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( २८२ ) कुट (चुरा० उभ० -कुट्टयति, कुट्टित) 1. काटना, ( कुड्मल (वि०) [कुड्+कल, मुटु ] खुलता हुआ, पूरा
बांटना 2. पीसना, चूर्ण करना 3. दोष देना, निन्दा | खिला हुआ, लहराता हुआ (जैसे खिला हुआ फूल) करना 4. गुणा करना।
-रघु० १८१३७,-लः खलना, कली---विज़म्भणोकुट्टकः [ कुद्र+वल ] कटने वाला, पीसने वाला। द्गन्धिषु कुड्मलेषु-रघु० १६।४७, उत्तर० ६।१७, कुट्टनम् [ कुट्टल्युट ] 1. काटना 2. कूटना 3. दुर्वचन शि० २।७,-लम् एक प्रकार का नरक-मनु० कहना, निन्दा करना।
४१८९, याज्ञ० ३।२२२। कुट्ट (हि) नो [ कुट्टयति नाशयति स्त्रीणां कुलम् --कुट्ट, | कुड्मलित (वि०) [कुड्मल + इतच् ] 1. कलीदार, खिला
+णिच् +त्यट+डीप, कुट्ट+ इनि वा] कुटनी, हुआ 2. प्रसन्न, हंसमुख । दूती, दल्ली ।
कुडघम् [कु+यक , डुगागमः 11. दीवार-भेदे कूडधावकुट्टमितम् [ कुट्ट+घञ , तेन निवृत्त इत्यर्थे कुट्ट + इमप्
पातने-याज्ञ० २।२२३, शि० ३४५ 2. (दीवार पर) +इतच् ] प्रियतम के प्यार का दिखावटी तिरस्कार |
पलस्तर करना, लीपना, पोतना 3. उत्सुकता, जिज्ञासा। (झूठमूठ ठुकराना) (नायिका के २८ हावभाव तथा
सम-छेदिन् (पुं०) घर में सेंध लगाने वाला, अनुनय, में से एक) सा० द० परिभाषा देता है-केश
चोर, छेद्यः खोदने वाला, (धम्) खाई, गड्ढा, स्तनाधरादीनां ग्रहे हर्षेपि संभ्रमात्, प्राहुः कुट्टमितं
(दीवार में) दरार। नाम शिरःकरविधननम्, १४२।।
कुण् (तुदा० पर०-कुणति, कुणित) 1. सहारा देना, कुटाक (वि०) (स्त्री०- की) [ कुद्र.+षाकन् ] जो
सहायता देना 2. शब्द करना। विभक्त करता है या काटता है--सारङ्गसङ्गरविधा
कुणकः [ कुण+क+कन् ] किसी जानवर का अभी पैदा विभकुम्भकूटकुट्टाकपाणिकुलिशस्य हरेः प्रमाद:---मा०
हुआ बच्चा। ५।३२।
कुणप (वि.) (स्त्री०—पी) [कुण -- कपन्] 1. मुर्दे जैसी कुट्टारः [ कुट्ट +-आरन् ] पहाड़, रम् 1. मैथुन 2. ऊनी दुगंध देने वाला, बदबूदार–पः,-पम् मुर्दा, शवकंबल 3. एकान्त ।
शासनीयः कुणपभोजन:--विक्रम० ५ (गिद्ध),-अमेध्यः कटिमः,-मम् [ कुट्ट+इमप् ] 1. खड़जा, छोट-छोटे कुणपाशी च--मनु० १२। ७१, जीवित जन्तुओं के
पत्थरों को जमा कर बनाया हआ फर्श, पक्का फर्श प्रति घणा व तिरस्कार का द्योतक शब्द,-प: 1. बर्डी -कांतेन्दुकान्तोपलकूट्रिमेषु-शि० ३१४०, रघु० १०९ 2. दुर्गंध, बदबू । 2. भवन बनाने के लिए तैयार की गई भूमि कुणिः [कुण + इन्] लुजा, जिसकी एक बाँह सूख गई हो। 3. रत्नों की खान 4. अनार 5. झोंपड़ी, कुटिया, कुण्टक (वि.) (स्त्री०-की) [कुण्ट +ण्वुल] मोटा, छोटा घर।
स्थूल। कटिहारिका--[कुट्टि मत्स्यमांसादिकं हरति इति---कुट्टि । कुण्ठ (भ्वा० पर०—कुण्ठति, कुण्ठित) 1. कुण्ठित, ठूण्ठा +ह+वुल टाप्, इत्वम् ] सेविका, दासी।
या मन्द हो जाना 2. लंगड़ा, और विकलांग होना कुटुमल-कुडमल।
3. मंदबुद्धि या मूर्ख होना, सुस्त होना 4. ढीला करना कुठः [ कुठयते छिद्यते-कुठ+क] वृक्ष ।
(प्रेर० या चुरा० पर०) छिपाना । कुठर=दे० 'कुटर'।
कुण्ठ (वि.) [कुण्ट-+-अच्] 1.ठ्ठा, सुस्त, वज्र तपोवीर्यकुठारः (स्त्री०-री) [ कुछ ---आरन् ] कुल्हाडा (परश), महत्सु कुण्ठम् --कु० ३।१२, प्रभावरहित हो गया, कुल्हाड़ी-मातुः केवलमेव यौवनवनच्छेदे कुठारा वयम् ।
कुण्ठीभवन्त्युपलादिपु क्षुरा:--शारी० 2. मन्द, मूर्ख, ---भर्त० ३।११।।
जड 3. आलसी, सुस्त 4. दुर्बल । कुठारिकः [ कुठार+ठन् ] लकड़हारा, लकड़ी काटने । कुण्ठकः [कुण्ठ् + बुल] मूर्ख । वाला।
कुण्ठित (भू० क० कृ.) [कुठ+क्त 1.ठ्ठा, मन्दीकृत कुठारिका [ कुठार+की+कन्+टाप, ह्रस्वश्च ] छोटा (आलं. भी)-बिभ्रतोऽस्त्रमचलेप्यकुण्ठितम् --- रघु० कुल्हाड़ा, फरसा।
११।७४, भामि० २१७८, कु० २।२०, शास्त्रष्वकु. कुठारः [ कुठ+आरु ] 1. वृक्ष 2. लंगूर, बन्दर ।
ठिताबुद्धिः - रघु० ॥१९, निर्बाध रही 2. जड कुठिः [कुठ+इन+कित् ] 1. वृक्ष 2. पहाड़।
3. विकलांग। कुडङ्गः (पुं०) कुंज, लतागृह ।
कुण्डः, डम् [कुण --ड] 1. प्याले की शक्ल का बर्तन, चिलकुडवः (पः) [ कुड+-कवन्, कपन् वा] एक चोथाई प्रस्थ । मची, कटोरा 2. हौज 3. कंड, कुंड--- अग्निकुण्डम
के बराबर या बारह मुठ्ठी (अंजलि) अनाज की । 4. पोखर या पल्वल-विशेषतः जो किसी देवता के नाम तोल।
पर धर्मार्थ समर्पित कर दिया गया हो 5. कमंडलु या
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