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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( २६२ ) अलाभकर कार्यों के संबंध में कहा जाता है), – ध्वजः वाडवानल, निद्रा हल्की नींद या झपकी जो आसानी से टूट जाय, पक्षः, पक्षकः ( विशेष कर क्षत्रियों के) बालकों और तरुणों की कनपटियों के लंबे बाल या अलकें - काकपक्षघरमेत्य याचितः -- रघु ० १११,३१,४२, ३२८, उत्तर० ३ पदम् हस्तलिखित पुस्तक या लेखों में चिह्न (^) जो यह प्रकट करता है कि यहाँ कुछ छूट गया है, पदः संभोग की एक विशेष रीति, पुच्छ:, पुष्टः कोयल, पेय (fro ) छिछला - काकपेया नदी - सिद्धा०, भोवः उल्लू - मद्गुः जलकुक्कुट, यवः अन्न का वह पौधा जिसकी बाल में दाने न हो- यथा काकयवाः प्रोक्ता यथारण्यभवास्तिलाः, नाममात्रा न सिद्धौ हि धनहीनास्तथा नराः । पंच० २।८६ - तथैव पांडवाः सर्वे यथा काकयवा इव महा० (काकयवा: - = निष्फलतृणधान्यम्), - दत्तम् कौवे की कर्कश ध्वनि (कॉव काँव) जिससे परिस्थिति के अनुसार भावी शुभाशुभ का ज्ञान होता है – शि० ६,७६, बन्ध्या ऐसी स्त्री जिसके एक पुत्र होने के पश्चात् फिर कोई सन्तान न हो, स्वरः ध्वनि (जैसे कि कौवे की कॉव कॉव ) । काकर (रू) क ( वि० ) 1. डरपोक, कायर 2 नंगा 3. गरीब, दरिद्र, --क: 1. औरत का गुलाम, पत्नीभक्त 2. (स्त्री० -की) 2. उल्लू 3. जालसाजी, धोखा, दाँवपेच | काक ( का) ल: [ का इत्य व कलो यस्य ब०स०] पहाड़ी कौवा, लम् कंठमणि । कालि:, - ली (स्त्री० ) [ कल् + इन कलिः, कु ईषत् कलिः, को: कादेशः, स्त्रियां ङीषु च ] 1. मन्द मधुर स्वर - अनुबद्धमुग्धकाकलीसहितम् - उत्तर० ३ ऋतु० ११८ 2. एक प्रकार का मन्द स्वर का बाजा जिसके द्वारा चोर यह पता लगाते हैं कि लोग सोये हैं या नहीं - फणिमुखकाकलीसंदंशक प्रभृत्यनेकोपकरणयुक्तः दश० ४९ 3. कैंची 4. घुंघची का पौधा । सम० -- रवः कोयल । erfert, erfefunt [कक् + णिनि + ङीप् = काकिणी + कन् + टाप्, ह्रस्वः] 1. सिक्के के रूप में प्रयुक्त होने वाली कौड़ी. 2. एक सिक्का जो २० कौड़ी या चौड़ाई पण के बराबर होता है 3. चौथाई माशे के बराबर वजन 4. माप का एक अंश 5. तराजू की डंडी 6. हस्त, ( एक प्राचीन माप जिसकी लम्बाई एक हाथ के बराबर होती है ) । काकिनी ( स्त्री० ) [ कक् + णिनि + ङीप् ] 1. पण का चौथाई 2. माप का चौथाई 3. कौड़ी-हि० ३।१२३ । काकु: ( स्त्री० ) [ कक् + उण् ] 1. भय, शोक, क्रोध आदि संवेगों के कारण स्वर में परिवर्तन- भिन्नकण्ठध्वनिर्षीरैः काकुरित्यभिधीयते - सा० द०, अलीककाकुकर Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir णकुशलता - का० २२२ ( अतः ) 2. निषेधात्मक शब्द जो इस ढंग से प्रयुक्त किया जाय कि विरुद्ध ( स्वीकारात्मक ) अर्थ को प्रकट करे ( इस प्रकार के अवसरों पर स्वर की विकृति से ही अभीष्ट अर्थ प्रकट किया जाता है) 3. बुड़बुड़ाना, गुनगुनाना 4. जिह्वा । काकुत्स्थः [ ककुत्स्थ+अण्] ककुत्स्थवंशी, सूर्यवंशी राजाओं की उपाधि - काकुत्स्थमालोकयतां नृपाणाम् - रघु० ६२, १२३०, ४६, दे० 'ककुत्स्थ' । काकुचम् [ काकुं ध्वनिभेदं ददाति - काकु + दा + क] तालु। काकोलः [ कक् + णिच् + ओल] 1. पहाड़ी कौवा याज्ञ० १।१७४ 2. साँप 3. सूअर 4. कुम्हार 5. नरक का एक भाग याज्ञ० ३।२२३ । ert: [कुत्सितम् अक्षं यत्र - कोः कादेशः ] तिरछी चितवन, कनखियों से देखना, क्षम् त्यौरी चढ़ना, अप्रसनता की दृष्टि, द्वेषपूर्ण निगाह - काक्षेणानादरेक्षितः -भट्टि० ५।२८ | काग: (पुं०) कौवा, तु० 'काक' । काल (भ्या० पर ० ( महाकाव्यों में आ० भी ) - का क्षिति, काङ्क्षित) 1. कामना करना, चाहना, लालायित होना-पत्काङक्षति तपोभिरन्यमुनयस्तस्मिस्तपस्यन्त्यमी - श० ७।१२, न शोचति न कांडक्षति भग० १२०७, न काङक्षे विजयं कृष्ण - १।३२, रघु० १२५८, मनु० २।२४२ 2. प्रत्याशा करना, प्रतीक्षा करना, अभिलालायित होना, कामना करना, आ-, 1. चाहना, लालसा करना, कामना करना - प्रत्याश्वसंत रिपुराचकाङक्ष – रघु० ७।४७, ५/३८, मनु० २१६२, मेघ० ९१, याज्ञ० १ १५३ 2. अपेक्षा करना आवश्यकता होना, - प्रत्या- घात में रहना, सेवा में उपस्थित रहना वि-कामना करना, चाहना लालसा करना, समाकामना करना, चाहना । कांडा [काक्ष + अ + टाप् ] 1. कामना, इच्छा 2. रुचि, अभिलाषा जैसा कि 'भक्तकांक्षा' में । काक्षिन् ( वि० ) ( स्त्री० - जी ) [ काङक्ष् + णिनि ] कामना करने वाला, इच्छुक, दर्शन, जल आदि भग० ११/५२ । काचः [कच् + घञ्ञ ] 1. शीशा, स्फटिक आकरे पधरा गाणां जन्म काचमणेः कुतः हि० प्र० ४४, काचमूल्येन विक्रीतो हंत चिंतामणिर्मया शा० १।१२ 2. फंदा, लटकता हुआ (अलमारी का ) तख्ता, जुए से बंधी हुई रस्सी जो बोझ को सहार ले 3. आंख का एक रोग, आंख की नाड़ी का रोग जिससे दृष्टि धुंधली हो जाय । सम०- -घटी शीशे की झारी या जग, भोजनम् शीशे का पात्र, मणिः स्फटिक, बिलौर, मलम्, लवणम्, संभवम् काला नमक या सोडा । For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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