________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
( २९२ ) कूटशः (अव्य०) [ कूट+-शस् ] ढेरों या समूहों में। कूर्चः,-चम् [ कुर् = चट् नि० दीर्घः ] 1. गुच्छा, गठरी कवचम्-कुड्य ।
2. मुट्ठीभर कुश घास 3. मोरपंख 4. दाढ़ी-आगतकूण (चुरा० उभ०--कूणयति-ते, कूणित) 1. बोलना, मनध्यायकारणं सविशेषभूतमद्य जीर्णकूर्चानाम्-उत्तर०
बातचीत करना 2. सिकोड़ना, बंद करना (इस अर्थ | ४, या पूरयतिव्यमनेन चित्रफलक लंबकूर्चानां तापसानां में आ० माना जाता है)।
कदम्बः-श०६ 5. चुटकी 6. नाक का ऊपरी भाग, कणिका [कूण+ण्वुल+टाप, इत्वम् ] 1. किसी पशु का | दोनों भौवों के बीच का भाग 7. कूची, ब्रुश 8. धोखा, - सींग 2. वीणा की खूटी।
जालसाजी 9. शेखी बघारना, डींग मारना 10. दम्भ, कूणित (वि.) [ कूण्+क्त ] बन्द, मुंदा हुआ।
-र्च: 1. सिर 2. भण्डार। सम-शीर्ष:-शेखरः कुहालः [कु+दल+अण, पृषो.] पहाड़ी आबनूस ।
नारियल का पेड़। कूपः [कुवन्ति मण्डका अस्मिन-कु+एक दीर्घश्च] कचिका [ कूर्चक+टाप+इत्वम् ] 1. चित्रकारी करने की
1. कूओं-कूपे पश्य पयोनिधावपि घटो गृह्णाति तुल्यं कूची, ब्रुश या पैंसिल 2. चाबी 3. कली, फूल जलम् --भर्तृ०. २०४९, इसी प्रकार-नितरां नीचोऽ- 4. जमाया हुआ दूध 5. सुई। स्मीति त्वं खेदं कूप मा कदापि कृथाः, अत्यन्तसरस- | कूर्द (भ्वा० उभ० --- कूर्दति-ते, कूदित) 1. छलांग लगाना, हृदयो यतः परेषां गुणग्रहीतासि-भामि० ११९ कूदना 2. खेलना, बालकेलि करना-ववश्चुराजुघूर्णश्च 2. छिद्र, रन्ध्र, गढ़ा, गर्त जैसा कि 'जघनकूप' में स्येमुश्चुकूदिरे तथा-भट्टि० १४१७७, ७९, १५।४५, 3. चमड़े की बनी तेल रखने की कुप्पी 4. मस्तूल उद्-, कूदना, उछलना। -क्षोणीनौकूपदण्ड:-दश० १। सम० --अङ्क:-अङ्गः | कूर्दनम् [ कूर्द +ल्युट ] 1. उछलना 2. खेलना, क्रीडा रोमांच,---कच्छपः, -मण्डकः--की (शा०) कुएँ का | करना, नी 1. चैत्र की पूर्णिमा को कामदेव के सम्मान कछुवा या मेढक, (आलं०) अनुभवशून्य मनुष्य, जो । में मनाया जाने वाला पर्व 2. चैत्रमास की पूर्णिमा। सांसारिक अनुभव नहीं रखता, सीमित जानकारी कूपः [ कुर्+पा+क, दीर्घः ] दोनों भौवों के बीच का रखने वाला मनुष्य जो केवल पास पड़ोस को ही। भाग। जानता है, (प्रायः 'तिरस्कारद्योतक' शब्द),-पन्त्रम् | कूपर: [ कुर् + विवप्, कुर्-पृ+-अच्, दीर्घः नि०] रहट, कुएँ से पानी निकालने का यन्त्र-यन्त्रघटिका, 1. कोहनी-शि० २०११९ 2. घुटना। यन्त्रघटी रहट में पानी निकालने के लिए लगी डोल
कर्मः [को जले ऊमिः वेगोऽस्य पृषो० तारा०] 1. कछुवा चियाँ । यन्त्रघटिका न्याय दे० 'न्याय' के नीचे ।
-गृहेकूर्म इवाङ्गानि रक्षेद्विवरमात्मनः - मनु०७४ कूपकः [ कूप+कन् ] 1. कुआँ (अस्थायी या कच्चा) १०५, भग०२।५८ 2. विष्णु का दूसरा (कूर्मावतार)
2. छिद्र, रंध्र, गर्त 3. कूल्हों के नीचे का गड्ढा अवतार । सम० --अवतारः विष्ण का कूर्मावतार 4. खूटा जिसके सहारे किस्ती का लंगर बांध दिया --तु० गीत० १-क्षितिरतिविपुलतरे तव तिष्ठति जाता है 5. मस्तूल 6. चिता 7. चिता के नीचे का पृष्ठे धरणिधरणकिणचक्रगरिप्ठे, केशव धृतकच्छपरूप, छिद्र 8. चमड़े की बनी तेल-कुप्पी 9. नदी के बीच की जय जगदीश हरे । --पृष्ठम्,---पृष्ठकम् 1. कछुवे की चट्टान या वृक्ष।
कसर या पीठ 2. तश्तरी का ढकना,--राजः द्वितीय कूपा (वा) रः [ कुत्सितः पारः तरणम् अस्मिन्-ब० अवतार के समय कछुवे के रूप में विष्णु। स०] समुद्र, सागर ।
कूलम् । कूल+अच् ] 1. किनारा, तट---राधामाधवयोर्जकूपी [ कूप+ ङीष् ] 1. छोटा कुआँ, कुइया 2. पलिघ, | यन्ति यमुनाकूले रहाकेलयः--गीत० १, नदीवोभयकूलबोतल 3. नाभि ।।
भाक्--रघु०१२।३५, ६८ 2. ढलान, उतार 3. छोर, कब (ब) र (वि.) (स्त्री०-री) [कु+ब (व) रच् ] कोर, किनारी, सन्निकटता–कुलायकुलेषु विलठ्य तेषु
1. सुन्दर, रुचिकर 2. कुबड़ा,-,-रम् गाड़ी की | ते-नै० १११४१ 4. तालाब 5. सेना का पिछला वल्ली या स्थूण-भुजा जिसमें जूआ बाँधा जाता है, भाग 6. ढेर, टीला। सम... चर (वि.) नदी के
-री 1. कम्बल या किसी दूसरे कपड़े के परदे से | किनारे चरने वाला, या विचरने (घूमने) वाला ढकी हुई गाड़ी 2. गाड़ी की बल्ली जिससे जूआ बांधा -भूः (स्त्री०) तटस्थित भूखंड,--हण्डकः, हण्डक: जाय-वेणी० ४।
भंवर। करः, रम् [वे+क्विप्-ऊः, को भूमौ उवं वयनं लाति कलङ्कष (वि.) [ कूल+का+खच, मुम् ] तट को
--ला+क, लरयोरभेदः] भोजन, भात-इतश्च काटने वाला, या अन्दर ही अन्दर जड़ खोखली करने करण्युततैलमिश्र पिण्ड हस्ती प्रतिग्राह्यते मात्रपूरुषः वाला-कूलङकषेव प्रसन्नमम्भस्तटतरुं च-श० ५।२१, मृच्छ० ४।
--पः नदी की धारा, या प्रवाह,--षा नदी।
For Private and Personal Use Only