकल में मिलना, अनुगमन करना, विशेषत: नकल करना (कर्म व संब० के साथ)-शैलाधिपस्यानुचकार लक्ष्मीम्-भट्टि० २।८, मनु० २।१९९, श्यामतया हरेरिवानुकुर्वतीम्-का० १०, अनुकरोति भगवतो नारायणस्य-६, अप- 1. खींचकर दूर करना, हटाना, दूर खींचकर अनादर करना, योऽपचक्रे वनात्सीताम् --भट्टि० ८।२० 2. प्रहार करना, क्षति पहुं- ।
चाना, बुरा करना, हानि पहुँचाना, हानि या क्षति पहुँचाना (संब० के साथ) न किचिन्मया तस्यापकर्तुं शक्यम्--पंच० १, अया-- 1. दूर करना, त्याग देना, हटाना, मिटाना-तन्नै तिमिरमपाकरोति चन्द्रः २० ६२९, न पुत्रवात्सल्यमपाकरिष्यति --कु० ५।१४ 2. फेंक देना, अस्वीकार करना, एक
ओर रख देना, छोड़ देना - शिवा भुजच्छदमपाचकार -.-रघु० ७५०, अभ्यन्तरी .. 1. दीक्षित करना 2. मित्र बनाना (अभ्यन्तर के नी० दे०) अलम्विभूषित करना, सजाना,शोभा बढ़ाना-उभावलञ्चक्रतुरञ्चिताभ्यां तपोवनावृत्तिपथं गताभ्याम-रघु० ११॥ १८, कतमो वंशोऽलङकृतो जन्मना २० १, आ, (प्रेर०) 1. पुकारना, बुलाना, निमंत्रित करना, ... आकारयनमत्र 2. निकट लाना, आविस् -, प्रकट करना, दर्शनीय बनना, जाहिर करना, प्रदर्शन करना ('आविस्' के नी० दे०) उप (वर्त०-उपकरोति) 1. (क) मित्र बनाना, सेवा करना, सहायता करना, अनुग्रह करना, उपकृत करना (प्रायः संबं०, कभीकभी अधि० के साथ)-सा लक्ष्मीरुपकुरते यया परेषाम् - -भट्टि० ८।१८, आत्मनश्चोपकर्तुम् --मेघ० १०१, शि० २०७४, मनु० ८।३९४ (ख) 1. हाजरी में खड़े रहना, सेवा करना 2. (वर्त० ---उपस्करोति) (क) विभूषित करना, शोभा बढ़ाना, सजाना (ख) प्रयत्न करना (संब० के साथ)----भट्टि० ८।१९११९ (ग) तैयार करना, विस्तार से कार्य करना, पूरा करना, निर्मल करना,-उपा--- 1. सौंपना, देना 2. प्रारंभिक संस्कार सम्पन्न करना मनु० ४।९५ -दे० उपाकर्मन् 3. उठा लाना, लाना 4. आरंभ करना, उरी, उररी---, उररी-ऊरी-, या ऊररी स्वीकार करना, दे० अंगीकृ. ऊपर, रघु० १५१७०-दे० उरी भी, तिरस्-1. अपशब्द कहना, बुरा भला कहना, अनादर करना, घणा करना 2. पीछे छोड़ना, आगे बढ़ना, जीतना, दे० 'तिरस्' के नीचे०, त्वम्-तू, कोई (तिरस्कार सूचक) दक्षिणी-, या प्रदक्षिणी-, किसी वस्तु के चारों ओर घूमना (अपना दक्षिण पार्श्व उसकी ओर करके), प्रदक्षिणीकुरुष्व सद्योहताग्नीन्-श० ४, प्रदक्षिणीकृत्य हुतं हुताशमनन्तरंभर्तुररुन्धती च, रघु० २।७१, दुस् --, बुरे ढंग से करना, धिक--, झिड़कना, बुरा भला कहना, अनादर करना ---दे०धिक के नी०, नमस्-, नमस्कार करना, पूजा करना--मुनित्रयं नमस्कृत्य-सिद्धा०-दे० नमस् के नी०, नि-, क्षति पहुँचाना, बुरा करना, निस् .. 1. हटाना, हाँक कर दूर कर देना. मनु० १११५३ 2. तोड़ देना, निकम्मा कर देना--- भट्टि० १५।५४, निरा-- 1. निकाल देना, परे कर देना, निकाल बाहर करना- भट्टि
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