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( २६९ ) +इनि पृषो०] 1. कसेरा 2. खनिज विद्या को जानने | कार्तवीर्यः [ कृतवीर्य-+-अण ] कृतवीर्य का पुत्र हैहय देश वाला।
का राजा, जिसकी राजधानी माहिष्मती नगरी थी कारवः [का इति रवो यस्य ब० स०] कौवा ।
(पूजा के फलस्वरूप उसने दत्तात्रेय से कई वर प्राप्त कारस्करः [कारं करोति-कार कृ+ट, सुट्] किपाक किये जैसे कि हजार भुजायें, स्वर्णमय रथ जो वृक्ष ।
इच्छानुसार जहाँ चाहे जा सकता था, न्याय द्वारा कारा कीर्यते क्षिप्यते दण्डा) यस्याम-कृ+अडर, गुणः, अनिष्ट निवारण की शक्ति, दिग्विजय, शत्रुओं द्वारा
दीर्घः नि०] 1. कारावास, बन्दीकरण 2. जेलखाना, अपराजेयता आदि (तु० रघु०६।३९) । वायुपुराण के बन्दीगृह 3. वीणा का गर्दन के नीचे का भाग, तूंबी अनुसार धर्म तथा न्याय पूर्वक उसने ८५४०० वर्ष तक 4. पीडा, कष्ट 5. दूती 6. सोने का काम करने वाली राज्य किया तथा १०००० यज्ञ किए। वह रावण स्त्री। सम० --अगारम,--गहम्-वेश्मन् बन्दीघर, का समकालीन था, उसने रावण को अपनी नगरी के जेलखाना-कारागृहे निजितवासवेन लड्डेश्वरेणोषित- एक कोने में पशु की भाँति बन्दीखाने में डाल दिया माप्रसादात् ---रघु० ६।४०, शा० ४११०, भर्तृ ० ३१२१, -तु० रघु० ६।४०, कार्तवीर्य को परशराम ने मार - गुप्तः बन्दी, कैदी, पाल: बन्दीगृह का रखवाला, डाला, क्योंकि वह परशुराम के पूज्य पिता जमदग्नि कारागार का अधीक्षक ।
की कामधेन को उड़ा कर ले गया था। कार्तवीर्य कारिः (स्त्री०) [कृ+-इञ] कार्य, कर्म, (पुं०-स्त्री०)
को सहस्रार्जुन भी कहते हैं)। कलाकार, शिल्पकार ।
कार्तस्वरम् [ कृतस्वर + अण् ] सोना,--स तप्तकार्तस्वरकारिका [कृण्वल+-टाप, इत्वम् ] 1. नर्तकी भासुराम्बरः-शि० ११२०, दंडेन--का०८२ । 2. व्यवसाय, धंधा 3. व्याकरण, दर्शन तथा विज्ञान से कार्तान्तिक: [कृतान्त-+ठक ज्योतिषी, भाग्यवक्ता-कार्तासंबद्ध काव्य, या पद्य संग्रह-उदा०, (व्या० पर) न्तिको नाम भूत्वा भुवं बभ्राम-दश० १३० । भर्तहरि की कारिका, सांख्यकारिका 4. यन्त्रणा, | कातिक (वि.) (स्त्री०-की) [कृत्तिका+अण ] कार्तिक यातना 5. व्याज।
मास से संबंध रखने वाला-रघु० १९।३९,----क: कारीषम् [ करीष-+अण् ] सूख गोबर की करसियों का 1. वह महीना जब कि पूरा चन्द्रमा कृत्तिका नक्षत्र के ढेर ।
निकट रहता है (अक्तूबर-नवम्बर महीना) 2. स्कन्द कारु (वि०) (स्त्री०-४) [कृ+अण् ] 1. निर्माता, का विशेषण, (-की) कार्तिक मास की पूर्णिमा।
कर्ता, अभिकर्ता, नौकर 2. कारीगर, शिल्पकार, कार्तिकेयः [कृत्तिकानामपत्यं ढक ] स्कन्द (क्योंकि कलाकार - कारुभिः कारितं तेन कृत्रिमं स्वप्नहेतवे उसका पालन-पोषण छः कृत्तिकाओं द्वारा हुआ था) ---विद्धशा० १।१३, इति स्म सा कारुतरेण लेखितं भारतीय पौराणिकता के अनुसार कातिकेय युद्ध का नलस्य च स्वस्य च सख्यमीक्षते-नै० ११३८, याज्ञ० देवता है, शिव जी का पुत्र है, (परन्तु उसके जन्म में २२४९, १२१८७, मनु० ५११२८, १०।१२, (वे ये किसी स्त्री का प्रत्यक्ष हस्तक्षेप नहीं है) उसके जन्म है-तक्षा च तन्त्रवायश्च नापितो रजकस्तथा, पंचम- के विषय में बहुत सी परिस्थितियों का उल्लेख मिलता श्चर्मकारश्च कारवः शिल्पिनो मताः।)-रु:-----देवताओं है। शिव ने अपना वीर्य अग्नि में फेंका (जो कि के शिल्पी विश्वकर्मा 2. कला, विज्ञान। सम० कबूतरी के रूप में शिव के पास गई जब कि वह ----चौरः सेंध मारने वाला, डाक -जः 1. शिल्प से
पार्वती के साथ सहवास का सुखोपभोग कर रहे थे) बनी कोई वस्तु, शिल्पकर्म द्वारा निर्मित वस्तु 2. युवा
जिसने इसे सहन न करने के कारण गंगा में फेंक हाथी या हाथी का बच्चा 3. पहाड़ी, बमी 4. फेन, दिया (इसीलिए स्कन्द को अग्निभू या गंगापुत्र भी झाग।
कहते हैं)। उसके पश्चात् यह छ: कृत्तिकाओं (जब कारणिक (वि.) (स्त्री०-को) [ करुणा+ठक् ] दयालु, बह गंगा में स्नान करने गई) में संक्रांत कर दिया कृपालु, सदय-नागा० १।१ ।
गया। फलस्वरूप वह सब गर्भवती हुई और प्रत्येक कारण्यम् [करुणा+ष्य ] दया, कृपा, रहम-कारुण्य- ने एक-एक पुत्र को जन्म दिया परन्तु बाद में इन छ: मातन्यते-गीत० १, करिण्यः कारुण्यास्पदम्-भामि०
पत्रों को बड़े रहस्यमय ढंग से जोड़ कर एक कर
दिया गया, इस प्रकार वह छ: सिर, बारह हाथ तथा कार्कश्यम् [कर्कशष्या ] 1. कठोरता, रूखापन बारह आँखों वाला असाधारण रूप का व्यक्ति बना
2. दृढ़ता 3. ठोसपन कड़ापन, शि० २०१७ पंच० (इसीलिए उसे कार्तिकेय, षडानन या षण्मुख कहते १।१९. 4. कठोरहृदयता, सख्ती, क्रूरता-कार्कश्यं है)। दूसरी कहानी के अनुसार गंगा ने शिव के गमितेऽपि चेतसि-अमरु २४ ।
वीर्य को सरकंडों में फेंक दिया, इसी कारण उसे शर
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