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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( कुञ्चनम् कुञ्च् + ल्युट् ] टेढ़ा करना, झुकाना, सिकोड़ना । [+] मुट्ठियों या अँजलियों की घारिता का माप अष्टमुष्टिर्भवेत्कुञ्चिः । कुञ्चिका [ कुच् + ण्वुल् + टाप्, इत्वम् ] 1. कुंजी, चावी - भर्तृ० १।६३ 2. बाँस का अंकुर । कुचित ( वि० ) [ कुंच् +क्त] सिकुड़ा हुआ, टेढ़ा किया हुआ झुकाया हुआ । कुञ्जः --, जम् [कु + जन्+उ, पृषो० साधुः ] 1. लताओं तथा पौधों से आच्छादित स्थान, लतावितान, पर्णशाला, २८१ - --चल सखि कुञ्ज सतिमिरपुंजं शीलय नीलनिचोलम् -- गीत० ५, वंजुललताकुंजे - १२, मेघ० १९, रघु ९।६४ 2. हाथी का दाँत । सम० कुटीरः लतामण्डप, लताओं तथा पौधों से परिवेष्टित स्थान- गुञ्जत्कुञ्जकुटीरकौशिकघटा — उत्तर० २०२९, मा० ५/१९, कोकिलकूजितकुंजकुटीरे - गीत० १ । कुञ्जरः [कुञ्जो हस्तिहनुः सोऽस्यास्ति कुञ्ज + र ] 1. हाथी 2. ( समास के अन्त में ) कोई सर्वोत्तम या श्रेष्ठ वस्तु - अमरकोश इस प्रकार के निम्नांकित प्रयोग बतलाता है- स्युरुत्तरपदे व्याघ्र पुंगवर्षभकुञ्जराः, सिंह शार्दूलनागाद्या: पुंसि श्रेष्ठार्थवाचकाः । 3. पीपल का वृक्ष ( अश्वत्थ ) 4. हस्त नामक नक्षत्र । सम० - अनीकम् सेना का एक प्रभाग जिसमें हाथी हों, हस्ति - सेना, -- अशनः अश्वत्थ वृक्ष - अराति: 1. शेर 2. शरभ ( आठ पैर का एक काल्पनिक जन्तु), ग्रहः हाथी पकड़ने वाला । कुट् । ( स्वा० पर० -- कुटति कुटित ) 1. कुटिल या वक्र होना 2. टेढ़ा करना या झुकाना 3. वेइमानी करना, छल करना, धोखा देना । i (दिवा० पर० कुयति) तोड़ कर टुकड़े टुकड़े करना, फाड़ देना, विभक्त करना, विघटित करना । कुट: टम् [कुद |कम् ] जलपात्र, करवा, कलश, टः 1. किला, दुर्ग 2. हथोड़ा 3. वृक्ष 4. घर 5. पहाड़ । सप० – जः 1. एक वृक्ष का नाम - मेघ० ४, रघु ० १९१३७, ऋतु० ३।१३, भर्तृ० १।४२ 2 अगस्त्य 3. द्रोण-हारिका सेविका, नौकरानी । लस का हल | छत, छप्पर । कुटकम् [कुट -कन् ] विना कुङ्कः [कु + टङ्क + घञ् कुङ्गकः [कुटस्य अङ्गकः ष० त०] 1. वृक्ष के ऊपर फैली हुई लताओं से बना लतामण्डप 2. छोटा घर, झोंपड़ी कुटिया | कुटप: [ कुट + पा + क्र] 1. अनाज की माप ( कुडव ) 2. घर के निकट वाटिका 3. ऋषि संन्यासी, पम् कमल । कुटरः | कुट् + करन् बा०] वह थणी जिसमें मथते समय रई की रस्सी लिपटी रहती है । ३६ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ) कुटलम् [कुट् + कलच् ] छत, छप्पर । कुटि: [ कुट् + छन् ] 1. शरीर 2. वृक्ष (स्त्री० ) 1. कुटिया, झोंपड़ी 2. मोड़, झुकाव | सम० चरः संस, शिशुक । कुटिरम् [कुद | इरन् ] कुटिया, झोंपड़ी । कुटिल ( वि० ) [कुट् + इलय् ] 1. टेढ़ा, झुका हुआ, मुड़ा हुआ, घूंघरदार-भेदात् भ्रुवोः कुटिलयोः - श० ५/२३, रघु० ६।