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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( २८२ ) कुट (चुरा० उभ० -कुट्टयति, कुट्टित) 1. काटना, ( कुड्मल (वि०) [कुड्+कल, मुटु ] खुलता हुआ, पूरा बांटना 2. पीसना, चूर्ण करना 3. दोष देना, निन्दा | खिला हुआ, लहराता हुआ (जैसे खिला हुआ फूल) करना 4. गुणा करना। -रघु० १८१३७,-लः खलना, कली---विज़म्भणोकुट्टकः [ कुद्र+वल ] कटने वाला, पीसने वाला। द्गन्धिषु कुड्मलेषु-रघु० १६।४७, उत्तर० ६।१७, कुट्टनम् [ कुट्टल्युट ] 1. काटना 2. कूटना 3. दुर्वचन शि० २।७,-लम् एक प्रकार का नरक-मनु० कहना, निन्दा करना। ४१८९, याज्ञ० ३।२२२। कुट्ट (हि) नो [ कुट्टयति नाशयति स्त्रीणां कुलम् --कुट्ट, | कुड्मलित (वि०) [कुड्मल + इतच् ] 1. कलीदार, खिला +णिच् +त्यट+डीप, कुट्ट+ इनि वा] कुटनी, हुआ 2. प्रसन्न, हंसमुख । दूती, दल्ली । कुडघम् [कु+यक , डुगागमः 11. दीवार-भेदे कूडधावकुट्टमितम् [ कुट्ट+घञ , तेन निवृत्त इत्यर्थे कुट्ट + इमप् पातने-याज्ञ० २।२२३, शि० ३४५ 2. (दीवार पर) +इतच् ] प्रियतम के प्यार का दिखावटी तिरस्कार | पलस्तर करना, लीपना, पोतना 3. उत्सुकता, जिज्ञासा। (झूठमूठ ठुकराना) (नायिका के २८ हावभाव तथा सम-छेदिन् (पुं०) घर में सेंध लगाने वाला, अनुनय, में से एक) सा० द० परिभाषा देता है-केश चोर, छेद्यः खोदने वाला, (धम्) खाई, गड्ढा, स्तनाधरादीनां ग्रहे हर्षेपि संभ्रमात्, प्राहुः कुट्टमितं (दीवार में) दरार। नाम शिरःकरविधननम्, १४२।। कुण् (तुदा० पर०-कुणति, कुणित) 1. सहारा देना, कुटाक (वि०) (स्त्री०- की) [ कुद्र.+षाकन् ] जो सहायता देना 2. शब्द करना। विभक्त करता है या काटता है--सारङ्गसङ्गरविधा कुणकः [ कुण+क+कन् ] किसी जानवर का अभी पैदा विभकुम्भकूटकुट्टाकपाणिकुलिशस्य हरेः प्रमाद:---मा० हुआ बच्चा। ५।३२। कुणप (वि.) (स्त्री०—पी) [कुण -- कपन्] 1. मुर्दे जैसी कुट्टारः [ कुट्ट +-आरन् ] पहाड़, रम् 1. मैथुन 2. ऊनी दुगंध देने वाला, बदबूदार–पः,-पम् मुर्दा, शवकंबल 3. एकान्त । शासनीयः कुणपभोजन:--विक्रम० ५ (गिद्ध),-अमेध्यः कटिमः,-मम् [ कुट्ट+इमप् ] 1. खड़जा, छोट-छोटे कुणपाशी च--मनु० १२। ७१, जीवित जन्तुओं के पत्थरों को जमा कर बनाया हआ फर्श, पक्का फर्श प्रति घणा व तिरस्कार का द्योतक शब्द,-प: 1. बर्डी -कांतेन्दुकान्तोपलकूट्रिमेषु-शि० ३१४०, रघु० १०९ 2. दुर्गंध, बदबू । 2. भवन बनाने के लिए तैयार की गई भूमि कुणिः [कुण + इन्] लुजा, जिसकी एक बाँह सूख गई हो। 3. रत्नों की खान 4. अनार 5. झोंपड़ी, कुटिया, कुण्टक (वि.) (स्त्री०-की) [कुण्ट +ण्वुल] मोटा, छोटा घर। स्थूल। कटिहारिका--[कुट्टि मत्स्यमांसादिकं हरति इति---कुट्टि । कुण्ठ (भ्वा० पर०—कुण्ठति, कुण्ठित) 1. कुण्ठित, ठूण्ठा +ह+वुल टाप्, इत्वम् ] सेविका, दासी। या मन्द हो जाना 2. लंगड़ा, और विकलांग होना कुटुमल-कुडमल। 3. मंदबुद्धि या मूर्ख होना, सुस्त होना 4. ढीला करना कुठः [ कुठयते छिद्यते-कुठ+क] वृक्ष । (प्रेर० या चुरा० पर०) छिपाना । कुठर=दे० 'कुटर'। कुण्ठ (वि.) [कुण्ट-+-अच्] 1.ठ्ठा, सुस्त, वज्र तपोवीर्यकुठारः (स्त्री०-री) [ कुछ ---आरन् ] कुल्हाडा (परश), महत्सु कुण्ठम् --कु० ३।१२, प्रभावरहित हो गया, कुल्हाड़ी-मातुः केवलमेव यौवनवनच्छेदे कुठारा वयम् । कुण्ठीभवन्त्युपलादिपु क्षुरा:--शारी० 2. मन्द, मूर्ख, ---भर्त० ३।११।। जड 3. आलसी, सुस्त 4. दुर्बल । कुठारिकः [ कुठार+ठन् ] लकड़हारा, लकड़ी काटने । कुण्ठकः [कुण्ठ् + बुल] मूर्ख । वाला। कुण्ठित (भू० क० कृ.) [कुठ+क्त 1.ठ्ठा, मन्दीकृत कुठारिका [ कुठार+की+कन्+टाप, ह्रस्वश्च ] छोटा (आलं. भी)-बिभ्रतोऽस्त्रमचलेप्यकुण्ठितम् --- रघु० कुल्हाड़ा, फरसा। ११।७४, भामि० २१७८, कु० २।२०, शास्त्रष्वकु. कुठारः [ कुठ+आरु ] 1. वृक्ष 2. लंगूर, बन्दर । ठिताबुद्धिः - रघु० ॥१९, निर्बाध रही 2. जड कुठिः [कुठ+इन+कित् ] 1. वृक्ष 2. पहाड़। 3. विकलांग। कुडङ्गः (पुं०) कुंज, लतागृह । कुण्डः, डम् [कुण --ड] 1. प्याले की शक्ल का बर्तन, चिलकुडवः (पः) [ कुड+-कवन्, कपन् वा] एक चोथाई प्रस्थ । मची, कटोरा 2. हौज 3. कंड, कुंड--- अग्निकुण्डम के बराबर या बारह मुठ्ठी (अंजलि) अनाज की । 4. पोखर या पल्वल-विशेषतः जो किसी देवता के नाम तोल। पर धर्मार्थ समर्पित कर दिया गया हो 5. कमंडलु या For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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