८२, १९।१७ 2 घुमावदार, बलखाती हुई---क्रोशं कुटिला नदी - सिद्धा० 3. ( आलं० ) कपटी, जालसाज, बेईमान | सम० - -आशय ( वि० ) दुरात्मा, दुर्गति, - पक्ष्मन् (वि०) मुड़ी हुई पलकों वाला, - स्वभाव (वि०) कुटिल प्रकृति, बेईमान, दुर्गति । कुटिलिका [ कुटिल + कन्+टाप्, इत्वम् ] 1. दबे पाँव आना (जिस प्रकार कि शिकारी अपने शिकार पर आते हैं) दुबक कर चलना, 2. लुहार की भट्टी । कुट्टी [ कुटि + ङीप् ] 1. मोड़ 2, कुटिया, झोंपड़ी - प्रासादीयति कुयाम् - सिद्धा० मनु० ११।७२, पर्ण, अश्व आदि 3. कुट्टिनी, दूती । सम० - चकः किसी संघविशेष का संन्यासी - चतुविधा भिक्षवस्ते कुटीचकबदक, हंसः परमहंसश्च यो यः पश्चात् स उत्तमः । - महा० - चरः एक संन्यासी जो अपने परिवार को अपने पुत्र की देख रेख में छोड़कर अपन आपको पूर्णतया धर्मानुष्ठान एवं तपश्चर्या में लगा देता है । कुटीरः, रम् कुटौ+र, कुटीर + कन्] झोंपड़ी, कुटिया, कुटीरकः 1 उत्तर० २।२९, अमरु ४८ । कुटुनी [कुट् + उन्+ ङीष् ] कुट्टिनी, दूती दे० कुट्टनी । कुटुम्बम् कुटुम्बकम् [ कुटुम्ब + अच्, कुटुम्ब + कन् ] 1. गृहस्थी, परिवार - उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्ब - कम् हि० ११७०, याज्ञ० ११४५ मनु० ११ १२, २२, ८। १६६ 2. परिवार के कर्तव्य और चिताएँ - तदुपहितकुटुंब: - रघु० ७७१, – ब:, बम् 1. बंधु, वंश या विवाह के फलस्वरूप संबंध 2. बालबच्चे, संतान 3. नाम 4. वंश । सम० -- कलहः, -हम् घरेलू झगड़े ---भरः परिवार का भार भर्ना तदर्पितकुटुम्बभरेण सार्धम् श० ४।१९, व्यापूत ( वि० ) ( वह पिता ) जो पालन पोषण करता है, तथा परिवार की भलाई का ध्यान रखता है । कुटुम्बिकः, कुटुम्दिन (पुं० ) [ कुटुम्ब - + ठन्, इनि वा ] गहस्थ, कुल पिता, जिसे परिवार का भरण पोषण करना पड़ता है, या जो देखभाल करता है - प्रायेण गृहिणीनेत्राः कन्यार्थेषु कुटुम्बिनः - कु० ६।८५, विक्रम ० ३।१, मनु० ३८०, याज्ञ० २।४५ 2 परिवार का एक सदस्य नी 1. गृहपत्नी, गृहिणी (गृह स्वामिनी), भवतु कुटुम्विनीमा पृच्छामि मुद्रा० १, प्रभवन्त्योऽ पि हि भर्तृषु कारणकोपा: कुटुम्बिन्यः – मालवि० १ । १७, ६० ८८६, अमरु ४८ 3. स्त्री । For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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